अपने आखिरी दिनों में अमेरिका पर बडे हमले की योजना बना रहा था ओसामा

वाशिंगटन : मई 2011 में मारे जाने से कुछ माह पहले अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन अपना पूरा ध्यान अमेरिका के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर हमला बोलने पर केंद्रित कर रहा था. वह पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम रखते हुए अरब क्रांति में उभर कर आये जिहादी समूहों के साथ गठबंधन कर रहा था. यह जानकारी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 7, 2015 11:14 AM

वाशिंगटन : मई 2011 में मारे जाने से कुछ माह पहले अल कायदा प्रमुख ओसामा बिन लादेन अपना पूरा ध्यान अमेरिका के महत्वपूर्ण क्षेत्रों पर हमला बोलने पर केंद्रित कर रहा था. वह पाकिस्तान के साथ संघर्षविराम रखते हुए अरब क्रांति में उभर कर आये जिहादी समूहों के साथ गठबंधन कर रहा था.

यह जानकारी अमेरिकी सरकार द्वारा उजागर किये गये दस्तावेजों में दर्ज है. कुछ महीने पहले अमेरिकी सरकार ने न्यूयार्क की एक अदालत में आबिद नसीर नामक पाकिस्तानी के खिलाफ चल रहे मामले में इन दस्तावेजों को उजागर किया था. ओसामा के ऐबटाबाद स्थित ठिकाने से बरामद इन ईमेलों की जानकारी कल द वाशिंगटन पोस्ट में छपी रिपोर्ट में दी गई.

पाकिस्तान के ऐबटाबाद में अपने ठिकाने से, ओसामा अमेरिका पर एक बार फिर हमला बोलने के लिए एक बडे ‘आतंकी खेल’ का दिशा निर्देशन कर रहा था. वह अपने इस लक्ष्य को पूरा करने के लिए रणनीतियां बना रहा था. दैनिक समाचार पत्र की रिपोर्ट में कहा गया, ‘ऐबटाबाद में छिपे लादेन का पूरा ध्यान अमेरिका के प्रमुख इलाकों पर हमला बोलने पर केंद्रित था.

उसका मानना था कि धीरे-धीरे की जाने वाली हत्याओं से काम नहीं चल रहा, अमेरिका को अफगानिस्तान की तुलना में वियतनाम कहीं महंगा पडा था. अलकायदा के सहयोगियों को 100 गुना ज्यादा लोगों को मारना होगा, तब जाकर वियतनाम में मारे गये लोगों की संख्या के बराबर पहुंचा जा सकेगा.’

अखबार में कहा गया कि ओसामा अरब क्रांति का लाभ उठाने की कोशिश तो कर ही रहा था, इसके साथ ही वह पाकिस्तान के साथ और उत्तरी अफ्रीका में शत्रु धडों के बीच स्थानीय युद्धविराम पर गौर कर रहा था. मौत के कुछ सप्ताह पहले ओसामा ने कहा था कि ‘अमेरिका के भीतर एक बडे अभियान की जरुरत है, जो 30 करोड अमेरिकियों और वहां की सुरक्षा को हिलाकर रख दे.’

ये नये दस्तावेज दर्शाते हैं कि उसने अरब क्रांति के साथ अल-कायदा के लिए पैदा हुए अवसरों को पहचान लिया था और वह उनका लाभ उठाने की दिशा में बढ रहा था. रिपोर्ट में कहा गया, ‘अलकायदा का प्रमुख नेतृत्व अमेरिका के ड्रोन युद्ध के से हिल उठा था लेकिन समूह के लक्ष्य उस स्थिति में भी भी ऊंचे ही थे, जब अमेरिकी अधिकारियों ने समूह को विघटन के कगार पर बताया था.’

रिपोर्ट में दस्तावेजों के हवाले से बताया गया कि इन दस्तावेजों का ओसामा बडे रणनीतिक विचारों पर तो मंथन कर ही रहा था, साथ ही वह लडाकों से जुडे फैसलों और जासूसी की कोशिशों से निपटने का गहन प्रबंधन भी कर रहा था. इसमें कहा गया कि एक बार उसने अपने सहायक अतियाह अब्द अल-रहमान से जलवायु में होने वाले उस बदलाव पर गौर करने के लिए कहा, जो प्रमुख भर्ती क्षेत्र सोमालिया में असर डाल सकता था.

एक बार उसने अल-कायदा के सदस्यों को विश्वविद्यालयों में भेजने का प्रस्ताव दिया, ताकि वे समूह को लाभ पहुंचाने में सक्षम आधुनिक तकनीकों में महारथ हासिल कर सकें. ओसामा मई 2011 में अमेरिकी विशेष बलों के हमले में ऐबटाबाद में मारा गया था. यह स्थान पाकिस्तान सैन्य अकादमी से कुछ ही दूरी पर है.

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