संरा प्रमुख ने अफगान सरकार, तालिबान के बीच सीधी बातचीत का किया स्वागत

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और अफगानिस्तान में उनके विशेष प्रतिनिधि निकोलस हेसम ने अफगान सरकार और तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच पाकिस्तान में हुई बातचीत का स्वागत करते हुए दोनों पक्षों से सुलह सहमति और शांति की दिशा में आगे बढने का आग्रह किया है. विश्व संस्था के महासचिव के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 9, 2015 11:08 AM

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून और अफगानिस्तान में उनके विशेष प्रतिनिधि निकोलस हेसम ने अफगान सरकार और तालिबान के प्रतिनिधियों के बीच पाकिस्तान में हुई बातचीत का स्वागत करते हुए दोनों पक्षों से सुलह सहमति और शांति की दिशा में आगे बढने का आग्रह किया है. विश्व संस्था के महासचिव के प्रवक्ता ने कल यहां एक बयान जारी किया जिसमें बान ने इस्लामाबाद में सात जुलाई को अफगान सरकार और तालिबान के बीच संपन्न सीधी बातचीत का स्वागत किया है.

बयान में कहा गया है ‘‘(महासचिव) अफगान नीत और अफगान की स्वयं की शांति प्रक्रिया को समर्थन दोहराते हैं. हम पक्षों की प्रतिबद्धता और मेजबान पाकिस्तान की रचनात्मक भूमिका की सराहना करते हैं.’’ एक अन्य विज्ञप्ति में हेसम ने भी सीधी बातचीत का स्वागत किया और दोनों पक्षों से सुलह सहमति और शांति की दिशा में आगे बढने का आग्रह किया है. हेसम अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन के प्रमुख भी हैं. पिछले माह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में हेसम ने दोनों पक्षों के बीच सीधी बातचीत का विशेष तौर पर आग्रह किया था। इस बात का जिक्र करते हुए उन्होंने दोहराया कि अफगान जनता उनके जीवन के हर पहलू को प्रभावित करने वाली हिंसा का अंत चाहती है.

हेसम ने कहा ‘‘दीर्घकाल में शांति आवश्यक है. मैं दोनों पक्षों की आमने सामने हुई बातचीत का स्वागत करता हूं क्योंकि यह संवाद के जरिये समझौते और उस शांति की दिशा में प्रगति हासिल करने का एकमात्र रास्ता है जिसका अफगानिस्तान हकदार है.’’ अफगानिस्तान में बान की मून के विशेष प्रतिनिधि निकोलस हेसम ने बातचीत को ऐसी शुरुआत बताया जो थोडी लंबी और चुनौतीपूर्ण प्रक्रिया हो सकती है. लेकिन इस महत्वपूर्ण पहले कदम को उठाने के लिए उन्होंने दोनों पक्षों की और बैठक की मेजबानी करने के लिए पाकिस्तान सरकार की सराहना की.

हेसम ने कहा कि इस बातचीत को अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संबंध बनाने के लिए हाल ही में किए गए ठोस प्रयासों के नतीजे के तौर पर समझा जाना चाहिए. बच्चों और सशस्त्र संघर्ष संबंधी मामलों में महासचिव के विशेष प्रतिनिधि लीला जेरौगुई ने अफगान सरकार से आगे होने वाली किसी भी बातचीत में बच्चों की सुरक्षा के उपायों पर ध्यान देने के लिए कहा.

जेरौगुई ने कहा ‘‘बातचीत की शुरुआत से ही बच्चों की सुरक्षा के महत्व पर जोर देना जरुरी है.’’ समझा जाता है कि तालिबान, हक्कानी नेटवर्क और हिज्ब ए इस्लामी अफगानिस्तान में बच्चों के खिलाफ हिंसा के लिए लगातार साजिश रचते रहे हैं. वर्ष 2007 से बच्चों एवं सशस्त्र संघर्ष पर संयुक्त राष्ट्र महासचिव की वैश्विक सालाना रिपोर्ट में तीनों गुट सूचीबद्ध रहे हैं.

जेरौगुई ने कहा कि ये गुट बच्चों का उपयोग विस्फोटक उपकरण बनाने, उन्हें लाने ले जाने तथा लगाने के लिए करते हैं तथा बच्चों को आत्मघाती हमले करने के लिए बाध्य करते हैं. इस बात का जिक्र महासचिव की अफगानिस्तान पर एक सितंबर 2010 से 31 दिसंबर 2014 तक की अवधि की ‘कंटरी रिपोर्ट्स’ में है.

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