गलती को मानना बहादुरी का काम है

।। दक्षा वैदकर ।। पिछले दिनों टीवी पर ‘तीन दीवारें’ फिल्म आ रही थी. इस फिल्म में नागेश कुकनूर, जैकी श्रॉफ और नसीरुद्दीन शाह जेल के कैदी बने हैं. तीनों को ही फांसी की सजा दी जानी तय है. जूही चावला ऐसे कैदियों पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रही है, जिन्हें फांसी की सजा दी जाने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 22, 2014 4:55 AM
।। दक्षा वैदकर ।।
पिछले दिनों टीवी पर ‘तीन दीवारें’ फिल्म आ रही थी. इस फिल्म में नागेश कुकनूर, जैकी श्रॉफ और नसीरुद्दीन शाह जेल के कैदी बने हैं. तीनों को ही फांसी की सजा दी जानी तय है. जूही चावला ऐसे कैदियों पर डॉक्यूमेंट्री फिल्म बना रही है, जिन्हें फांसी की सजा दी जाने वाली है और वे दिन गिन रहे हैं.
वह तीनों का बारी-बारी से इंटरव्यू लेती है. वह तीनों से पूछती है कि क्या आप अपने किये पर शर्मिदा हैं? जैकी श्रॉफ अपनी कहानी बताते हैं और कहते हैं, ‘हां, मैं शर्मिदा हूं. काश यह सब नहीं होता.’ नागेश कुकनूर भी कहते हैं, ‘जो भी हुआ, वह नहीं होना चाहिए था. मेरी ही गलती थी.’ इस इंटरव्यू में बस नसीरुद्दीन शाह अपनी गलती नहीं मानते. जूही चावला उनसे पूछती है कि क्या आपको फांसी से डर नहीं लग रहा? नसीर साहब कहते हैं, मैं जेल से भाग जाऊंगा. जूही चावला भागने में उनकी मदद करती है.
आखिरकार नसीरुद्दीन शाह भाग जाते हैं. बाहर आ कर वे जूही चावला के घर पहुंचते हैं, जैसा कि उन दोनों का प्लान था. वहां वह उन्हें बंदूक थामे मिलती है. वह बताती है कि जिस लड़की के खून के इल्जाम में उन्हें फांसी की सजा दी गयी थी, वह उसकी बहन थी. वह डॉक्यूमेंट्री फिल्म के बहाने यह जानना चाहती थी कि क्या खूनी अपनी गलती पर शर्मिदा है? क्या उसे पछतावा है? लेकिन वह पाती है कि खूनी बिल्कुल भी दुखी नहीं है. वह तो फांसी से बचने की कोशिश कर रहा है. तभी वह फैसला करती है कि वह उसे खुद मारेगी.
जूही चावला की ही तरह असल जिंदगी में भी हम कई लोगों के झूठ को जान लेते हैं. उनकी गलतियों को पकड़ लेते हैं. हम चाहते हैं कि सामनेवाला कम-से-कम अपनी गलती स्वीकार करे, लेकिन ऐसा होता नहीं है. सामनेवाला अपनी गलती मानता ही नहीं है. वह दूसरों पर गलती थोपता है.
यहीं वह भूल कर देता है. जब वह गलती नहीं मानता है, तो लोग भले ही उसे कोई सजा न दे पाएं, लेकिन उनके दिल में उस इनसान की जगह खत्म हो जाती है. वे जान जाते हैं कि यह झूठा इनसान है. इसमें अपनी गलती स्वीकार करने की हिम्मत नहीं है. ऐसे लोग करियर में भी ज्यादा दूर तक नहीं जा पाते.
बात पते की..
– गलती न मानने वाले को लोग कभी भी बॉस या लीडर नहीं चुनते. क्योंकि सभी जानते हैं कि जब गलती होगी, वह हम पर दोष मढ़ देगा.
– खुद में सुधार करने का पहला स्टेप यह है कि आप अपनी गलती मानें. उसे दिल से स्वीकारें और वादा करें कि दोबारा यह गलती नहीं होगी.

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