‘पाक को एफ़16 अमरीकी करदाता के पैसे से नहीं’

ब्रजेश उपाध्याय बीबीसी संवाददाता, वॉशिंगटन अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने पाकिस्तान को आठ एफ़-16 लड़ाकू विमान बेचे जाने के फ़ैसले को सही ठहराया है. उनका कहना है कि पाकिस्तान एक सहयोगी देश है और उसकी फ़ौज ने आतकंवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में काफ़ी साथ दिया है. केरी ने ये बयान अमरीकी सीनेट की विदेश […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 24, 2016 12:29 PM
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अमरीकी विदेश मंत्री जॉन केरी ने पाकिस्तान को आठ एफ़-16 लड़ाकू विमान बेचे जाने के फ़ैसले को सही ठहराया है.

उनका कहना है कि पाकिस्तान एक सहयोगी देश है और उसकी फ़ौज ने आतकंवाद के ख़िलाफ़ लड़ाई में काफ़ी साथ दिया है.

केरी ने ये बयान अमरीकी सीनेट की विदेश मामलों की समिति के सवाल के जवाब में दिया.

समिति के अध्यक्ष सीनेटर बॉब कार्कर पाकिस्तान को ये विमान बेचे जाने के बिल्कुल ख़िलाफ़ हैं. उन्होंने इसी महीने जॉन केरी को पत्र लिखकर कहा था कि वो ओबामा प्रशासन को अमरीकी करदाताओं का पैसा पाकिस्तान पर नहीं खर्च करने देंगे.

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मंगलवार को सीनेटर कार्कर ने पाकिस्तान पर दोहरी नीति अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वो अभी-अभी अफ़गानिस्तान के दौरे से लौटे हैं.

उन्होंने आरोप लगाया कि वहां स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है कि पाकिस्तान अभी भी तालिबान, हक्कानी नेटवर्क और अल-क़ायदा को पनाह दे रहा है.

उनका कहना था, "वो बेशक ये विमान खरीदें और किसी और कंपनी की जगह अमरीकी कंपनी से खरीदें. लेकिन अमरीकी जनता के टैक्स के पैसे से ऐसा न हो."

कार्कर का कहना था कि विदेश मामलों की समिति के अध्यक्ष की हैसियत से वो अमरीकी करदाता का एक पैसा भी इसमें खर्च करने के हक़ में नहीं हैं.

इसके जवाब में जॉन केरी का कहना था कि हाल ही में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ के साथ हुई मुलाक़ात के दौरान वो स्पष्ट कर चुके हैं कि पाकिस्तान को सभी चरमपंथी गुटों कि ख़िलाफ़ कार्रवाई करनी होगी.

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केरी का कहना था, "पाकिस्तानी फ़ौज आतंकवाद के ख़िलाफ़ काफ़ी सहयोग कर रही है. उनके हज़ारों लोग इसमें मारे गए हैं. साथ ही उनके कम से कम एक लाख 60 फ़ौजी देश के पश्चिमी हिस्सों में बड़ी फ़ौजी कार्रवाई कर रहे हैं. इस वजह से हक्कानी नेटवर्क को उन ठिकानों को छोड़ना पड़ा है."

उनका कहना था कि ये पूरा मामला काफ़ी जटिल है और वहां कुछ और ताक़तें भी सक्रिय हैं जिनके बारे में वो इस खुले सत्र में बात नहीं कर सकते.

ग़ौरतलब है कि कांग्रेस के पास इस बिक्री पर रोक लगाने के लिए तीस दिन का समय है.

इसी महीने अमरीकी विदेश विभाग ने पाकिस्तान के लिए क़रीब 86 करोड़ डॉलर का बजट पास किया. इसमें से 27 करोड़ फ़ौजी साजोसामान के लिए थे.

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अमरीकी रक्षा विभाग की तरफ़ से जारी एक बयान के मुताबिक़ इन आठ विमानों और उससे जुड़े अन्य उपकरणों की क़ीमत क़रीब 70 करोड़ डॉलर है. तो अंदाज़ा ये लगाया जा रहा है कि अगर ये बिक्री होती है तो इसमें से 43 करोड़ डॉलर पाकिस्तान को ख़ुद खर्च करना होगा.

भारत ने भी इस बिक्री का ख़ासा विरोध किया है. दिल्ली में अमरीकी राजदूत को बुलाकर आपत्ति दर्ज कराई गई है.

अमरीकी रक्षा मंत्रालय ने कहा था कि भारत को इस बिक्री से किसी तरह की चिंता नहीं होनी चाहिए क्योंकि प्रशासन ने क्षेत्रीय सुरक्षा स्थिति के आकलन के बाद ही ये फ़ैसला किया है.

रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता का ये भी कहना था कि अमरीका भारत और पाकिस्तान के साथ अपने रिश्तों को अलग-अलग ऱखता है.

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