25 सितंबर की सुबह लाएगी वृन्दावन की विधवाओं के जीवन में एक नया सवेरा

मथुरा: 25 सितंबर की सुबह वृन्दावन की 50 विधवा महिलाओं के जीवन में एक नया सवेरा लेकर आएगी, जिन्हें कभी उन्हीं की मातृभूमि ने अपने से अलग करके भुला दिया था. इस मौके पर जब वे एक विशेष कोच में हावडा स्टेशन पर पहुंचेंगी, तब उनकी राह में जीवन के बीते हुए दिनों में हर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 18, 2014 8:12 AM

मथुरा: 25 सितंबर की सुबह वृन्दावन की 50 विधवा महिलाओं के जीवन में एक नया सवेरा लेकर आएगी, जिन्हें कभी उन्हीं की मातृभूमि ने अपने से अलग करके भुला दिया था.

इस मौके पर जब वे एक विशेष कोच में हावडा स्टेशन पर पहुंचेंगी, तब उनकी राह में जीवन के बीते हुए दिनों में हर राह पर मिलने वाले कांटों की जगह गुलाब की पंखुडियां बिछी होंगी और ढाक (एक बंगाली वाद्य) एवं शंखनाद की मंगल ध्वनि कानों में पड़ रही होगी.

गैरसरकारी संगठन सुलभ इण्टरनेशनल के प्रवक्ता मदन झा के अनुसार 23 सितंबर को वृन्दावन के विभिन्न आश्रय सदनों में दशकों से रह रही 60 से 90 वर्ष आयु की 50 विधवा एवं परित्यक्त महिलाओं को दुर्गापूजा के अवसर पर बंगाल की उस धरती पर एक बार फिर पैर रखने का मौका मिलेगा जिसने कभी उनको अपने से अलग कर दिया था. ये महिलाएं वहां आयोजित होने वाले दर्जनों पण्डालों में दुर्गापूजा के विभिन्न रुपों का दर्शन करेंगी.
उन्होंने बताया कि यात्रा की तैयारियां पूर्ण हो चुकी हैं. इन महिलाओं में से कुछ ने पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी एवं मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात करने की इच्छा व्यक्त की है. सुलभ इण्टरनेशनल के संस्थापक डॉ. बिन्देश्वर पाठक का कहना है कि कोलकाता में उनका यह प्रवास उनकी जिन्दगी में खुशियां लाने और उन्हें अपनेपन का अहसास कराने का एक प्रयास है. इसलिए उन्हें उनकी जन्मभूमि ले जाया जा रहा है.

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