बॉस नहीं, लीडर बन कर संघर्ष करें

दक्षा वैदकर नेपोलियन बोनापार्ट कहीं जा रहा था. रास्ते में उसकी नजर एक दृश्य पर पड़ी. वह रु क गया. उसने देखा कि कई कुली मिल कर भारी खंभों को उठाने का प्रयास कर रहे हैं. पास में ही खड़ा एक व्यक्ति उन्हें तरह-तरह के निर्देश दे रहा है. नेपोलियन ने उस आदमी के करीब […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 28, 2015 11:01 PM
दक्षा वैदकर
नेपोलियन बोनापार्ट कहीं जा रहा था. रास्ते में उसकी नजर एक दृश्य पर पड़ी. वह रु क गया. उसने देखा कि कई कुली मिल कर भारी खंभों को उठाने का प्रयास कर रहे हैं.
पास में ही खड़ा एक व्यक्ति उन्हें तरह-तरह के निर्देश दे रहा है. नेपोलियन ने उस आदमी के करीब जाकर कहा, भला आप क्यों नहीं इन बेचारों की मदद करते? उस व्यक्ति ने गुस्से में कहा, तुङो मालूम हैं, मैं कौन हूं? नेपोलियन ने विनम्रता से कहा, नहीं भाई मैं तो अजनबी हूं. मैं क्या जानूं कि आप कौन हैं?
वह व्यक्ति बोला, मैं ठेकेदार हूं. नेपोलियन बिना कुछ कहे मजदूरों का हाथ बंटाने लगा और उनका काम जल्दी हो गया.
जब नेपोलियन जाने लगा तो ठेकेदार ने पूछा कि आप कौन हैं? नेपोलियन ने अपना परिचय देते हुए कहा, ठेकेदार साहब मैं नेपोलियन बोनापार्ट हूं. यह सुन कर ठेकेदार चौंक गया. उसने अपनी असभ्यता के लिए माफी मांगी.दरअसल घर हो या ऑफिस, ऐसे लोग आपको जरूर मिल जायेंगे.
इन्हें लगता है कि ये बड़े पद पर हैं, इसलिए इन्हें कर्मचारियों के साथ काम नहीं करना चाहिए. छोटों के साथ काम करने से यह अपना अपमान समझते हैं. भले ही काम इनकी मदद करने से जल्दी हो जाये, लेकिन ये सिर्फ ऑर्डर देते रह जाते हैं. ऐसे में कर्मचारियों के दिल में भी इनके प्रति नफरत का भाव पैदा होने लगता है. उन्हें भी लगता है कि यह कंपनी के नुकसान का हवाला दे कर हम पर इतना चिल्ला रहा है. काम तेजी से करने को कह रहा है.
अगर कंपनी से इतना ही प्यार है, तो कंपनी की भलाई के लिए हमारी थोड़ी मदद क्यों नहीं कर देता? कर्मचारियों का सोचना भी गलत नहीं है. दरअसल ऐसी स्थिति आने पर अधिकारी को भी बॉस की तरह व्यवहार न कर, लीडर की तरह व्यवहार करना चाहिए. क्योंकि बॉस आदेश देता है, लेकिन लीडर अपनी टीम के साथ-साथ चलता है. उनके साथ संघर्ष करता है.इस तरह वह अपनी टीम के दिल के ज्यादा करीब पहुंच जाता है. ऐसे बॉस को टीम अपने सिर आंखों पर बैठा कर रखती है.
बात पते की..
– किसी भी काम को अपने ओहदे से नहीं देखना चाहिए और न ही किसी काम को छोटा समझना चाहिए.
– बॉस बनने की बजाय लीडर बनने की कोशिश करें. अपनी टीम के साथ संघर्ष करें. उनके साथ कंधे से कंधा मिला कर खड़े रहें.

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