पब्लिक सेफ़्टी एक्ट में गिरफ़्तार फ़ारूक़ अब्दुल्ला के पास क्या हैं उपाय?

<figure> <img alt="पब्लिक सेफ़्टी एक्ट, PSA, PUBLIC SAFETY ACT, Farooq Abdullah, National Conference, Jammu and Kashmir" src="https://c.files.bbci.co.uk/387F/production/_108836441_38b11415-f12b-4520-8746-701c86d3ddc4.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पाँच अगस्त से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाए जाने के बाद से अपने ही घर में नज़रबंद पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला हिरासत में हैं.</p><p>सोमवार को यह स्पष्ट हुआ कि फ़ारूक़ […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 17, 2019 10:48 PM

<figure> <img alt="पब्लिक सेफ़्टी एक्ट, PSA, PUBLIC SAFETY ACT, Farooq Abdullah, National Conference, Jammu and Kashmir" src="https://c.files.bbci.co.uk/387F/production/_108836441_38b11415-f12b-4520-8746-701c86d3ddc4.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>पाँच अगस्त से जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को हटाए जाने के बाद से अपने ही घर में नज़रबंद पूर्व मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला हिरासत में हैं.</p><p>सोमवार को यह स्पष्ट हुआ कि फ़ारूक़ अब्दुल्ला पब्लिक सेफ़्टी एक्ट के तहत हिरासत में लिए गए हैं. मानवाधिकारों की रक्षा से जुड़े संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने फ़ारूक़ अब्दुल्ला को इस क़ानून के तहत गिरफ़्तार किया जाना क़ानून का अपमानजनक दुरुपयोग बताया है.</p><h3>हिरासत में लिए जाने का कारण बताना होगा?</h3><p>क़ानून के तहत व्यक्ति को फौरन यह बताना ज़रूरी नहीं होगा कि उसे हिरासत में क्यों लिया गया है. हालांकि इस क़ानून के तहत पांच दिनों के भीतर या विशेष परिस्थिति में अधिकतम 10 दिनों में उसे इसका लिखित कारण बताना अनिवार्य है. 2012 में हिरासत में लिए गए व्यक्ति को सूचित करने वाली धारा में भी संशोधन किया गया और लिखा गया कि हिरासत में लिए गए व्यक्ति को उस भाषा में सूचित किया जाना है ‘जिसे वो समझता हो.'</p><p>यानी फ़ारूक़ अब्दुल्ला को इसका कारण बताया जाना अनिवार्य होगा और वो इसके ख़िलाफ़ हाई कोर्ट में हैबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) याचिका दायर कर सकते हैं.</p><p>पब्लिक सेफ़्टी एक्ट में हिरासत में लिए गए फ़ारूक़ अब्दुल्ला के पास एडवाइज़री बोर्ड के पास जाने का अधिकार भी है और उसे (बोर्ड को) आठ हफ़्तों के भीतर इस पर रिपोर्ट सौंपनी होगी.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49712987?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">ज़रूरत पड़ी तो जा सकता हूं कश्मीर: चीफ़ जस्टिस</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/india-49505951?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर के हालात के लिए नेहरू ज़िम्मेदारः मायावती</a></li> </ul><figure> <img alt="पब्लिक सेफ़्टी एक्ट, PSA, PUBLIC SAFETY ACT, Farooq Abdullah, National Conference, Jammu and Kashmir" src="https://c.files.bbci.co.uk/16BD7/production/_108834139_2a1f3dd1-1f57-4538-b7b9-f4fb3fb628a8.