जिस काम के लिए रखा है, वही करें

।। दक्षा वैदकर ।। सार्थक बहुत मेहनती लड़का है. सभी उसके काम से बेहद खुश हैं. इसकी वजह यह है कि वह दूसरों के कार्यो में भी मदद करता है. दरअसल, वह अपनी कार्य सीमा से भी ज्यादा काम करता है. कोई साथी अगर ऑफिस नहीं आया, तो वह उसका काम भी अपने हाथ में […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 23, 2014 4:47 AM

।। दक्षा वैदकर ।।

सार्थक बहुत मेहनती लड़का है. सभी उसके काम से बेहद खुश हैं. इसकी वजह यह है कि वह दूसरों के कार्यो में भी मदद करता है. दरअसल, वह अपनी कार्य सीमा से भी ज्यादा काम करता है. कोई साथी अगर ऑफिस नहीं आया, तो वह उसका काम भी अपने हाथ में ले लेता है. कोई लेट हो गया, तो वह बिना बोले उसका काम कर देता है. उसकी यह आदत लोगों के दिलों में उसकी जगह तो बना रही है, लेकिन उसे नुकसान पहुंचा रही है.

अब स्थिति यह हो गयी है कि लोग जान-बुझ कर लेट आते हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि सार्थक उनका काम कर सकता है. वे उसके ऊपर काम थोप कर अपना पर्सनल काम निपटाने चले जाते हैं. सार्थक के पास अब काम इतना ज्यादा बढ़ चुका है कि वह खुद के लिए समय नहीं निकाल पाता. खुद के काम निपटाने के बाद वह ऑफिस में दूसरों के काम निबटाने में लग जाता है. इस वजह से जल्दी-जल्दी ज्यादा काम करने के चक्कर में काम की क्वालिटी पर भी काफी असर पड़ रहा है और वह भी थका-थका-सा रहने लगा है.

पिछले दिनों सार्थक से उसके खुद के काम में कोई बड़ी गलती हो गयी. बॉस ने उसे बुला कर डांटा कि यह कैसे हो गयी? ध्यान कहां रहता है तुम्हारा? इतना-सा काम तुम्हारे जिम्मे है, वह भी तुम ठीक से नहीं कर पाते. सार्थक ने बताया, ‘सर, मैं कई दोस्तों के काम उस दिन कर रहा था. इसी वजह से जल्दबाजी में यह गलती हो गयी.’ बॉस ने उसे साफ शब्दों में समझाते हुए कहा, ‘दोस्तों का काम करने के लिए मैंने तुम्हें कहा है क्या? यह तुम्हारी पर्सनल प्रॉब्लम है कि तुम उन लोगों को मना नहीं कर पाते. बेहतर होगा कि पहले तुम सिर्फ अपने काम पर फोकस करो और उसे ही ठीक से पूरा करो.’

सार्थक की तरह कई लोग कार्यालय में इस तरह की गलती करते हैं. कुछ लोग भलाई में करते हैं, तो कुछ लोग ऑफिस में खुद को बेहतर दिखाने के लिए हर काम की जिम्मेवारी खुद ओढ़ लेते हैं. यह वाकई खतरनाक है. कई बार हम अतिआत्मविश्वासी बन जाते हैं और इस चक्कर में भूल जाते हैं कि दूसरे भी काम को बेहतर तरीके से निपटा सकते हैं.

बात पते की..

– कंपनी में आप जिस काम के लिए नियुक्त किये गये हैं, अगर उसे बेहतर तरीके से निपटाते हैं, तो बाकी चीजों की टेंशन लेना छोड़ दें.

– जब आप हर काम को खुद करने की कोशिश करते हैं, तो टीम के बाकी साथी आपके साथ एडजस्ट नहीं कर पाते. कुछ आलसी हो जाते हैं

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