लोगों की बातों से डर कर दोस्ती न तोड़ें

दक्षा वैदकर ऑफिस में महिला और पुरुष दोनों ही काम करते हैं, लेकिन महिलाओं का काम करना आसान नहीं होता. अकसर ऐसा होता है कि महिला कर्मचारी को किसी पुरुष कर्मचारी से हंस कर बात करता देख लोग गॉसिप करना शुरू कर देते हैं. कुछ महिला व पुरुष इन गॉसिप्स पर ध्यान नहीं देते, लेकिन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | January 22, 2015 9:24 AM

दक्षा वैदकर

ऑफिस में महिला और पुरुष दोनों ही काम करते हैं, लेकिन महिलाओं का काम करना आसान नहीं होता. अकसर ऐसा होता है कि महिला कर्मचारी को किसी पुरुष कर्मचारी से हंस कर बात करता देख लोग गॉसिप करना शुरू कर देते हैं. कुछ महिला व पुरुष इन गॉसिप्स पर ध्यान नहीं देते, लेकिन कुछ इस बात को दिल पर ले लेते हैं. अगर वह महिला है, तो वह पुरुषों से बात करना बंद कर देती है और अगर वह पुरुष है, तो महिलाओं से बात करना बंद कर देता है.

वे अच्छे दोस्त केवल एक-दूसरे से ही नहीं, बल्कि सभी साथियों से थोड़ा डर कर रहने लगते हैं. उन्हें डर बना रहता है कि कहीं उनका नाम अब किसी नये व्यक्ति के साथ न जुड़ जाये. यह डर न केवल आपके दोस्तों की संख्या कम करता है, बल्कि काम में भी असर डालता है. आपको हर पल यह बात याद रखनी पड़ती है कि किसके साथ आपको बात करनी है और किससे नहीं. किसके जोक पर हंसना है और किसके जोक पर नहीं. आप इसमें भले ही कितनी सावधानी बरतें, लोग इसमें भी कुछ न कुछ गॉसिप तलाश कर निकाल ही लेंगे. पहले वे आपके एक-दूसरे से बात करने पर गॉसिप करते थे, तो अब वे आपके एक-दूसरे से बात न करने पर गॉसिप करेंगे. ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ लोगों का यह स्वभाव ही होता है. आप कुछ भी करें, उसे वे बदल नहीं सकते. सोचनेवाली बात है कि जब वे अपना घटिया स्वभाव और सोच नहीं बदल सकते, तो आप अपना अच्छा स्वभाव क्यों बदलें? आप अपनी दोस्ती क्यों तोड़ें?

वह कहानी तो आपने सुनी ही होगी. एक साधु था, जो नदी तट पर एक बिच्छू को देखता है और सोचता है कि कहीं इसे चोट न लग जाये. वह जैसे ही बिच्छू को उठाता, बिच्छू उसे डंक मार देता. वह फिर बिच्छू को उठाने की कोशिश करता और बिच्छू फिर से उसे फिर से डंक मारता. एक युवक यह सब देख रहा होता है. वह साधु से पूछता है,‘बिच्छू आपको डंक मार रहा है, तब भी आप उसे क्यों बचाना चाहते हैं?’ साधु कहता है, ‘अगर वह अपना डंक मारने का स्वभाव नहीं बदल रहा, तो भला मैं अपना दया का स्वभाव कैसे बदल सकता हूं?’

daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in

बात पते की..

दूसरों के तानों की वजह से अपनों से रिश्ता न तोड़ें. दोस्तों से दूर रह कर आप खुद को तकलीफ भी देंगे और कोई फायदा भी नहीं होगा.

लोगों का काम सिर्फ और सिर्फ बोलना है. आप खुश रहें, सभी से बात करें, दिल खोल कर हंसें, घूमें और खुल कर अपनी जिंदगी जिएं.

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