हर व्यक्ति की होती है अलग खासियत

दक्षा वैदकर वीर योद्धा रुद्रसेन एक संत से मिलने उनके आश्रम पहुंचे. संत प्रार्थना में लीन थे. प्रार्थना पूरी होने पर उन्होंने उनसे कहा-महात्मन, मैं स्वयं को बहुत हीन महसूस करता हूं. न जाने कितनी ही बार मैंने मृत्यु को अपने समक्ष देखा है और हमेशा निर्बलों की रक्षा की है. परंतु आज आपको ध्यानमग्न […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 26, 2015 2:20 AM

दक्षा वैदकर

वीर योद्धा रुद्रसेन एक संत से मिलने उनके आश्रम पहुंचे. संत प्रार्थना में लीन थे. प्रार्थना पूरी होने पर उन्होंने उनसे कहा-महात्मन, मैं स्वयं को बहुत हीन महसूस करता हूं. न जाने कितनी ही बार मैंने मृत्यु को अपने समक्ष देखा है और हमेशा निर्बलों की रक्षा की है. परंतु आज आपको ध्यानमग्न देख कर मुङो लग रहा है कि मेरे होने या ना होने का कोई महत्व नहीं है.

संत मुस्कुराये और बोले, थोड़ी प्रतीक्षा करो. मैं आगंतुकों से मिलने के बाद तुम्हारे प्रश्न का उत्तर दूंगा. रुद्रसेन ने देखा कि संत हर व्यक्ति से मुस्कुराते हुए धैर्यपूर्वक मिलते और उनकी शंकाओं का निवारण करते. आगंतुकों के जाने के बाद संत उसे उद्यान में ले गये. आसमान में पूर्णिमा का चांद आलोकित था और संपूर्ण वातावरण में दिव्य शांति व्याप्त थी. संत ने रुद्रसेन से कहा- चंद्रमा बहुत सुंदर है न?

रुद्रसेन- जी, इसमें कोई शक नहीं. संत- यह तो तुम जानते हो कि रातभर पूरे नभमंडल को नापता हुआ वह अस्त हो जायेगा और कल सूर्योदय होगा. सूर्य की प्रचंड दीप्ति के सामने चंद्रमा का क्षीण प्रकाश कुछ नहीं है, पर मैंने चंद्रमा को यह शिकायत करते नहीं सुना कि मैं सूर्य की भांति क्यों नहीं चमकता? मैं इतना तुच्छ क्यों हूं? रुद्रसेन ने कहा- सूर्य, चंद्रमा का अपना-अपना सौंदर्य है.

दोनों की तुलना नहीं की जा सकती. संत बोले, यही तुम्हारे प्रश्न का उत्तर है. हम दोनों अलग-अलग प्रकार के व्यक्ति हैं और अपनी आस्था तथा विश्वास के अनुरूप हम दोनों ही दुनिया को बेहतर बनाने के लिए कर्म कर रहे हैं. तुम्हें हीनता का बोध नहीं होना चाहिए. इस प्रकार रुद्रसेन संतुष्ट हो कर घर लौट आया.

दोस्तों कई बार हमें अपने आसपास के सफल लोगों को देख कर यह महसूस होता है कि हम बहुत छोटे हैं. वे कितने सफल हैं. कितने ज्यादा फेमस हैं. कितने सुंदर हैं. कितने ज्यादा प्रतिभाशाली हैं. काश हम भी ऐसे होते. ऐसा कुछ कर पाते. अब जब भी यह ख्याल आपके मन में आये, तो इस कहानी को जरूर याद करें. यह समझ लें कि ईश्वर ने हम सभी में अलग-अलग गुण दिये हैं. किसी भी इंसान की किसी अन्य से तुलना की ही नहीं जा सकती.

बात पते की..

– दूसरों को देख कर जलन की भावना न रखें. खुद को छोटा न समङों. अपने अंदर छिपे गुणों को तलाशें और उसे तराशने का काम शुरू करें.

– यह याद रखें, आप बेहद खास हैं. आपमें जीने की कोई वजह है, इसलिए आप इस धरती पर जन्मे हैं. आपमें भी कुछ गुण हैं. इसे पहचानें.

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