राष्ट्रीय जांच एजेंसी एनआइए का गठन कब और क्यों हुआ?

भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित यह संघीय जांच एजेंसी है. यह केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है. एजेंसी राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंक संबंधी अपराधों से निबटने में समर्थ है. एजेंसी 31 दिसंबर, 2008 को भारत की संसद […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 24, 2016 7:38 AM
भारत में आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित यह संघीय जांच एजेंसी है. यह केंद्रीय आतंकवाद विरोधी कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप में कार्य करती है. एजेंसी राज्यों से विशेष अनुमति के बिना राज्यों में आतंक संबंधी अपराधों से निबटने में समर्थ है. एजेंसी 31 दिसंबर, 2008 को भारत की संसद द्वारा पारित अधिनियम राष्ट्रीय जांच एजेंसी विधेयक 2008 के लागू होने के साथ अस्तित्व में आयी थी.
इसकी स्थापना 2008 के मुंबई हमले के बाद की गयी थी. इस घटना के बाद आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए एक विशेष केंद्रीय एजेंसी की जरूरत महसूस की गयी. इसके संस्थापक महानिदेशक राधा विनोद राजू थे. आतंकी हमलों की घटनाओं, आतंकवाद को धन उपलब्ध कराने एवं अन्य आतंक संबंधित अपराधों के अन्वेषण के लिए एनआइए का गठन किया गया, जबकि सीबीआइ आतंकवाद को छोड़ भ्रष्टाचार, आर्थिक अपराधों एवं गंभीर तथा संगठित अपराधों का अन्वेषण करती है.
क्यों चर्चा में है बोम्मई केस?
वर्ष 1994 में एसआर बोम्मई बनाम भारत सरकार के फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य की सरकारों को बरखास्त संबंधी अनुच्छेद की व्याख्या की और कहा कि अनुच्छेद 356 के तहत यदि केंद्र सरकार राज्य में चुनी हुई सरकार को बरखास्त करती है, तो सुप्रीम कोर्ट सरकार बरखास्त करने के कारणों की समीक्षा कर सकता है. एसआर बोम्मई कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे. सन 1988 में उनकी सरकार को केंद्र ने राज्यपाल की रिपोर्ट के आधार पर अनुच्छेद 356 के तहत बरखास्त कर राष्ट्रपति शासन लागू कर दिया था. यह मामला अंततः नौ जजों की सुप्रीम कोर्ट बेंच के सामने गया, जिसने 11 मार्च, 1994 को अपने फैसले में कहा कि अनुच्छेद 356(1) के तहत की गयी घोषणा की न्यायिक समीक्षा हो सकती है और कोर्ट केंद्र से उस सामग्री को कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करने के लिए कह सकता है, जिसके आधार पर राज्य की सरकार को बरखास्त किया गया है. साथ ही मंत्रिपरिषद को बहुमत का समर्थन प्राप्त है या नहीं इसका फैसला सदन के भीतर ही हो सकता है.
रोमन लिपि में ‘कैपिटल लेटर’ और ‘स्मॉल लेटर’ क्यों होते हैं?
रोमन के अलावा ग्रीक, सिरिलिक, आर्मेनियाई और कॉप्टिक वर्णमालाओं में दो तरह से अक्षर लिखने की परंपरा है. प्राचीन ग्रीक में दोनों तरह के अक्षरों का इस्तेमाल होता था, अन्यथा शेष भाषाएं छापाखाने के आविष्कार के पहले तक हाथ के लिखे लेख में एक तरह के अक्षरों का इस्तेमाल ही करती थीं. पुराने जमाने में रोमन स्क्वाॅयर कैपिटल्स का इस्तेमाल इमारतों, भित्तियों या प्रस्तर लेखों में होता था. दोनों तरह के वर्ण होने पर भी हस्तलेख में कर्सिव शैली का इस्तेमाल होता था. पंद्रहवीं सदी में छापाखाने का आविष्कार होने और गुटेनबर्ग के मूवेबल टाइप बन जाने के बाद छपाई में दोनों तरह के अक्षर इस्तेमाल में आने लगे. दोनों तरह के टाइपों को साथ रखने के लिए दो तरह के केस बने. ऊपर रखे केस को अपर और नीचे रखे केस को लोअर कहते थे. दोनों केस के टाइपों का इस्तेमाल समय के साथ नये-नये ढंग से होता रहा. यह प्रयोग चल ही रहा है. अब आप अंगरेजी के फॉर के लिए 4 का इस्तेमाल देख रहे हैं.
