रंग-रूप से न आंकें किसी की सुंदरता

वीना श्रीवास्तव साहित्यकार व स्तंभकार, इ-मेल : veena.rajshiv@gmail.com, फॉलो करें – फेसबुक : facebook.com/veenaparenting ट्विटर : @14veena पिछली बार एक मेल आपसे शेयर किया था, जो एक लड़के ने भरे मन से लिखा था कि वह जिससे प्यार करता है वह लड़की उससे लम्बी और सुंदर है. वह खुद पिछड़ी जाति से है. जब बच्चे […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 29, 2016 12:27 AM
वीना श्रीवास्तव
साहित्यकार व स्तंभकार, इ-मेल : veena.rajshiv@gmail.com, फॉलो करें –
फेसबुक : facebook.com/veenaparenting
ट्विटर : @14veena
पिछली बार एक मेल आपसे शेयर किया था, जो एक लड़के ने भरे मन से लिखा था कि वह जिससे प्यार करता है वह लड़की उससे लम्बी और सुंदर है. वह खुद पिछड़ी जाति से है. जब बच्चे एक-दूसरे को जानते-पहचानते हैं, तो आज के हालात देखते हुए अभिभावकों को समझ जाना चाहिए. सवाल सुंदरता का नहीं. हर वह व्यक्ति सुंदर है, जो मन से सुंदर है, जिसके विचार सुंदर हैं, जिसकी सोच सुंदर है. एक बेटी ने लिखा है कि उसकी फुआ (बुआ) की बेटी है जिसे तीन बार लोग देखने आ चुके, मगर सबने देखने के बाद दीदी को रिजेक्ट कर दिया. दीदी बहुत दुखी रहती है. दीदी सांवली है. वह किसी को चाहती भी है जो दूसरी जाति का है.
इसलिए बुआ बिलकुल भी तैयार नहीं हैं. घर का कोई भी व्यक्ति नहीं चाहता कि दीदी की शादी उसकी मनपसंद जगह हो. वे कहते हैं कि जो दीदी को चाहता है वह केवल उसकी धन-दौलत को चाहता है, क्योंकि वह सांवली है. आखिर दीदी को क्यूं इतना सुनना पड़ रहा है. उसने लिखा है कि दीदी जीना नहीं चाहती. मैंने दीदी से कहा कि तुम भागकर शादी कर लो, तो वह कहती है न घर से भागूंगी न ही घरवालों के विरुद्ध जाकर शादी करूंगी. क्या मेरी दीदी हमेशा ऐसे ही दुखी रहेगी ? हमारे पेरेंट्स हमारी फीलिंग्स को क्यों नहीं समझते ?
एक बात आप लोग सोचिए कि क्या लड़कियां नुमाइश हैं जो उनकी प्रदर्शनी लगायी जाती है! अरेंज मैरिज होती ही है, तो फोटो देखी जा सकती है. हर बार नयी-नयी लड़कियां देखना और मना कर देना, फिर मोलभाव करना, यह कहां तक उचित है ? आप अपने लड़कों का विवाह करने चाहते हैं या सौदा करना चाहते हैं. अगर दहेज ज्यादा मिलता है या आप दहेज दे नहीं सकते, तो कहीं भी शादी कर देते हैं. फिर चाहे आपकी बेटी परेशान रहे. जो दहेज के लिए लड़कियों को ठुकराते हैं, उनका पेट कभी नहीं भरता. एक सज्जन को यह बात नागवार गुजरी. उन्होंने लिखा है कि आप कैसे खुश हो सकती हैं कि जब एक लड़की, लड़कों को रिजेक्ट करे. हम ऐसा समाज बनाएं जिसमें रिजेक्ट करने जैसा कुछ न हो.
