जानें, पीवी सिंधु के जीवन से जुड़ी दस बड़ी बातें

रियो ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक की उम्मीद जगाने वाली पीवी सिंधु आज अपना फाइनल मुकाबला खेलेंगी. पदक की उम्मीद में पूरा भारत सिंधु की ओर उम्मीद भरी निगाह से देख रहा है. सेमीफाइनल में सिंधु ने शानदार खेल दिखाया और अपनी प्रतिद्वंद्वी जापान की नोजोमी ओकुहारा को पस्त कर दिया. सिंधु ने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 19, 2016 12:51 PM

रियो ओलंपिक में भारत के लिए स्वर्ण पदक की उम्मीद जगाने वाली पीवी सिंधु आज अपना फाइनल मुकाबला खेलेंगी. पदक की उम्मीद में पूरा भारत सिंधु की ओर उम्मीद भरी निगाह से देख रहा है. सेमीफाइनल में सिंधु ने शानदार खेल दिखाया और अपनी प्रतिद्वंद्वी जापान की नोजोमी ओकुहारा को पस्त कर दिया. सिंधु ने ओकुहारा से अंडर 19 चैंपियशिप की हार का बदला भी ले लिया. उनकी इस जीत पर उनके माता-पिता काफी खुश थे और कहा कि सिंधु की जीत से हम बहुत खुशी हैं. सेमीफाइनल में जीत दर्ज करने के बाद सिंधु ने कहा कि वह गोल्ड के लिए अपनी जान लगा देंगी. आइए जानें पी वि सिंधु के जीवन से जुड़ी चंद खास बातें :-

जानें, पीवी सिंधु के जीवन से जुड़ी दस बड़ी बातें 3
1. पीवी सिंधु का पूरा नाम पुसरला वेंकट सिंधु है और उनका जन्म आंध्रप्रदेश के सिकंदराबाद (अब तेलंगाना) में पांच जुलाई 1995 को हुआ है. सिंधु अभी मात्र 21 वर्ष की हैं.
2. सिंधु पांच फीट साढ़े दस की इंच की हैं और उनका वजन 65 किलोग्राम है. सिंधु अपनी लंबाई का पूरा फायदा अपने खेल में उठाती हैं.
3. सिंधु के पिता पीवी रमन और मां पी विजया दोनों ही पूर्व वॉलीबॉल खिलाड़ी हैं. सिंधु के पिता को अर्जुन अवार्ड भी मिला हुआ है.
4.पीवी सिंधु भारत की पहली ऐसी महिला खिलाड़ी जो ओलंपिक के फाइनल मुकाबले में पहुंची हैं.
5. 10 अगस्त 2013 में सिंधु विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप के एकल मुकाबले में पदक जीतने वाली वह पहली भारतीय महिला खिलाड़ी बनी हैं.
6. वर्ष 2012 में वह पहली बार बैडमिंटन की वर्ल्ड रैंकिंग में टॉप 20 खिलाड़ियों की सूची में शामिल हुईं. अबतक उनकी सबसे बढ़िया रैंकिंग नंबर नौ की है. अभी वह टॉप टेन में शामिल हैं.
7. सिंधु ने वॉलीबॉल को नहीं बल्कि बैडमिंटन को चुना और आठ साल की उम्र से ही पूर्व बैडमिंटन खिलाड़ी पुलेला गोपीचंद से कोचिंग ली.
8. खेल के प्रति सिंधु का समर्पण इतना था कि वह कोचिंग के लिए रोज अपने घर से 56 किलोमीटर की यात्रा तय कर गोपीचंद के ट्रेनिंग सेंटर आतीं थीं.
9. उनके कोच गोपीचंद का भी यह मानना है कि सिंधु के खेल की विशेषता है उसका तेवर, उसमें जूझने की अद्‌भुत क्षमता है और वह अपने इस स्पिरिट को जिंदा रखना जानती हैं.
10. शानदार प्रदर्शन के लिए सिंधु को सरकार ने पद्‌मश्री से नवाजा है.
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