अपने कार्य और कार्यस्थल से प्रेम करें

मैंने एक मैगजीन में बहुत अच्छी बात पढ़ी. 10 वेज टू बेलेंस योर लाइफ ऑन द जॉब के लेखक ग्रेगरी पियर्स कहते हैं कि अधिकतर लोग अपने कार्य को एक दुश्मन के रूप में देखते हैं. तनाव की जड़ में भी यह एक संकल्पना काम करती है. हम सभी एक व्यक्ति के रूप में सम्मान […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 19, 2014 6:36 AM

मैंने एक मैगजीन में बहुत अच्छी बात पढ़ी. 10 वेज टू बेलेंस योर लाइफ ऑन द जॉब के लेखक ग्रेगरी पियर्स कहते हैं कि अधिकतर लोग अपने कार्य को एक दुश्मन के रूप में देखते हैं. तनाव की जड़ में भी यह एक संकल्पना काम करती है.

हम सभी एक व्यक्ति के रूप में सम्मान चाहते हैं और हमारा कार्य हमें परिभाषित करने की मुख्य कड़ी है. इसलिए जब हम अपने आप को तुच्छ या नगण्य समझते हैं, तो हम वास्तव में स्वयं को महत्व नहीं देते. यदि हम स्वयं को महत्व नहीं देंगे, तो हम अपने सह-कर्मियों, ग्राहकों को भी महत्व नहीं देंगे और उनके प्रति तिरस्कारपूर्ण व्यवहार अपनायेंगे. ग्रेगरी कहते हैं कि हमें संसार में प्रेम का संचार करने के लिए कहा जाता है और हम अपने कार्यों के माध्यम से ऐसा करते हैं, जब हम अपने कार्य और उन सभी लोगों की निंदा करते हैं, जो उस कार्य को करते हैं, तो हम अपने कार्य की पवित्रता को खो देते हैं.

इस सच्चाई से बचने का कोई रास्ता नहीं है कि कार्यक्षेत्र एक जटिल, भीड़-भाड़वाला, शोरगुल भरा, निराशा यक्त और मुश्किलों से भरा स्थान है. ऐसे में, अपने कार्यक्षेत्र में ईश्वर एवं आध्यात्मिकता की खोज करने के लिए हमें श्रेष्ठ रूप से जागरुक होने की जरूरत पड़ेगी. हमारा काम हम पर और हमारे आसपास के लोगों पर किसी न किसी रूप में अपने निशान जरूर छोड़ता है.

खास कर जब बच्चे अपनी मां को उसके ऑफिस के लिए सुस्त ढंग से या फिर खुशी-खुशी निकलते हुए देखते हैं या किशोर अपने माता-पिता की बेरोजगारी या ऑफिस की राजनीति के बारे में चर्चा करते हुए सुनते हैं. हम कहीं भी और किसी भी स्तर पर क्यों न हो, हमें अपने भीतर इस बात को स्वीकार करने की हिम्मत और जागरूकता लानी होगी कि हम मनुष्य नहीं हैं, जो आध्यात्मिक अनुभवों को धारण कर रहे हैं, बल्कि आध्यात्मिकता जीव है, जो मानवीय अनुभवों को धारण कर रहे हैं. हम यह मानते हैं कि हमारे कार्यस्थल में काम करनेवाले लोग और हमारा काम दोनों ही पवित्र हैं. अब जरा एक बार इस संदर्भ में फिर से अपने और अपने आसपास के लोगों की पुन: कल्पना कीजिए.

– बात पते की…

* अगर आपको काम पसंद नहीं है, तो बेहतर है कि उसे छोड़ दें और दूसरा काम तलाशें, जो आपको पसंद हो. लेकिन अपने काम से प्यार जरूर करें

* काम के लिए घर से निकलते वक्त आप क्या सोचते हैं, घर आने के बाद क्या-क्या बोलते हैं, इसका सीधा असर हमारे परिवार पर पड़ता है.

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