प्लांट फाइबर से बने कप-प्लेट

गजब! : बेंगलुरु की कंपनी अर्थवेअर लायी है प्लास्टिक का विकल्प प्लास्टिक हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है़ लेकिन जितना यह उपयोगी है, उतना ही खरतनाक भी़ इसीलिए दुनियाभर में इसके विकल्प तलाशे जा रहे हैं. इसी क्रम में बेंगलुरु की कंपनी अर्थवेअर, पौधों से प्राप्त होनेवाले फाइबर के इस्तेमाल से प्लास्टिक के कप, […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 26, 2016 5:42 AM

गजब! : बेंगलुरु की कंपनी अर्थवेअर लायी है प्लास्टिक का विकल्प

प्लास्टिक हमारी जिंदगी का हिस्सा बन चुका है़ लेकिन जितना यह उपयोगी है, उतना ही खरतनाक भी़ इसीलिए दुनियाभर में इसके विकल्प तलाशे जा रहे हैं. इसी क्रम में बेंगलुरु की कंपनी अर्थवेअर, पौधों से प्राप्त होनेवाले फाइबर के इस्तेमाल से प्लास्टिक के कप, प्लेट, चम्मच आदि का विकल्प लायी है़

सुबह सो कर उठने से लेकर देर रात सोने तक हम जिन चीजों का इस्तेमाल करते हैं, उनमें अधिकांश प्लास्टिक की बनी होती हैं. टूथब्रश से लेकर खाने के बरतन तक हर जगह प्लास्टिक का उपयोग किया जाता है़ एक तरह से कहें तो हम प्लास्टिक की दुनिया में जी रहे हैं. इस प्लास्टिक में सैकड़ों अच्छाइयां हैं, लेकिन उसकी एक बुराई काफी खतरनाक है और वह है प्लास्टिक का जैविक सड़न प्रक्रिया से अपघटन (बायोडीग्रेडेशन) नहीं हो पाना़ यानी यह मिट्टी में नहीं मिल पाता, और जैसा कि हम जानते हैं कि इस संसार की कोई भी वस्तु अंततः मिट्टी में नहीं मिल पाती, तो वह धरती के लिए खतरा बन जाती है़ प्लास्टिक हमारे लिए यही खतरा बनता जा रहा है, जिसके विकल्प तलाशे जा रहे हैं.

इसी कड़ी में दक्षिण भारत की एक कंपनी की पहल सराहनीय है, जिसने प्लास्टिक के एक प्रकार स्टायरोफोम का विकल्प तैयार किया है़ बताते चलें कि इन दिनों सामूहिक भोज आदि में स्टायरोफोम से बने कप, प्लेट, ग्लास आदि का चलन काफी बढ़ गया है़ बहरहाल, अर्थवेअर नाम की इस कंपनी ने पौधों से प्राप्त होनेवाले फाइबर की मदद से कप, प्लेट, ग्लास, कटोरे आदि बनाती है़ प्राकृतिक अवयवों की मदद से बनी ये चीजें जैविक सड़न प्रक्रिया से अपघटित हो सकती हैं, इसलिए पर्यावरण को इनसे कोई नुकसान नहीं है़

और तो और इनमें खाने से खाने की लज्जत बढ़ जाती है और वह स्वास्थ्य की दृष्टि से भी स्टायरोफोम के कप-प्लेटों की अपेक्षा काफी बेहतर होता है़ आम तौर पर गन्ने, गेहूं, बांस की खोई और सेल्यूलोज जैसी चीजों से बनी इन चीजों को बैगेसी प्रोडक्ट्स कहते हैं.

पौधों से प्राप्त ये प्राकृतिक फाइबर जल प्रतिरोधी, मजबूत तो होते ही हैं, इनका इस्तेमाल माइक्रोवेव अवन के लिए भी किया जा सकता है़ यही नहीं, इस्तेमाल के 90 दिनों के भीतर ये बैगेसी प्रोडक्ट्स आसानी से सड़-गल कर मिट्टी में मिल जाते हैं. यही खूबियां इन्हें प्लास्टिक से बेहतर बनाती हैं.

यहां यह जानना जरूरी है कि बेंगलुरु में स्थित अर्थवेअर, दक्षिण भारत की इकलौती ऐसी कंपनी है, जो बैगेसी प्रोडक्ट्स की मदद से डिस्पोजेबल कप, प्लेट, ग्लास, चम्मच, कटोरे आदि बनाती है़ इस कंपनी की सह-संस्थापक समनवी भोगराज कहती हैं कि आजकल लोगों में इन चीजों के प्रति जागरूकता बढ़ रही है और यही वजह है कि हमें मिलनेवाले ऑर्डर्स में दो से तीन गुणा तक बढ़ोतरी हुई है़

समनवी कहती हैं कि जब हमने इसकी शुरुआत की थी, तब यह बिजनेस नहीं, एक सामाजिक उत्तरदायित्व था़ उम्मीद से ज्यादा तादाद में ऑर्डर्स आने के बाद हमारे इस उद्यम ने बिजनेस का रूप ले लिया है़ समनवी आगे कहती हैं, हम सभी जानते हैं कि प्लास्टिक हानिकारक रसायनों से बना होता है़ इसके बाइ-प्रोडक्ट्स भी उतने ही हानिकारक होते हैं और इनके अपघटन की प्रक्रिया के दौरान भी खतरनाक रसायन उत्सर्जित होते हैं. ऐसे में प्लास्टिक को खाने-पीने के काम में लाना कतई खतरे से खाली नहीं है़ लोग यह बात समझ रहे हैं और कप, प्लेट्स, कटोरे, बरतन और लंच बॉक्सेज सहित हमारे कई प्रोडक्ट्स की मांग देश के कई हिस्सों के अलावा विदेशों में भी बढ़ रही है़ दरअसल, प्लास्टिक का भविष्य यही है़

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