टीम में एकता नहीं होगी तो हार निश्चित

बचपन में एक कहानी सुनी थी. आज आपको भी सुनाती हूं. बहुत समय पहले एक विचित्र पक्षी रहता था. उसका धड़ तो एक था, परंतु सिर दो थे. दो सिर की वजह से दिमाग भी दो थे. एक शरीर होने के बावजूद पक्षियों के दोनों सिरों में एकता नहीं थी. यानी वह एक दिशा में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 30, 2016 1:09 AM
बचपन में एक कहानी सुनी थी. आज आपको भी सुनाती हूं. बहुत समय पहले एक विचित्र पक्षी रहता था. उसका धड़ तो एक था, परंतु सिर दो थे. दो सिर की वजह से दिमाग भी दो थे. एक शरीर होने के बावजूद पक्षियों के दोनों सिरों में एकता नहीं थी. यानी वह एक दिशा में नहीं सोचते थे. एक दिन पक्षी भोजन की तलाश में निकला. एक सिर को नीचे गिरा एक फल नजर आया.
उसने फल को चख कर देखा. फिर बोला, ऐसा स्वादिष्ट फल तो मैंने आज तक कभी नहीं खाया. इसके बाद दूसरे सिर ने कहा, जरा मैं भी चख कर देखूं.
पहले सिर ने कहा, यह फल मैंने पाया है और इसे मैं ही खाऊंगा. दूसरे सिर ने बोला, हम दोनों एक ही शरीर के भाग हैं. खाने-पीने की चीजें तो हमें बांट कर खानी चाहिए. इस पर पहला सिर बोला, ठीक है, हम एक शरीर के भाग हैं. पेट हमारा एक ही है. मैं इस फल को खाऊंगा, तो वह पेट में ही जायेगा और पेट तेरा भी है.
इस पर दूसरे ने कहा, खाने का मतलब केवल पेट भरना ही नहीं होता भाई. जीभ का स्वाद भी तो कोई चीज है. पहला सिर गुस्से से बोला, मैंने तेरी जीभ और खाने के मजे का ठेका थोड़े ही ले रखा है. इसके बाद पहला सिर फल खाने लगा. इस घटना के बाद दूसरे सिर ने बदला लेने की ठान ली और मौके की तलाश में रहने लगा.
कुछ दिन बाद फिर पक्षी भोजन की तलाश में घूम रहा था कि दूसरे सिर की नजर एक फल पर पड़ी. वह फल पर चोंच मारने ही जा रहा था कि कि पहले सिर ने चीख कर बोला, इस फल को खाने पर मॄत्यु हो सकती है.
दूसरा सिर बोला, तुझे क्या लेना है कि मैं क्या खा रहा हूं. पहले सिर ने समझाते हुए कहा, तूने यह फल खा लिया तो हम दोनों मर जायेंगे. दूसरा सिर तो बदला लेने पर उतारू था. बोला – मैं खाऊंगा. दूसरे सिर ने विषैला फल खा लिया और पक्षी की मौत हो गयी.
सीख : आपस में फूट हमेशा डुबाती है. किसी भी टीम को सफलता तभी मिलेगी, जब उसमें शामिल लोग आपसी मतभेदों को नजरअंदाज कर काम करेंगे.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in

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