हर परिस्थिति को नकारात्मक न लें

दक्षा वैदकर एक बार किसी कंपनी में नियुक्त दो लोगों को उनके प्रचार प्रमुख ने बुलाया और कहा कि फलां क्षेत्र में जा कर हमें अपने जूतों के मार्केट की संभावनाएं तलाशनी हैं. पहले इनमें से एक व्यक्ति वहां गया. वहां के लोगों का रहन-सहन कुछ इस तरह का था कि वे आम तौर पर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 7, 2015 5:39 AM
दक्षा वैदकर
एक बार किसी कंपनी में नियुक्त दो लोगों को उनके प्रचार प्रमुख ने बुलाया और कहा कि फलां क्षेत्र में जा कर हमें अपने जूतों के मार्केट की संभावनाएं तलाशनी हैं. पहले इनमें से एक व्यक्ति वहां गया. वहां के लोगों का रहन-सहन कुछ इस तरह का था कि वे आम तौर पर जूते पहनते ही नहीं थे.
वह व्यक्ति अपनी रिपोर्ट बना कर लाया और बोला- सर, वहां के लोगों ने शायद आज तक जूते पहने ही नहीं हैं. हमारा बिजनेस वहां नहीं चलने वाला. अब दूसरे व्यक्ति को भेजा गया. उसने भी यही स्थिति देखी. वह आ कर बोला- सर, यहां के लोगों ने शायद कभी जूते नहीं पहने और यही बात हमारे बिजनेस को यहां स्थापित करने में उपयोगी साबित हो सकती है. हम इन्हें बेहतर जूते उपलब्ध करवा कर जूते पहनना सिखा सकते हैं. इसलिए हमारे पास कस्टमर बेस की पर्याप्त संभावनाएं हैं.
प्रचार प्रमुख इससे बहुत खुश हुआ, क्योंकि उसके सकारात्मक नजरिये ने संभावनाएं तलाश ली थीं. यह कहानी सीख देती है कि जीवन में अपना नजरिया हमेशा सकारात्मक रखना चाहिए. ऐसा कई बार होता है कि हमारे सामने कोई परिस्थिति आती है और हम उसके प्रति नकारात्मक नजरिया चुनते हैं. किसी ने हमें देख कर स्माइल नहीं दी, तो हमें लगता है कि वह नाराज है या हमें पसंद नहीं करता. हम ये सोच ही नहीं सकते हैं कि वह जल्दबाजी में होगा या उसके साथ आज कुछ बुरा हुआ होगा, इसलिए स्माइल का मूड नहीं होगा.
यदि किसी ने हमारे शादी के प्रपोजल को ठुकरा दिया, तो हम डिप्रेशन में चले जाते हैं, यह सोच कर कि हमारे अंदर कमी है. हम यह नहीं सोचते कि सामनेवाले का स्वभाव हमारे स्वभाव से मेल नहीं खाता, इसलिए मना हो सकता है. अगर कोई हमारा फोन दो-तीन बार नहीं उठाता, तो हम किसी अनहोनी के बारे में सोचते हैं या उसके नाराज होने का. हम कई घंटे परेशान रहते हैं कि सामनेवाले ने मेरा फोन नहीं उठाया, उसने मुङो इग्नोर किया, आखिर किस बात से नाराज है, वगैरह.आखिरकार बाद में पता चलता है कि वह मीटिंग में था या फोन घर पर भूल कर कहीं चला गया था.
बात पते की..
– हर बात को नकारात्मक तरीके से लेना बंद करें. यह खराब आदत आपकी कार्यक्षमता घटाती है. आपको निराश व डिप्रेस बनाती है.
– जब आप सकारात्मक सोच रखते हैं, तो आपके अंदर एक आत्मविश्वास पैदा होता है. आप खुश होते हैं और दूसरों को भी खुश रखना सीखते हैं.

Next Article

Exit mobile version