आईएस से ब्रिटेन को भी ख़तरा: डेविड कैमरन

ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा है कि अगर इस्लामिक स्टेट (आईएस) के चरमपंथियों पर कार्रवाई नहीं की गई तो ये ब्रिटेन की सड़कों पर भी लोगों को निशाना बना सकते हैं. ‘संडे टेलीग्राफ़’ अख़बार में एक लेख लिखकर कैमरन ने ये चेतावनी दी है. उन्होंने कहा कि आईएस के ख़िलाफ़ सिर्फ़ मानवीय आधार पर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 18, 2014 11:45 AM

ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन ने कहा है कि अगर इस्लामिक स्टेट (आईएस) के चरमपंथियों पर कार्रवाई नहीं की गई तो ये ब्रिटेन की सड़कों पर भी लोगों को निशाना बना सकते हैं.

‘संडे टेलीग्राफ़’ अख़बार में एक लेख लिखकर कैमरन ने ये चेतावनी दी है.

उन्होंने कहा कि आईएस के ख़िलाफ़ सिर्फ़ मानवीय आधार पर की गई कार्रवाई काफ़ी नहीं होगी, बल्कि आईएस के ख़िलाफ़ सख़्त सुरक्षात्मक क़दम उठाए जाने की ज़रूरत है.

कैमरन का ये लेख चर्च के नेताओं के उस बयान के बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि इस्लामी चरमपंथ पर क़ाबू पाने के लिए ब्रिटेन के पास कोई सुसंगत नीति नहीं है.

अपने लेख में कैमरन ने लिखा है, ”सही अर्थों में हम तभी सुरक्षित होंगे जब हम एक ज़्यादा स्थायी दुनिया बनाने के लिए अपने तमाम संसाधन आर्थिक मदद, कूटनीति, और सैन्य शक्ति का इस्तेमाल करेंगे.”

उन्होंने आगे लिखा है, ”अगर हम इस अत्यधिक ख़तरनाक आतंकवादी आंदोलन के बढ़ते क़दम को रोकने के लिए कार्रवाई नहीं करते हैं तो ये और मज़बूत होगा, यहां तक कि ये ब्रिटेन की सड़कों पर हम लोगों को निशाना बना सकता है.”

कैमरन ने कहा कि अगर आईएस एक पृथक ख़िलाफ़त राज्य क़ायम करने में सफल होता है तो ब्रिटेन को भूमध्य सागर के किनारे और नेटो सदस्य देशों से सटे हुए एक चरमपंथी राज्य का सीधा सामना करना होगा.

ब्रिटेन में आईएस

उन्होंने कहा कि आईएस का झंडा लिए अगर कोई भी व्यक्ति देखा गया तो उसे फ़ौरन गिरफ़्तार किया जाना चाहिए.

उन्होंने कहा कि वो इसे आतंक के ख़िलाफ़ युद्ध के तौर पर नहीं देखते बल्कि उनके अनुसार ये एक ऐसी लड़ाई है जिसमें एक तरफ़ इस्लाम है और दूसरी तरफ़ वो चरमपंथी हैं जो इस्लाम का दुरुपयोग करना चाहते हैं.

इससे पहले कैमरन कह चुके हैं कि आईएस ब्रिटेन के ख़िलाफ़ चरमपंथी हमले की योजना बना रहा है. एक अनुमान के अनुसार आईएस के लड़ाकों में लगभग चार सौ ब्रितानी नागरिक शामिल हैं.

आईएस की हिंसक गतिविधियों के कारण अब तक लगभग 12 लाख इराक़ी नागरिक अपने घरों को छोड़ने पर मजबूर हुए हैं. इनके अलावा अल्पसंख्यक यज़ीदी समुदाय, इसाई और इराक़ी शिया समुदाय के लोग अपने घरों को छोड़कर इराक़ के उत्तरी इलाक़ों में शरण लिए हुए हैं.

आईएस इन लोगों को सच्चा मुसलमान नहीं मानता है.

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