स्ट्रेस कम करना है, तो गाना गाओ
दक्षा वैदकर मुझे गाना गाने का शौक है. इसलिए बीते दिनों मैंने मोबाइल में एप ‘गाओ’ डाउनलोड किया. यह कराओके एप है. यानी, सिर्फ गाने की धुन आपको सुनायी देगी. लिरिक्स लिखे आते हैं. आपको बस म्यूजिक पर अपनी आवाज को फिट करना होता है. अब जब भी मैं बोर होती हूं, कोई गाना रिकॉर्ड […]
दक्षा वैदकर
मुझे गाना गाने का शौक है. इसलिए बीते दिनों मैंने मोबाइल में एप ‘गाओ’ डाउनलोड किया. यह कराओके एप है. यानी, सिर्फ गाने की धुन आपको सुनायी देगी. लिरिक्स लिखे आते हैं. आपको बस म्यूजिक पर अपनी आवाज को फिट करना होता है. अब जब भी मैं बोर होती हूं, कोई गाना रिकॉर्ड कर लेती हूं. खासतौर पर तब, जब घर में लाइट चली जाती है और गरमी से मेरी हालत खराब हो जाती है.
चिड़चिड़ाहट तो होती ही है, स्ट्रेस भी बढ़ जाता है. यह सोच कर कि लाइट कब आयेगी. इस दौरान अपना ध्यान बंटाने के लिए मैं इस एप में गाना रिकॉर्ड करने लगती हूं. ऐसे में कब समय गुजर जाता है और लाइट आ जाती है, पता ही नहीं चलता. गाना गाने से अच्छा फील भी होता है और खुद को फ्रेश महसूस करती हूं.
आपको लग रहा होगा कि गाने से इतना बदलाव कैसे आ सकता है? तो आपको बता दूं कि आज ही मैंने एक आर्टिकल पढ़ा कि जर्मनी में हुई रिसर्च के मुताबिक, गाना सीधे तौर पर फिजिकल और साइकोलॉजिकल समस्याओं में दर्द निवारण की तरह काम करता है. यह एक एरोबिक एक्सरसाइज है, क्योंकि इसमें सांस एक नियम से अंदर और बाहर आती-जाती है. इससे खून में ऑक्सीजन भरपूर मात्रा में पहुंचती है और वहां से उन अंगों तक जाती है, जिन पर काम का बोझ ज्यादा होता है. इस तरह आपकी ढेर सारी कैलोरी भी बर्न होती है.
इतना ही नहीं, जब हम कोरस में साथ गाते हैं, तो शरीर में ऐसे रसायन पैदा होते हैं, जो लोगों से जुड़ने का, उन्हें अपना मानने का अहसास कराते हैं. मन के मैल दूर होते हैं और पॉजिटिव एनर्जी आती है. साथ ही गाना गाते या सुनते समय प्रेरणा देनेवाले हार्मोन ‘डोपामाइन’ और खुशी के हार्मोन ‘एंर्डोफिन’ पैदा होता है. इनकी वजह से पूरा शरीर अच्छा महसूस करता है.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in