जंगल का फूल बनने में भी बुराई नहीं है

दक्षा वैदकर पंडित जवाहरलाल नेहरू एक दिन एक मंत्री के साथ जंगल से गुजर रहे थे. रास्ते में उन्होंने देखा कि एक पेड़ पर असंख्य खूबसूरत फूल लगे हुए हैं. उन्होंने मंत्री महोदय से मजाक करते हुए कहा, ‘आप समझदार तो हैं, लेकिन जंगल के फूल की तरह.’ मंत्री बुद्धिमान थे. वे बोले,‘ पंडितजी, जंगल […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 21, 2014 3:46 AM
दक्षा वैदकर
पंडित जवाहरलाल नेहरू एक दिन एक मंत्री के साथ जंगल से गुजर रहे थे. रास्ते में उन्होंने देखा कि एक पेड़ पर असंख्य खूबसूरत फूल लगे हुए हैं. उन्होंने मंत्री महोदय से मजाक करते हुए कहा, ‘आप समझदार तो हैं, लेकिन जंगल के फूल की तरह.’ मंत्री बुद्धिमान थे. वे बोले,‘ पंडितजी, जंगल का फूल बगीचे के फूल से हमेशा अच्छा होता है. वह जंगल की खुली हवा खाता है, उसे खुली धूप मिलती है. उसे कोई तोड़ता भी नहीं है, जबकि बगीचे के फूल पर सैकड़ों हाथ झपटते हैं.’
उनकी बात सुन कर नेहरूजी बोले, ‘मगर आप यह क्यों भूलते हैं कि पूजा हमेशा बगीचे के फूल से ही होती है. जंगल का फूल कभी भी देवालय में या देवता को अर्पित नहीं किया जाता.’ मंत्री बोले, ‘पंडितजी, एक बात बताइये. क्या देवता के चरणों में चढ़ने से ही पुष्प का भाग्य सराहा जाये. क्या फूल का उद्देश्य केवल देवता के चरणों में अर्पित होना ही है. वातावरण सुगंधित रखना क्या कम बड़ी बात है? भले ही सुगंध बिखेरते-बिखेरते वह मिट जाये, पर मुझे तो ऐसे फूल की ही सार्थकता दिखाई देती है. कोई फूल आखिर देवता के लिए ही क्यों खिले?’
मंत्री की बात सुन कर पंडित जी बोले, ‘आप ठीक कह रहे हैं. जंगल का फूल बगीचे के फूल से अधिक पूजनीय है.’ नेहरूजी को जंगल के फूल का महत्व समझाने वाले यह मंत्री कोई और नहीं, लाल बहादुर शास्त्री थे, जो बाद में अपने गुणों की सुगंध चारों ओर फैलाते हुए देश के प्रधानमंत्री पद पर आसीन हुए.
कई बार हम अपनी किस्मत पर अफसोस जताते हैं, शिकायत करते हैं कि मैं अमीर घर में पैदा क्यों नहीं हुआ? मैं उस देश या शहर में क्यों नहीं जन्मा? काश, मेरे पिता भी इतने फेमस होते? हम उन लोगों जैसा बनना चाहते हैं, जिन्हें ये सारी चीजें मिल गयी हैं. हमें यह समझना होगा कि सुख-सुविधाओं को पा लेना, फेमस हो जाना, अमीर घर में पैदा होना ही जीवन का लक्ष्य नहीं है. आप जहां हैं, वहां के माहौल को बेहतर बनाने में अपना योगदान दें. अपनी अच्छे व्यवहार से लोगों के दिलों में जगह बनाएं.
बात पते की..
– खुद का आकलन करें, सोचें कि जब हम मर जायेंगे, तो लोग हमें किस चीज के लिए याद रखेंगे. आपको अपनी गलती समझ आ जायेगी.
– सभी के साथ मधुर व्यवहार रखें. जंगल के पुष्प की तरह हर तरफ खुशियां फैलाएं ताकि लोग आपको पसंद करें. किसी की किस्मत से ईष्र्या न करें.

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