क्राइम कंट्रोल की कवायद: स्पीडी ट्रायल से होगी बदमाशों को सजा

पटना: राज्य में डकैती, चोरी, किडनैपिंग जैसे अन्य सभी संगठित अपराधों को रोकने पर पुलिस खासतौर से फोकस करेगी. इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने खासतौर से कार्ययोजना तैयार की है. इस तरह के मामलों में अब स्पीडी ट्रायल तेज की जायेगी. अपराधियों को स्पीडी ट्रायल के जरिये हर हाल में सजा दिलाने की कोशिश तेज […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 26, 2015 9:05 AM
पटना: राज्य में डकैती, चोरी, किडनैपिंग जैसे अन्य सभी संगठित अपराधों को रोकने पर पुलिस खासतौर से फोकस करेगी. इसके लिए पुलिस मुख्यालय ने खासतौर से कार्ययोजना तैयार की है. इस तरह के मामलों में अब स्पीडी ट्रायल तेज की जायेगी. अपराधियों को स्पीडी ट्रायल के जरिये हर हाल में सजा दिलाने की कोशिश तेज होगी. पिछले कुछ सालों में स्पीडी ट्रायल की संख्या काफी कम हुई है. इस कारण अपराधियों खासकर संगठित अपराधों से जुड़े अपराधियों को सजा नहीं हो पा रही थी.
समीक्षा करने का सौंपा जिम्मा : डीजीपी पीके ठाकुर ने संगठित अपराधों के मामलों में कमी लाने और इसकी सतत समीक्षा करने के लिए पुलिस महकमे के आंतरिक विभागों को अलग-अलग जिम्मेवारी सौंपी है. संबंधित विभाग आवंटित कार्यों की समीक्षा प्रत्येक सप्ताह करेंगे. इसमें अपराध की समीक्षा करने की जिम्मेवारी सीआइडी, अपराध गिरोह की समीक्षा आइजी (ऑपरेशन) और महिला से जुड़े तमाम तरह के अपराधों की समीक्षा आइजी (कमजोर वर्ग) को सौंपी गयी है. प्रत्येक सप्ताह रिपोर्ट मंगवाकर अपराध को नियंत्रित करने की ठोस पहल की जायेगी.
संगठित अपराधों की बढ़ी संख्या : स्पीडी ट्रायल नहीं होने और संगठित अपराधों में शामिल अपराधियों को सजा मिलने में ज्यादा समय लगने के कारण, इसमें अधिकांश मामलों में अपराधियों का कुछ समय बाद बेल हो जाता है. इस कारण संगठित अपराधों की संख्या अन्य तरह के अपराधों की तुलना में काफी बढ़ी है.
इस वर्ष अब तक चोरी के 3229, डकैती के 316, किडनैपिंग (शादी की नियत से लेकर अन्य सभी तरह के अपहरण) के मामले 5506, लूट के 2450, चोरी के 16300 मामले प्रकाश में आये हैं. जबकि हत्या (यह संगठित और असंगठित दोनों में आता है) के मामले 2463, रेप के 827, सांप्रदायिक और अन्य तरह के तनाव के 174, जमीन विवाद के 206 मामले ही सामने आये हैं.
पिछले साल की तुलना में कम हुए अपराध
पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि राज्य में पिछले दो सालों की तुलना में इस वर्ष सभी तरह के अपराधों की संख्या में कमी आयी है. फिर भी असंगठित अपराध पुलिस के सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है.
आंकड़ों पर एक नजर
अपराध 2013 2014 2015
सां तनाव 210 262 174
जमीन विवाद 269 290 206
फसाद 3441 3403 2463
ठगी 4193 4674 3229
हत्या 3441 3403 2463
डकैती 579 538 316
चोरी 21490 22888 16300
लूट 1521 1600 2450
किडनैपिंग 5506 6570 5506

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