समय पर नियंत्रण के लिए उसके पाबंद रहें

एक बुजुर्ग हमारे दफ्तर में आये थे. उन्होंने खुद अपनी उम्र करीब 61-62 वर्ष बतायी. वे रिटायर्ड हैं, लेकिन उनके भीतर का उत्साह 26-27 वर्ष के युवा को भी शर्मिंदा कर सकता है. हिंदी, उर्दू और अंगरेजी के अच्छे जानकार हैं. उन्हें हमारे लिए कुछ काम करना था. काम के संबंध में कुछ सुझाव देने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 28, 2016 8:26 AM

एक बुजुर्ग हमारे दफ्तर में आये थे. उन्होंने खुद अपनी उम्र करीब 61-62 वर्ष बतायी. वे रिटायर्ड हैं, लेकिन उनके भीतर का उत्साह 26-27 वर्ष के युवा को भी शर्मिंदा कर सकता है. हिंदी, उर्दू और अंगरेजी के अच्छे जानकार हैं. उन्हें हमारे लिए कुछ काम करना था. काम के संबंध में कुछ सुझाव देने और लेने के लिए वह तय समय से एक दिन पहले हमारे दफ्तर आये. उनका काम पांच मिनट से कम समय में हो गया. जाने से पहले उन्होंने कहा, मुझे यह काम कल खत्म करना था, लेकिन कुछ शंकाएं थीं, जिन्हें दूर करना जरूरी था.

इसलिए आज ही आपलोगों के पास आ गया, ताकि काम समय पर खत्म हो जाये. उन्होंने जाने के पहले एक बड़ी सीख दी. बोले, समय बहुत है, लेकिन इस पर किसी का नियंत्रण नहीं है. कभी लगता है कि यह कट ही नहीं रहा है और कभी लगता है कि बहुत कम समय बचा हुआ है. समय को अपने नियंत्रण में रखने के लिए हर काम को समय पर करना जरूरी है. इसके लिए समय का पाबंद होना होगा. अगर व्यक्ति समय का पाबंद नहीं होगा, तो समय उसका साथ नहीं देगा. उसे समय से हमेशा शिकायत रहेगी.

जो व्यक्ति समय का पाबंद रहेगा, समय हमेशा उसका साथ देगा. उन्होंने बताया कि यह पाबंदी जीवन के हर क्षेत्र में लागू होती है. ऐसा नहीं हो सकता है कि कोई अपने दफ्तर का काम समय पर करे और घर आने पर समयनिष्ठा को दफ्तर के दराज में रख कर आये. उन्होंने बताया कि ऐसा करने वाला समय का पाबंद नहीं हो सकता है क्योंकि दफ्तर के बाहर उसने समय के साथ जो खिलवाड़ किया है, उसका प्रभाव दफ्तर के समय पर पड़ेगा.

समय को कभी भी टुकड़ों में नहीं बांटना चाहिए, अपने काम को उसके अनुसार एडजस्ट करना चाहिए. उन बुजुर्ग ने हमारा दस मिनट से भी कम समय लिया होगा, लेकिन उनकी बातों ने हमलोगों को बहुत देर तक सोचने को मजबूर किया. कितना सही कहा उन्होंने, समय के पाबंद रहेंगे, तभी समय से शिकायत नहीं रहेगी.

daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in

Next Article

Exit mobile version