हर काम खुद करने की कोशिश न करें

दक्षा वैदकर दो भाई थे. उनके पिता का काफी बड़ा बिजनेस था. दोनों ही पिता के बिजनेस में मदद करते. मुनाफा होता था, लेकिन फिर भी पिता दोनों भाईयों के कामकाज के तरीके पर खास गौर करते थे. वह चाहते थे कि आज के मुनाफे को स्थायी मान लेने के बजाय ये दोनों काम के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 27, 2015 6:02 AM

दक्षा वैदकर

दो भाई थे. उनके पिता का काफी बड़ा बिजनेस था. दोनों ही पिता के बिजनेस में मदद करते. मुनाफा होता था, लेकिन फिर भी पिता दोनों भाईयों के कामकाज के तरीके पर खास गौर करते थे. वह चाहते थे कि आज के मुनाफे को स्थायी मान लेने के बजाय ये दोनों काम के सही तरीके सीखें ताकि हर जगह मुनाफा कमा सकें. एक दिन पिता ने दोनों को बुला कर एक-एक बड़ा प्रोजेक्ट सौंपा और उसे तय समय में पूरा करने के लिए दस-दस सदस्यों की टीम दे दी. अब दोनों भाई काम में जुट गये. बड़ा भाई जानता था, पिता को मेहनत की खास कद्र है.

इसलिए वह हर काम अपने हाथ से करने लगा. वह टीम के सदस्यों पर निर्भर नहीं रहना चाहता था. वहीं छोटे भाई ने हर काम खुद करने के बजाय पहले ही दिन काम का टीम के बीच बंटवारा कर दिया. इधर बड़ा भाई दिन-रात जी तोड़ मेहनत में अकेला लगा रहा, उधर छोटे भाई की टीम खुद को मिले छोटे-छोटे कामों को उत्कृष्ट बनाने में लगी रही. डेडलाइन पूरी हुई, तो छोटे भाई का प्रोजेक्ट पूरा था, लेकिन बड़े भाई का नहीं. तब पिता ने उसे समझाया, मेहनत करना बहुत अच्छा है, लेकिन काम का सही बंटवारा और

उपलब्ध श्रमबल का इस्तेमाल करना भी बहुत जरूरी है. बड़े भाई को यह मंत्र समझ आ गया था.

नये-नये बॉस बने लोग अक्सर यह गलतियां करते हैं. उन्हें काम करने की आदत इतनी ज्यादा होती है कि वे हर काम खुद ही करना चाहते हैं. वे भूल जाते हैं कि वे अब बॉस हैं और उन्हें काम को साथियों में बांटना चाहिए, ताकि वे भी इस काम को सीख सकें और ज्ञान बढ़ा सकें. यदि आप सभी काम खुद करेंगे, तो काम भी समय पर नहीं हो पायेगा और साथी भी केवल हाथ पर हाथ धरे बैठे रहेंगे. उनकी ग्रोथ नहीं हो पायेगी. एक अच्छा लीडर वही है, जो अपने अंडर काम करने वाले हर कर्मचारी को ग्रो कर सके और यह तभी होगा, जब आप उन पर भरोसा करेंगे और उन पर ज्यादा-से-ज्यादा जिम्मेवारी डालेंगे. हो सकता है कि शुरुआत में वे गलतियां करें, लेकिन उन्हें आप गाइड करें. गलतियां कर के ही वे सीख सकेंगे.

बात पते की..

कोई बैंक से उधार लेता है, तो कोई दोस्तों से. कभी धोखा मिलता है, तो कभी नहीं. ईश्वर ने करें कि आपको उधार लेना पड़े और लोग न दें.

दुनिया में तरह-तरह के लोग होते हैं. कोई आपकी मदद को याद रखता है, अहसान मानता है, तो कोई भूल जाता है. आप अपना कर्म करते जाएं.

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