जब फ़ोन की जगह ”फ़ेना” आ जाए!

सुशांत मोहन बीबीसी संवाददाता, मुंबई दिल्ली के भरत टंडन को उस समय गहरा धक्का लगा जब ऑनलाईन शॉपिंग के ज़रिए मंगवाए एक फ़ोन की जगह उन्हें किसी ने साबुन की टिक्की भेज दी. स्नैपडील डॉटकॉम से मंगवाए गए एक स्मार्टफ़ोन के लिए इंतज़ार कर रहे भरत ने जब अपने ऑफ़िस में कूरियर से आए डिब्बे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 2, 2016 10:02 AM
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दिल्ली के भरत टंडन को उस समय गहरा धक्का लगा जब ऑनलाईन शॉपिंग के ज़रिए मंगवाए एक फ़ोन की जगह उन्हें किसी ने साबुन की टिक्की भेज दी.

स्नैपडील डॉटकॉम से मंगवाए गए एक स्मार्टफ़ोन के लिए इंतज़ार कर रहे भरत ने जब अपने ऑफ़िस में कूरियर से आए डिब्बे को खोला तो उसमें ‘फ़ेना’ साबुन की दो टिक्कियां निकली.

भरत ने बीबीसी को बताया, "मैंने कई लोगों के साथ ऐसा होते सुना था लेकिन यह मेरे साथ जब हुआ तो मैं हैरान रह गया."

भरत बताते हैं, "एक आम ऑनलाईन ख़रीददारी की तरह मैंने इसे कैश ऑन डिलिवरी पर मंगवाया और जब मेरे पास यह पैकेट पहुंचा तो मैंने बिना किसी शक़ के डिलिवरी ब्वाय को 12 हज़ार रुपए दे दिए. डिब्बे में साबुन होने की वजह से वह फ़ोन जितना ही भारी लग रहा था लेकिन जब कुछ ही मिनटों बाद मैंने इसे खोला तो इसमें फ़ोन नहीं फ़ेना निकला."

भरत ने इस घटना की शिकायत कंपनी को करने के साथ साथ सोशल मीडिया पर भी इस डाला और देखते देखते लोग इसे शेयर करने लगे.

स्नैपडील की सोशल मीडिया टीम ने इस पर तुरंत कार्यवाही की और माफ़ी मांगते हुए भरत को रिफ़ंड या फ़ोन देने का भरोसा दिलाया.

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बीबीसी को दिए जवाब में स्नैपडील ने कहा, "हमें इस घटना का खेद है और हम इस ग़लती को तुरंत सुधारेंगे, आप हमें जांच का कुछ समय दें."

स्नैपडील के सप्लाई चेन के मैनेजर गौरव भारद्वाज ने कंपनी के पक्ष को साफ़ करते हुए कहा, "देखिए एक प्रोडक्ट किसी दुकान या स्नैपडील के हब (गोदाम) से निकल कर किसी ग्राहक तक पहुंचने में कई हाथों से निकलता है और ऐसे में कुछ ही मिनटों में यह जान लेना कि ग़लती कहां हुई काफ़ी मुश्किल है."

वो बताते हैं, "भरत के मामले में फ़ोन बेंगलुरू के किसी डीलर से चलकर, वहां की कूरियर कंपनी, बेंगलुरू एयरपोर्ट, दिल्ली एयरपोर्ट, दिल्ली की एक कूरियर कंपनी से होता हुआ ग्राहक तक पहुंचा है और आज ही यह बता देना कि इस मामले में ग़लती कहां हुई प्रैक्टिकल बात नहीं है."

आमतौर पर इस तरह के मामले झूठे निकलते हैं और कंपनी का नाम ख़राब करने के लिए या उनसे हर्ज़ाना वसूलने के लिए भी कई लोग ऐसी झूठी तस्वीरें या ख़बरें सोशल मीडिया पर डाल देते हैं.

अफ़्रीका में कुछ सालों पहले ‘केएफ़सी’ के खाने में चूहा निकलने की बात सामने आई थी लेकिन जांच करने पर ग्राहक उस टुकड़े को प्रस्तुत नहीं कर पाए थे.

गौरव कहते हैं, "इस बात का कोई सबूत नहीं होता कि ग्राहक ने जब पैकेट खोला तो उसके अंदर वाक़ई साबुन था या फ़ोन और इस कारण ऐसी घटनाओं पर हमें बहुत सावधान रहना पड़ता है."

भरत के मामले में एक अच्छी बात यह रही कि जब उन्होनें यह पैकेट खोला वह अपने दफ़्तर में थे और ऑफ़िस के सीसीटीवी की मदद से उन्होनें अपनी बात की सच्चाई कंपनी के सामने रखी.

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भारत में भी लोगों के भीतर आनलाइन शापिंग का ट्रेंड बढ़ रहा है.

स्नैपडील की और से यह भरोसा दिलाया गया है कि इस मामले में भले ही स्नैपडील को ‘चोर’ पकड़ने में कुछ महीने का समय लगे लेकिन भरत को उनका प्रोडक्ट या रिफ़ंड दे दिया जाएगा.

ऑनलाईन फ़्रॉड मामलों के जानकार नितिन भटनागर इस घटना पर कहते हैं, "ऐसे मामलों में आपको घबराने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि ई कॉमर्स कंपनियों को अपनी साख की ख़ासी चिंता होती है."

नितिन बताते हैं,"इस तरह के मामलों में 90 प्रतिशत मामले ग़लत या झूठे निकलते हैं लेकिन यह मामला सीसीटीवी फ़ुटेज के कारण पुख़्ता हो गया है. ग्राहक (भरत) क़ानूनी तौर पर कंपनी से हर्जाना मांग सकते हैं या फिर वो पुलिस में जा सकते हैं."

वैसे भरत ने बीबीसी से साफ़ किया कि वो ऐसा कोई क़दम नहीं उठाएंगे क्योंकि स्नैपडील के मुख्य प्रबंधक कि ओर से भी उन्हें माफ़ीनामा मिला है और जल्द ही पैसा या फ़ोन लौटाने का आश्वासन भी, बस वो साबुन वापिस नहीं करेंगे!

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