प्यार में बढ़ रहे हैं अपहरण के मामले, इस मर्ज की कौन करे दवा

भागलपुर: फिरौती के लिए अपहरण गुजरे जमाने की बात हो गयी. अब ‘प्यार में अपहरण’ हो रहा है. कम से कम सिल्क सिटी का माहौल प्यार में अपहरण के अनुकूल बनता जा रहा है. पिछले पांच सालों में 611 लड़कियों का प्यार में, शादी की नीयत से अपहरण हो चुका है. इसमें शत-प्रतिशत लड़कियों बाद […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 22, 2014 6:21 AM

भागलपुर: फिरौती के लिए अपहरण गुजरे जमाने की बात हो गयी. अब ‘प्यार में अपहरण’ हो रहा है. कम से कम सिल्क सिटी का माहौल प्यार में अपहरण के अनुकूल बनता जा रहा है. पिछले पांच सालों में 611 लड़कियों का प्यार में, शादी की नीयत से अपहरण हो चुका है. इसमें शत-प्रतिशत लड़कियों बाद में लौट आयी.

लेकिन शादी करके. यह शादी कितनी टिकाऊ होती है, इसकी व्याख्या की जरूरत नहीं है, क्योंकि सभी ऐसी शादियों का हश्र जानते हैं. यहां के प्रेमी-प्रेमियों में तो मौसम के अनुरूप प्यार की बीमारी लगती है. यानी वेलेंटाइन डे आया तो अनायास ऐसे मामले बढ़ गये. बहरहाल, ऐसी शादियां, अपहरण में सबसे अधिक फजीहत लड़का-लड़की के परिजन और पुलिस की होती है.

90 प्रतिशत लड़कियां नाबालिग

प्यार में होने वाले अपहरण के मामले में 90 प्रतिशत लड़कियां नाबालिग रहती हैं. इन्हें उनके तथाकथित प्रेमी तरह-तरह के सब्जबाग दिखा कर भगा ले जाते हैं. इस उम्र में लड़कियों को माता-पिता की बात गलत लगती है और उसका तथाकथित प्रेमी जो कहता है, वही सही लगता है. बड़ी बात यह है कि प्यार में होनेवाले अपहरण में कुछ दिन, महीने के बाद लड़कियां अपने घर वापस भी लौट जाती हैं. इसके ठीक उलट लड़के बालिग होते हैं. उन्हें सोचने-समझने की शक्ति रहती है, लेकिन नये जमाने के रंग-ढंग में ढल जाने के कारण वे भी टीवी, फिल्म के रुपहले पर्दे पर दिखने वाले कथा-कहानी को सच मन लेते हैं.

पांच साल में 50 प्रतिशत तक बढ़े मामले

प्यार में अपहरण की घटनाएं आनेवाले दिनों में और भी बढ़ेगी. पिछले पांच साल में यह घटना पचास प्रतिशत तक बढ़ी है. 2010 में जिले में 86 लड़कियों की शादी की नीयत से अपहरण हुआ था. जबकि 2013 में यह आंकड़ा बढ़ कर 145 हो गया. इस पर तुर्रा यह कि 2014 के अगस्त माह तक 144 लड़कियों का अपहरण हो चुका है. समाजशास्त्रियों का मानना है कि आनेवाले समय में यह घटना और बढ़ेगी.

80 प्रतिशत लड़कियां मुकर जाती हैं

पहले प्यार, फिर भाग कर शादी और हनीमून शुरुआत के कुछ दिनों तक तो बहुत अच्छा लगता है. लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता है, लड़कियों के सिर से प्यार का भूत उतरने लगता है. शादी की नीयत से अपहृत लड़कियों के बरामद होने के बाद कोर्ट में उनका बयान कलमबद्ध होता है. 80 प्रतिशत मामले में लड़कियां मुकर जाती हैं और कहती हैं कि बहला-फुसला कर उसका अपहरण कर लिया गया था. हालांकि कई केसों में नाबालिग लड़कियां कोर्ट में यह कह बैठती है कि उसे अपने कथित प्रेमी सह पति के साथ रहना है. माता-पिता उसके दुश्मन हैं. उसका कोई अपहरण नहीं हुआ है.

केसों का बढ़ता जा रहा बोझ

प्यार में अपहरण जैसे मामलों का हश्र अंतत: दोनों पक्षों में समझौता ही होता है. पहले तो पीड़ित पक्ष की ओर से थानों में अपहरण का केस दर्ज किया जाता है, फिर बाद में लड़की के बरामद होने के बाद वे लोग समझौता कर लेते हैं. ऐसे में पुलिस के पास प्यार में अपहरण के केसों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. केसों की संख्या बढ़ने से मामले में सही तरीके से अनुसंधान नहीं हो पाता है.

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