हर जगह अपनायें मम्मी वाला तरीका

दक्षा वैदकर हम सभी के साथ बचपन की एक याद जरूर जुड़ी है. हम अपना कोई ड्रेस तलाश-तलाश कर थक जाते थे, चिड़चिड़े हो जाते थे और पूरे घर में चिल्लाते फिरते थे कि मेरा वह ड्रेस कहां गया? और मम्मी बार-बार अपना काम करते हुए कहती थी- ‘ठीक से देखो. वहीं अलमारी में ही […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 1, 2015 5:40 AM
दक्षा वैदकर
हम सभी के साथ बचपन की एक याद जरूर जुड़ी है. हम अपना कोई ड्रेस तलाश-तलाश कर थक जाते थे, चिड़चिड़े हो जाते थे और पूरे घर में चिल्लाते फिरते थे कि मेरा वह ड्रेस कहां गया? और मम्मी बार-बार अपना काम करते हुए कहती थी- ‘ठीक से देखो.
वहीं अलमारी में ही रखा है.’ और हम चिल्लाते हुए कहते थे- ‘नहीं मिल रहा. यहां नहीं है.’ आखिरकार मम्मी को किचेन का काम छोड़ कर आना पड़ता और वह अलमारी के उसी हिस्से से वह ड्रेस निकाल कर दिखा देती थी, जिसे हम कई बार देख चुके थे. जैसे-जैसे हम बड़े होते जाते हैं, चीजों को तलाशने का मम्मीवाला तरीका हम सीख जाते हैं. संयम के साथ गहरी सांसें लेते हुए चीजें तलाशना शुरू कर देते हैं. यह तरीका बहुत कारगर है. लेकिन कई लोग यह तरीका बड़े होने के बाद भी नहीं सीख पाते.
यहां हम बात चीजों को तलाशने की नहीं, बल्कि ऑफिस से जुड़े कामों की कर रहे हैं. कई बार हमारे सीनियर हमें कोई काम देते हैं और हम एक-दो बार ट्राय करके उन्हें कह देते हैं कि यह काम नहीं हो सकता या ये चीज मुमकिन नहीं. जब ऐसा जवाब हम एक-दो बार दे देते हैं, तो वह सीनियर समझ जाता है कि इस व्यक्ति में धैर्य व लगन की कमी है.
यह किसी भी चीज में मेहनत नहीं करना चाहता. ऐसी इमेज बन जाने के बाद या तो कंपनी उस व्यक्ति को नौकरी से निकाल देती है या उसे कोई भी जिम्मेवारी देने से बचने लगती है. इस तरह हम कंपनी के किसी एक कोने में रूटीन काम करते हुए अपनी जिंदगी बिता देते हैं.
आज यह समस्या युवाओं में ज्यादा नजर आ रही है. उनमें धैर्य की कमी है. वे चाहते हैं कि कोई भी टास्क मिले, तो वह तुरंत हो जाये. ज्यादा भाग-दौड़ न करना पड़े. क्लाइंट तुरंत मान जाये. प्रोडक्ट तुरंत बिक जाये.
कोई व्यक्ति एक ही मुलाकात में उनसे इम्प्रेस हो जाये. एक-दो बार ट्राय करने में नाकामयाब होने पर वे हार मान जाते हैं. युवाओं को समझना होगा कि कोई भी चीज आसानी से नहीं मिलती. उसके लिए मेहनत भी करनी होगी और सबसे जरूरी बात ‘धैर्य’ भी रखना होगा.
बात पते की..
– सबसे पहले अपने दिमाग से यह विचार निकाल दें कि आपसे यह काम नहीं हो सकता. यह ठान लें कि आप यह काम कर के ही दिखायेंगे.
– जब भी आप असफल हों, यह चेक करें कि गलती कहां हो रही है. अगली बार प्लानिंग के साथ कोशिश करें. बस हार कभी न मानें.

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