मज़ाक उड़ाना है तो उड़ाओ: चेतन भगत

वैभव दीवान बीबीसी संवाददाता उनके लेखन को कई आलोचक सतही क़रार देते हैं. सोशल मीडिया पर उनकी कई टिप्पणियां विवाद का रूप ले लेती हैं. चेतन भगत के आने वाले उपन्यास ‘हाफ़ गर्लफ़्रेंड’ को लेकर भी उन पर व्यंग्य कसे जा रहे हैं. पर चेतन कहते हैं, "मैंने भी लोगों की टिप्पणियां पढ़ीं. कई तो […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 18, 2014 11:45 AM

उनके लेखन को कई आलोचक सतही क़रार देते हैं. सोशल मीडिया पर उनकी कई टिप्पणियां विवाद का रूप ले लेती हैं. चेतन भगत के आने वाले उपन्यास ‘हाफ़ गर्लफ़्रेंड’ को लेकर भी उन पर व्यंग्य कसे जा रहे हैं.

पर चेतन कहते हैं, "मैंने भी लोगों की टिप्पणियां पढ़ीं. कई तो बड़ी मज़ेदार थीं. और लोग मज़ाक उड़ाते हैं तो उड़ाने दो यार. लोग कामयाब लोगों का ही मज़ाक उड़ाते हैं. सलमान का, शाहरुख़ का."

चेतन भगत मानते हैं कि जब तक लोग उनकी किताबें ख़रीदकर पढ़ते रहेंगे वो ख़ुश हैं. भले ही उन्हें लोग बेतुका, बिना दिमाग का लेखक कहते रहें.

हाफ़ गर्लफ़्रेंड

‘हाफ गर्लफ़्रेंड’ दो महीने बाद बाज़ार में आएगी लेकिन इसके विज्ञापन अखबारों और इंटरनेट पर आने लगे हैं. किताब का केंद्रीय पात्र है एक लड़का जो बिहार से है. चेतन बताते हैं कि उपन्यास की तैयारी के लिए वो बिहार भी गए.

चेतन के पहले लिखे उपन्यास जैसे टू स्टेट्स और फ़ाइव प्वाइंट समवन काफ़ी मशहूर भी रहे. उन्होंने सलमान ख़ान की हालिया रिलीज़ फ़िल्म ‘किक’ की पटकथा भी लिखी लेकिन अब वो और पटकथा लिखने के मूड में नहीं हैं.

हिंदी साहित्य से ‘अनजान’

‘हाफ़ गर्लफ़्रेंड हिंदी में भी लॉन्च की जाएगी.

लेकिन चेतन की जानकारी हिंदी साहित्य में कम ही है. वो कहते हैं, "मैंने हिंदी साहित्य ज़्यादा नहीं पढ़ा. बस प्रेमचंद को पढ़ा है."

जब मैंने उनसे पल्प फ़िक्शन जोनर के बारे में पूछ रहा हूं तो वो बोले, "अब जोनर जैसी कोई चीज़ नहीं है. या तो किताब अच्छी होती है या बुरी."

कुछ दिनों पहले चेतन भगत ने ग़ज़ा के हालातों पर ट्वीट किया था कि, "ग़ज़ा में जो रहा है वो दुखद है लेकिन कुछ चरमपंथी संगठनों और उनके समर्थकों को सबक सिखाने का यही एक तरीक़ा है." इस पर काफ़ी विवाद और आलोचना हुई थी.

इसके बारे में चेतन बोले, "वो मेरी राय थी जिसे व्यक्त करने का मुझे पूरा हक़ है. हमारे देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बातें बस होती हैं, उसका पालन नहीं होता."

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