शॉर्ट-टर्म मेमोरी लॉस का समाधान

आम तौर पर मस्तिष्क में चोट लगने या किसी अन्य बीमारी के कारण शॉर्ट-टर्म मेमोरी लॉस की समस्या पैदा हो जाती है. ‘साइंस डेली’ के मुताबिक, साउदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी (यूएससी) के शोधकर्ता इससे संबंधित परीक्षण को अंजाम दे रहे हैं, ताकि शॉर्ट-टर्म मेमोरी को लॉन्ग-टर्म में बदला जा सके. यूएससी और वेक फॉरेस्ट बैप्टिस्ट मेडिकल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 1, 2015 5:33 AM
आम तौर पर मस्तिष्क में चोट लगने या किसी अन्य बीमारी के कारण शॉर्ट-टर्म मेमोरी लॉस की समस्या पैदा हो जाती है. ‘साइंस डेली’ के मुताबिक, साउदर्न कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी (यूएससी) के शोधकर्ता इससे संबंधित परीक्षण को अंजाम दे रहे हैं, ताकि शॉर्ट-टर्म मेमोरी को लॉन्ग-टर्म में बदला जा सके.
यूएससी और वेक फॉरेस्ट बैप्टिस्ट मेडिकल सेंटर के शोधकर्ताओं ने मिल कर एक ऐसी ब्रेन प्रोस्थेसिस को विकसित किया है, जिसके माध्यम से याददाश्त खोने की समस्या का समाधान किया जा सकता है. प्रोस्थेसिस में दिमाग में इलेक्ट्रॉड्स की छोटी सारणियों को इंप्लांट किया जाता है. दरअसल, जब दिमाग संवेदी इनपुट हासिल करता है, तो मस्तिष्क में जटिल इले्ट्रिरकल सिगनल के प्रारूप में एक प्रकार की मेमोरी का सृजन होता है, जो बे्रन के मेमोरी सेंटर कहे जानेवाले हिप्पोकैंपस के प्रत्येक इलाके में घूमता रहता है.
ये सिगनल दिमाग में इनकोडेड होते रहते हैं और उस इलाके में तब तक घूमते रहते हैं, जब तक उनका लॉन्ग टर्म स्टोरेज नहीं हो जाता. हालांकि, प्रयोगशाला में पशुओं पर इसका परीक्षण किया जा चुका है और अब इंसानों पर इसके असर का मूल्यांकन किया जा रहा है.

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