मैं सबसे यह कहना चाहती हूं कि कोई किसी को नापसंद करे तो कष्ट होगा. अरेंज मैरिज तो हमेशा ही होती रहेंगी. एक बेटी ने जो खत लिखा है कि उसकी दीदी को तीन बार लड़के देखने आये और मना करके चले गये. इस मामले में क्या एक बार भी लड़की की राय पूछी गयी ? जबकि वह किसी और को चाहती है. उसका विवाह इसलिए नहीं हो रहा कि घरवाले अंतरजातीय विवाह के लिए तैयार नहीं हैं. दूसरी बात वह लड़की सांवली है. इसलिए अगर कोई लड़का उसे चाहता है तो घरवालों को लगता है कि वह उसकी धन-दौलत से प्यार करता है. मतलब यह कि वह सांवली है तो कोई उसे चाह नहीं सकता? अगर घरवालों की यह सोच है तो बाहरवाले क्या सोचेंगे? हर बार एक अजनबी के सामने उसे पेश किया जाता है. क्यों? क्यों आप लोग बेटियों की नुमाइश कर रहे हैं?
क्या कभी आपने सोचा कि जिस लड़की के साथ ऐसा होता है उसके दिल पर, दिमाग पर क्या गुजरती है? किस तरह की भावनाएं घर कर जाती हैं. सुंदरता शरीर और गोरे रंग से नहीं होती, बल्कि अच्छे विचारों से होती है. अच्छी सोच से होती है. कब तक लड़कियों की बेबसी खरीदी जायेगी? अगर लड़की गरीब घर से है, तो क्या उसकी भावनाएं मरजानी चाहिए? करीब 18 वर्ष पहले की बात है.
मेरी एक बहुत खास परिचित थी, जो कि ऐसे परिवार से थी जहां खाने के भी लाले थे. आस-पास के लोग घर की दूसरी बेटियों पर बुरी नजर भी रखते थे. वह लड़की बहुत सुशील, घरेलू काम में निपुण और व्यवहारकुशल थी. उसके लिए एक अमीर घर से रिश्ता आया. जिन्होंने कहा कि आप हमें बस अपनी बेटी दे दीजिए. इसके अलावा हमें कुछ नहीं चाहिए. लड़के के पैर खराब थे. वह चल नहीं पाता था. उन्होंने यह भी कहा कि आपकी छोटी बेटी को भी हम साथ ले जायेंगे और पढ़ायेंगे भी.
वह लड़की तैयार हो गयी, लेकिन उसकी आंखों में आंसू थे. उसने कहा- कम-से-कम मेरी बहन सुरक्षित तो रहेगी. मेरे भाग्य का फैसला तो किस्मत ने कर दिया. मगर वह पढ़-लिख जायेगी तो अपनी मरजी से जीवन जी सकेगी. इसमें खुशी भी थी कि उसकी छोटी बहन को किसी के आगे मजबूर नहीं होना पड़ेगा. जब तक हम किसी से प्यार नहीं करते तब तक जीवनसाथी के लिए कुछ सपने होते हैं. हां, अगर हम किसी को चाहते हैं तब ये बातें मायने नहीं रखतीं कि उसकी जाति, रूप-रंग कैसा है. वह वाकई बहुत सुशील थी जिसने अपनी बहन के लिए वह रिश्ता मंजूर किया.
कभी किसी की बेबसी, मजबूरी नहीं खरीदनी चाहिए. यह कोई नयी बात नहीं है. कई बार धनवान अपनी बेटियों के लिए लड़के भी खरीदते हैं और लड़के मजबूरी में शादी करते हैं, कम्प्रोमाइज करते हैं. जो मन से सुंदर है वह सत्यम-शिवम-सुंदरम् का पर्याय है. शरीरिक सौन्दर्य आज है, कल नहीं रहेगा. यह शरीर अपनी अवस्था में बना नहीं रहता, बल्कि समय के साथ गलता जाता है.
रूप-रंग भी सदैव नहीं रहता. मगर जो गुण व्यक्तित्व में हैं, स्वभाव में हैं, वे कभी नहीं गलेंगे बल्कि समय के साथ और परिपक्व होंगे. रंग से कोई सुंदर नहीं होता. जो बेटियां सांवली हैं, वे किसी से कम नहीं. आप अपना कैरियर बनाएं और खुद के पैरों पर खड़ी हों. माता-पिता से विनती ही कर सकती हूं कि किसी लड़की या लड़के की बेबसी, गरीबी या मजबूरी न खरीदें.
क्रमश:

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