जवाहर लाल नेहरू विवि
संक्षेप में जेएनयू, नयी दिल्ली में स्थित केंद्रीय विश्वविद्यालय है. यह समाज विज्ञान, विज्ञान, अंतरराष्ट्रीय अध्ययन आदि विषयों में उच्च स्तर की शिक्षा और शोध कार्य में संलग्न भारत के अग्रणी संस्थानों में से है. जेएनयू को नेशनल असेसमेंट एंड एक्रेडिटेशन काउंसिल (NACC) ने जुलाई 2012 में किये गये सर्वे में भारत का सबसे अच्छा विश्वविद्यालय माना.
इस विश्वविद्यालय की स्थापना जेएनयू अधिनियम 1966 के अंतर्गत भारतीय संसद द्वारा 22 दिसंबर, 1966 में की गयी थी. रक्षा, चिकित्सा, इंजीनियरिंग और अनुसंधान से जुड़े अनेक संस्थान जेएनयू से संबद्ध हैं. इनमें आर्मी कैडेट कॉलेज, देहरादून, कॉलेज ऑफ मिलिट्री इंजीनियरिंग, पुणे, नेशनल डिफेंस एकेडमी, पुणे, नेवल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग, लोनावाला, लाल बहादुर शास्त्री नेशनल एकेडमी ऑफ एडमिनिस्ट्रेशन, सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट, लखनऊ, रामन रिसर्च इंस्टीट्यूट, बेंगलुरु वगैरह शामिल हैं. यह सूची काफी लंबी है.
सोने की खोज
सोना और चांदी दोनों ही ताम्रयुग में मौजूद थे. यानी ईसा से पांच हजार साल पहले मनुष्य ने बालू-रेत और पत्थरों में कण के रूप में उपस्थित इन दोनों धातुओं को हासिल कर लिया था. भारत में सिंधु घाटी की सभ्यता के अवशेषों में सोने-चांदी और तांबे के आभूषण मिले हैं. प्राचीन मिस्र में भी दोनों धातु मिलती हैं. दोनों धातुओं की खासियत है इनका बेहद नरम होना. सोना इतना नरम होता है कि उसके एक ग्राम के टुकड़े से एक वर्ग मीटर की शीट बनायी जा सकती है.
हम जम्हाई क्यों लेते हैं?
जम्हाई मनुष्य ही नहीं जानवर भी लेते हैं. इसके शारीरिक और मानसिक कारणों पर अनुसंधान चल ही रहा है. यह एक प्रकार का रिफ्लेक्स है, जिसमें शरीर में खिंचाव आता है. हाथ-पैर से लेकर चेहरे तक पर इसका असर होता है. मुंह खोल कर व्यक्ति हवा खींचता है. जबड़े से लेकर कान के ड्रम तक खिंचते हैं. एक क्षण बाद व्यक्ति हवा छोड़ता है और शरीर सामान्य हो जाता है.
आमतौर पर काफी काम करने के बाद, तनाव में, नर्वस होने पर या भूख न लगने या ऊबने पर जम्हाई आती है. ब्रेन के न्यूरोट्रांसमिटर्स के सक्रिय होने पर जम्हाई आती है. बहरहाल इसका भावनाओं, मूड और भूख से संबंध है. जम्हाई शरीर को सजग करती है और नर्वसनेस से लड़ती है.

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