प्रतिनिधि बदलते रहे, व्यवस्था नहीं

अजीत मिश्र रांची : एनएच-98 से जब हिचकोले खाती गाड़ियां गुजरती हैं, तो यात्र करनेवालों के मन में बस एक ही सवाल उठता है कि आखिर कब सुधरेगी इस सड़क की दशा. छतरपुर से होकर एनएच गुजरती है. सड़क तो बदहाल है ही, सुविधा भी नदारद है. अनुमंडल का दर्जा तो मिला, पर अपेक्षित सुविधा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 7, 2014 10:24 AM
अजीत मिश्र
रांची : एनएच-98 से जब हिचकोले खाती गाड़ियां गुजरती हैं, तो यात्र करनेवालों के मन में बस एक ही सवाल उठता है कि आखिर कब सुधरेगी इस सड़क की दशा. छतरपुर से होकर एनएच गुजरती है. सड़क तो बदहाल है ही, सुविधा भी नदारद है. अनुमंडल का दर्जा तो मिला, पर अपेक्षित सुविधा नहीं.
लोगों के जेहन में बस एक सवाल है कि आखिर कब होगा सुधार.यह सवाल इस बार का मुख्य चुनावी मुद्दा होगा. क्षेत्र में रोजगार का अभाव है. लोगों का कहना है कि इस इलाके का प्रतिनिधित्व करनेवाले लोगों को सत्ता में अपेक्षित भागीदारी भी मिली, पर उस अनुरूप क्षेत्र का विकास नहीं हुआ. अनुमंडलीय मुख्यालय में अच्छे स्कूल-कॉलेज तक का अभाव है. अस्पताल में चिकित्सकों की कमी है. धार्मिक स्थल चेगौना धाम को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित नहीं किया जा सका.
ईमानदारी के साथ काम किया : विधायक
छतरपुर की विधायक सुधा चौधरी ने कहा कि पूरी ईमानदारी के साथ विकास योजनाओं को धरातल पर उतारने का काम किया है. पूर्व में जनप्रतिनिधि द्वारा यहां विकास के नाम पर विवाद और वैमनस्यता को बढ़ावा दिया जाता था. पहली बार लोगों को लगा कि विधायक कोटे की राशि विकास के लिए होती है, बंदरबांट के लिए नहीं.
अब महिलाएं भी विधायक कोटे से विकास का कार्य करा रही हैं. कभी विकास को वोट के नजरिये से नहीं देखा.
विकास के मायने नहीं समझ सकीं विधायक : राधाकृष्ण
क्षेत्र के पूर्व विधायक राधा कृष्ण किशोर का कहना है कि दुर्भाग्य यही है कि पांच वर्षो में विधायक सुधा चौधरी विकास के मायने ही नहीं समझ सकीं. विकास का व्यापक अर्थ है, सिर्फ नाली और रोड बनाना ही विकास नहीं है, बल्कि क्षेत्र का सामाजिक व आर्थिक विकास भी जरूरी है. पांच वर्षो में इन मामलों में कोई काम हुआ ही नहीं.

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