इंटरनेट के इस्तेमाल में सतर्कता

स्मार्टफोन और इंटरनेट के इस्तेमाल से इंसान की जासूसी करना आसान हो रहा है. खबरों में बताया जाता रहा है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने कई नेताओं समेत दुनियाभर के लोगों की जासूसी की है. ऐसे में इस तरह की जासूसी के निशाने पर आप भी हो सकते हैं. फेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 1, 2015 5:27 AM
स्मार्टफोन और इंटरनेट के इस्तेमाल से इंसान की जासूसी करना आसान हो रहा है. खबरों में बताया जाता रहा है कि अमेरिकी खुफिया एजेंसी ने कई नेताओं समेत दुनियाभर के लोगों की जासूसी की है. ऐसे में इस तरह की जासूसी के निशाने पर आप भी हो सकते हैं.
फेसबुक, गूगल और माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी कंपनियों के पास आपकी अलग-अलग जानकारी होती है. पूरी जानकारी को कंपनी का हर सदस्य नहीं देख सकता है. उनके पास आपका नियमित डाटा होता है, वे आपके मेसेज नहीं खोल सकते हैं. लेकिन जब खुफिया एजेंसी के पास आपके कंप्यूटर पर चल रहे माइक्रोसॉफ्ट प्रोसेसर से लेकर आपके गूगल, फेसबुक और दूसरे अहम अकाउंट की जानकारी होती है, तो उनके पास सब कुछ होता है.
इन एजेंसियों के पास ऐसे सॉफ्टवेयर होते हैं, जिनके माध्यम से वे जब चाहें आपके कंप्यूटर से खुद अपने कंप्यूटर को जोड़ कर आपकी हर गतिविधियों को समझ सकते हैं. हालांकि, अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पारित कानून के अनुसार केवल जिस व्यक्ति पर शक है, उसके अकाउंट से जुड़ी जानकारी के लिए खुफिया एजेंसी को पहले अदालत से अनुमति लेनी होती है.
इसके आधार पर उन्हें इंटरनेट कंपनियां सर्वर तक की पहुंच देती हैं. थोड़ी बहुत इंटरनेट जासूसी सभी देशों की सरकार करती है. यह देश की सुरक्षा के लिए अहम भी है. इसमें कंप्यूटर के डाटा के साथ-साथ आपके फोन की सारी जानकारी भी मौजूद है.

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