”पेरिस जलवायु समझौते के लिए खतरा पैदा कर सकता है चीन की Belt and Road Scheme”

पेरिस : चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ (बीआरआई) योजना के तहत विभिन्न देशों में चल रहे विकास कार्य और कार्बन उत्सर्जन की वजह से पेरिस जलवायु समझौते के तहत तय किये गये लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल हो सकता है. यह आकलन एक वैश्विक रिपोर्ट में किया गया है. विशाल वैश्विक आधारभूत संरचना योजना पर […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 2, 2019 10:06 AM

पेरिस : चीन की ‘बेल्ट एंड रोड’ (बीआरआई) योजना के तहत विभिन्न देशों में चल रहे विकास कार्य और कार्बन उत्सर्जन की वजह से पेरिस जलवायु समझौते के तहत तय किये गये लक्ष्यों को हासिल करना मुश्किल हो सकता है. यह आकलन एक वैश्विक रिपोर्ट में किया गया है. विशाल वैश्विक आधारभूत संरचना योजना पर सोमवार को जारी रिपोर्ट में कहा गया कि बीआरआई के तहत एशिया, अफ्रीका, मध्य पूर्व और यूरोप में बंदरगाहों, रेलवे, सड़क और औद्योगिक पार्क का नेटवर्क बिछाने के लिए 126 देशों में खरबों डॉलर का निवेश होगा. इन परियोजनाओं के लिए चीन पर्याप्त धन मुहैया करा रहा है.

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इसके अलावा, निजी क्षेत्र भी इसमें निवेश कर रहे हैं, जबकि चीन की इस महत्वाकांक्षी परियोजना के विरोधियों ने इसके पर्यावारण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की चेतावनी दी है. रिपोर्ट के मुताबिक, केवल बीआरआई योजना के कारण होने वाला कार्बन उत्सर्जन ही पेरिस जलवायु लक्ष्य को पटरी से उतार सकता है. वर्ष 2015 में हुए पेरिस जलवायु समझौते में सभी देशों ने मिलकर औद्योगीकरण से पहले के तापमान के मुकाबले वैश्विक तापमान में वृद्धि को दो डिग्री सेल्सियस से नीचे रखने का लक्ष्य तय किया है.

शिन्हुआ सेंटर फॉर फायनेंस एंड डेवलपमेंट ने कहा कि चीन को छोड़कर बीआरआई योजना में शामिल 126 देशों की मानव जनित कार्बन उत्सर्जन में 28 फीसदी की हिस्सेदारी है. इस योजना के तहत विभिन्न तरीकों से 17 देशों में बड़े बंदरगाहों, पाइपलाइन, रेलवे लाइन और राजमार्गों का विकास किया जा रहा है. रिपोर्ट में कहा गया है कि रूस, ईरान, सऊदी अरब और इंडोनेशिया जैसे देशों को वैश्विक तापमान वृद्धि दो डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के लिए अपने कार्बन उत्सर्जन में मौजूदा स्तर से 2050 तक 68 फीसदी की कमी लानी होगी.

शिन्हुआ सेंटर के फेलो सिमॉन जेडक ने कहा कि बीआरआई इतना गतिशील और विशाल है कि अगर उत्सर्जन गलत दिशा में गया, तो अकेले जलवायु परिवर्तन के लक्ष्य को पटरी से उतार देगा. रिपोर्ट के अनुसार, बीआरआई में हरित तकनीकों का इस्तेमाल किया जाये, तो 39 फीसदी तक उत्सर्जन कम किया जा सकता है. गौरतलब है कि चीन विश्व का सबसे बड़ा कार्बन उत्सर्जक है और दुनिया में मानव जनित कार्बन उत्सर्जन में 30 फीसदी योगदान उसी का रहता है.

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