अपने फायदे के लिए ग्राहकों को धोखा न दें

दक्षा वैदकर मेरी एक दोस्त का पुराना टेलर किसी दूसरे शहर शिफ्ट हो गया है. उसने कुछ दिनों पहले ही एक नया बूटिक तलाशा और वहां अपनी दो महंगी साड़ियां पीको, फॉल के लिए दीं और वहीं उन साड़ियों के स्टाइलिश ब्लाउज भी सिलने के लिए दे दिये. इन सब कामों के करीब 2200 रुपये […]

By Prabhat Khabar Print Desk | February 6, 2016 5:58 AM
दक्षा वैदकर
मेरी एक दोस्त का पुराना टेलर किसी दूसरे शहर शिफ्ट हो गया है. उसने कुछ दिनों पहले ही एक नया बूटिक तलाशा और वहां अपनी दो महंगी साड़ियां पीको, फॉल के लिए दीं और वहीं उन साड़ियों के स्टाइलिश ब्लाउज भी सिलने के लिए दे दिये. इन सब कामों के करीब 2200 रुपये लग रहे थे.
बूटिक वाली को माप देने के दौरान दोनों में अच्छी-खासी बातचीत भी हुई. अंत में 15 दिन बाद डिलीवरी देना तय हुआ. जिस दिन डिलीवरी लेने के लिए मेरी दोस्त बूटिक पहुंची तो उसने रसीद निकालने के लिए पर्स में हाथ डाला. वह रसीद कहीं नहीं मिली. पर्स में ढेर सारे कागजात थे. वह एक-एक कर सभी को निकालती गयी, लेकिन वह रसीद मिलने का नाम ही नहीं ले रही थी.
उसने बूटिक वाली से कहा कि रसीद नहीं मिल रही है, लेकिन आप तो जानती ही हो कि कौन-सी साड़ी है और कौन-सा ब्लाउज. मैं भी पहचान लूंगी. आप ऐसे ही दे दो. बूटिक वाली ने साफ मना कर दिया. दोस्त ने बहुत कहा कि रसीद गुम जायेगी, तो क्या आप मेरी साड़ियां नहीं दोगी? उसने मना कर दिया, यह कह कर कि कोई भी धोखे से दूसरे की साड़ी-ब्लाउज ले जायेगा, तो हम क्या करेंगे.
उसने कड़क लहजे में कहा, जब तक आप रसीद नहीं लातीं, तब तक हम सामान नहीं दे सकते. दोस्त को यकीन नहीं हो रहा था कि यह वही आंटी हैं, जिन्होंने उस दिन इतनी अच्छी तरह बात की थी. उसने भी लहजा बदला और कहा कि वो साड़ियां बहुत महंगी हैं. आप इस तरह उन्हें रख नहीं सकतीं. मैं उपभोक्ता फोरम में जाऊंगी और केस करूंगी. बूटिक वाली ने कहा, ‘जाओ, करो.. बिना रसीद के वो भी नहीं मानेंगे. आप कैसे साबित करोगे कि आपने मेरे यहां साड़ी दी भी थी.’
मेरी दोस्त उसे गालियां देते, रोते हुए घर आ गयी. चार-पांच दिन बाद पर्स के किसी कोने में उसे वह रसीद मिल गयी. वह तुरंत बूटिक गयी. वही महिला काउंटर पर खड़ी थी. उसने रसीद उसके सामने रख दी. वह भीतर गयी और साड़ियां और ब्लाउज लेकर आ गयी और उन्हें थैली में भर कर उसे दे दिया. मुस्कुराते हुए बोली – दोबारा आना दीदी..
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– यह माना कि रसीद संभाल कर रखनी चाहिए, लेकिन अगर कोई इनसान रसीद भूल जाये, तो क्या आप जान-बूझ कर उसके साथ ऐसा करेंगे?
– आपने दो साड़ियों के लालच में अच्छा ग्राहक खो दिया. वह ग्राहक आपको सालों तक काम देता. अब वह आपकी इमेज भी मार्केट में खराब करेगा.

Next Article

Exit mobile version