सबको देखनी चाहिए फिल्म फाइंडिंग निमो

दक्षा वैदकर बीते दिनों दोस्तों के बीच एनिमेशन मूवीज की चर्चा चली, तो मैंने ‘फाइंडिंग निमो’ फिल्म का जिक्र किया. एक दोस्त ने फिल्म नहीं देखी थी, तो मैंने उसे वह फिल्म दी. दूसरे दिन ऑफिस आने के बाद दोस्त ने कहा, ‘वाह… कितनी शानदार फिल्म थी. थैंक्यू इस फिल्म के बारे में बताने के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 27, 2016 1:19 AM
दक्षा वैदकर
बीते दिनों दोस्तों के बीच एनिमेशन मूवीज की चर्चा चली, तो मैंने ‘फाइंडिंग निमो’ फिल्म का जिक्र किया. एक दोस्त ने फिल्म नहीं देखी थी, तो मैंने उसे वह फिल्म दी. दूसरे दिन ऑफिस आने के बाद दोस्त ने कहा, ‘वाह… कितनी शानदार फिल्म थी. थैंक्यू इस फिल्म के बारे में बताने के लिए और देने के लिए’.
मैं उत्सुक थी यह जानने के लिए कि दोस्त को फिल्म में क्या-क्या पसंद आया. मैंने क्यूट-सी नीली मछली डॉरी की तारीफ की, तो उसने सभी चीजों की तारीफ करते हुए फिल्म से मिली सीख का भी जिक्र किया. उसने कहा कि फिल्म में निमो (मछली का छोटा-सा बेटा) के पिता उसको लेकर कुछ ज्यादा ही चिंता करते हैं.
निमो का एक हाथ छोटा रहता है, इसलिए उन्हें लगता है कि बेटा ठीक से तैर नहीं सकता. वह कमजोर है. वे उसे आंखों से ओझल होने नहीं देना चाहते. हर बात पर टोकते हैं, जाने से रोकते हैं. इन सब वजहों से बेटा जान-बूझ कर ऐसा काम करता है, जो पिता को पसंद नहीं.
लेकिन वह इनसानों के जाल में फंस जाता है. हालांकि बाद में वह अपने दम पर, बहादुरी वाले काम कर छूट भी जाता है. वह साबित करता है कि उसके हाथ भले ही छोटे हैं, लेकिन इससे उसकी काबिलीयत कम नहीं होती. वह निडर है. यह फिल्म सभी पैरेंट्स को देखनी चाहिए, क्योंकि ऐसे कई पैरेेंट्स हैं, जो बच्चों की छोटी-छोटी-सी कमी को इतना बड़ा हौवा बना देते हैं कि बच्चे भी यह मानने लगते हैं कि उनमें कोई बड़ी कमी है.
जबकि पैरेंट्स को चाहिए कि वे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ाएं. उन्हें यकीन दिलाएं कि तुम्हारे अंदर कोई कमी नहीं है. तुम सब कर सकते हो. दोस्त ने आगे कहा, वैसे यह फिल्म बच्चों को भी सीख देती है कि पैरेंट्स अगर कहीं जाने से मना करें, तो उनकी बात सुनें, क्योंकि पैरेंट्स के पास अनुभव है.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in

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