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>क्या है पब्लिक सेफ़्टी एक्ट?</h3><p>पब्लिक सेफ़्टी एक्ट किसी व्यक्ति को सुरक्षा के लिहाज़ से ख़तरा मानते हुए एहतियातन हिरासत में लेने का अधिकार देता है.</p><p>राज्य की सुरक्षा और क़ानून व्यवस्था के लिए ख़तरा समझते हुए किसी महिला या पुरुष को इस क़ानून के तहत हिरासत में लिया जा सकता है.</p><p>यह राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के समान है जिसे सरकारें एहतियातन हिरासत में लेने के लिए इस्तेमाल करती रही हैं.</p><p>लेकिन जैसा कि इसकी परिभाषा से स्पष्ट है हिरासत में लेना सुरक्षात्मक (निवारक) कदम है न कि दंडात्मक.</p><p>क़ानून प्रवर्तक एजेंसियों के लिए यह वो आम उपाय है जिसके इस्तेमाल से किसी व्यक्ति को हिरासत में लिया जाता है.</p><p>इसे डिविजनल कमिश्नर (संभागीय आयुक्त) या ज़िलाधिकारी के प्रशासनिक आदेश पर ही अमल में लाया जा सकता है न कि पुलिस से आदेश पर.</p><p>पब्लिक सेफ़्टी एक्ट बिना किसी ट्रायल के किसी व्यक्ति को दो साल हिरासत में रखने की इजाज़त देता है.</p><p>क़ानून व्यवस्था को लेकर अधिकतम एक साल के लिए जबकि सुरक्षा को लेकर अधिकतम दो साल के लिए हिरासत में रखा जा सकता है.</p> <ul> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49690365?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">मैं आपको बताऊंगा कि कब LOC जाना है: इमरान ख़ान</a></li> <li><a href="https://www.bbc.com/hindi/international-49304688?xtor=AL-73-%5Bpartner%5D-%5Bprabhatkhabar.com%5D-%5Blink%5D-%5Bhindi%5D-%5Bbizdev%5D-%5Bisapi%5D">कश्मीर पर दुनिया इसलिए नहीं सुनती पाकिस्तान की बात… </a></li> </ul><figure> <img alt="शेख अब्दुल्ला" src="https://c.files.bbci.co.uk/869F/production/_108836443_6430791e-1570-4fdb-aecd-02dd5c26c936.jpg" height="749" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> <figcaption>शेख अब्दुल्ला</figcaption> </figure><h3>कब लागू हुआ?</h3><p>जम्मू-कश्मीर में इस अधिनियम को 8 अप्रैल 1978 को लागू किया गया था. तब राज्य के मुख्यमंत्री फ़ारूक़ अब्दुल्ला के पिता शेख अब्दुल्ला थे. उन्होंने इसे विधानसभा में पारित कराया था.</p><p>इसके तहत 18 साल से अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति को हिरासत में लिया जा सकता है और उस पर बिना कोई मुक़दमा चलाए उसे दो साल तक हिरासत में रखा जा सकता है.</p><p>पहले यह उम्र सीमा 16 साल थी, जिसे 2012 में संशोधित कर 18 वर्ष कर दिया गया.</p><p>2018 में यह भी संशोधन किया गया कि जम्मू-कश्मीर के बाहर के भी किसी व्यक्ति को पब्लिक सेफ़्टी एक्ट के तहत हिरासत में लिया जा सकता है.</p><figure> <img alt="kashmir" src="https://c.files.bbci.co.uk/FBCF/production/_108836446_9f259176-0ff9-4975-9fe3-8a1c77cd0050.jpg" height="549" width="976" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><h3>किसी ‘स्थान’ पर जाना भी प्रतिबंधित किया जा सकता है</h3><p>इस क़ानून के तहत किसी स्थान पर जाने पर रोक लगाई जा सकती है. सरकार आदेश पारित कर किसी स्थान पर लोगों के जाने पर रोक लगा सकती है.</p><p>ऐसी जगहों पर कोई व्यक्ति बिना आज्ञा न तो जा सकता है और न ही इसके आस पास इलाके में देर तक टहल ही सकता है.</p><p>अगर कोई व्यक्ति ऐसी जगहों पर पाया जाता है तो उस पर कम से कम सब-इंस्पेक्टर रैंक के पुलिस अधिकारी ही कार्रवाई कर सकते हैं.</p><p>ऐसे किसी व्यक्ति को इस क़ानून के तहत दो महीने तक की अवधि के लिए गिरफ़्तार किया जा सकता है. साथ ही उस पर जुर्माना भी लगाया जा सकता है.</p><p>यदि वह व्यक्ति ऐसे किसी जगह पर वहां तैनात सुरक्षाकर्मी को झांसा देकर घुसता है तो उसे अधिकतम तीन महीने तक की सज़ा दी जा सकती है.</p><figure> <img alt="लकड़ी की तस्करी" src="https://c.files.bbci.co.uk/149EF/production/_108836448_1d99af47-781b-4d70-90b3-e9578c4314a9.jpg" height="549" width="976" /> <footer>PTI</footer> </figure><h3>लकड़ी के तस्करों के लिए</h3><p>जब यह क़ानून लागू किया गया तो इसका मक़सद था लकड़ी की तस्करी रोकना. लेकिन बाद में इसका बहुत दुरुपयोग हुआ और इसका राजनीतिक कारणों से इस्तेमाल किया जाने लगा.</p><p>लकड़ी की तस्करी को रोकने के लिए ‘लकड़ी की तस्करी’ या ‘लकड़ी की तस्करी के लिए उकसाने’ या ‘तस्करी की लकड़ी की ढुलाई’ या ‘तस्करी की लकड़ी को रखना’ गुनाह माना गया है.</p><p>इस क़ानून की धारा 23 के तहत इस अधिनियम में बीच-बीच में बदलाव किए जाने का प्रावधान भी है.</p><figure> <img alt="kashmir" src="https://c.files.bbci.co.uk/60BB/production/_108836742_b7b1a623-6fc9-4bb4-891e-3b7d333b4cd5.jpg" height="549" width="976" /> <footer>AFP</footer> </figure><h3>कब-कौन हिरासत में?</h3><p>राज्य में अलगाववादी और चरमपंथी घटनाओं को रोकने को लेकर इस क़ानून का बहुतायत में इस्तेमाल किया जाता रहा है.</p><p>2016 में चरमपंथी संगठन हिज़बुल मुजाहिद्दीन के कमांडर बुरहान वानी की मुठभेड़ में मौत के बाद घाटी के सैकड़ों लोगों को इसी क़ानून के तहत हिरासत में लिया गया था.</p><p>मानवाधिकारों की रक्षा से जुड़े संगठन एमनेस्टी इंटरनेशनल ने 2012 और 2018 के बीच 200 मामलों का अध्ययन किया.</p><p>इस अध्ययन के मुताबिक़, तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती ने विधानसभा में यह कहा था कि 2016-2017 में पीएसए के तहत 2,400 लोगों को हिरासत में लिया गया. हालांकि इनमें से 58 फ़ीसदी मामलों को कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया.</p><p>अंग्रेज़ी अख़बार <a href="https://indianexpress.com/article/india/pulwama-to-aug-5-jammu-and-kashmir-hc-indicted-govt-for-psa-arrests-in-80-cases-6001153/">इंडियन एक्सप्रेस</a> के मुताबिक 14 फ़रवरी को पुलवामा में चरमपंथी हमले से लेकर 4 अगस्त तक जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर बेंच में कम से कम 150 हैबियस कॉर्पस (बंदी प्रत्यक्षीकरण) की याचिका दायर की गई. इनमें से 39 में फ़ैसला आया जिनमें से 80 फ़ीसदी मामलों में कोर्ट ने हिरासत को ख़ारिज करते हुए गिरफ़्तार व्यक्ति को तुरंत छोड़ने का आदेश दिया. ये सभी व्यक्ति पब्लिक सेफ़्टी एक्ट के तहत हिरासत में लिए गए थे.</p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम </a><strong>और </strong><a 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