अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप का दावा- हांगकांग की सीमा पर चीन तैनात कर रहा है अपनी सेना

पिछले कई हफ्तों से हांगकांग में जारी लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन ने अब हिंसा का रूप ले लिया है. हजारों की संख्या में लोग चीन की सरकार के खिलाफ आक्रामक प्रदर्शन कर रहे हैं. चीन के अत्याचारों के खिलाफ हांगकांग काफी लंबे समय से लड़ता आया है, लेकिन हाल ही में आए एक बिल की वजह […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 14, 2019 9:50 AM
पिछले कई हफ्तों से हांगकांग में जारी लोकतंत्र समर्थक प्रदर्शन ने अब हिंसा का रूप ले लिया है. हजारों की संख्या में लोग चीन की सरकार के खिलाफ आक्रामक प्रदर्शन कर रहे हैं. चीन के अत्याचारों के खिलाफ हांगकांग काफी लंबे समय से लड़ता आया है, लेकिन हाल ही में आए एक बिल की वजह से ये प्रदर्शन फिर तेज हुआ है. इस बीच, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि चीन की सरकार हांगकांग के बॉर्डर पर तेजी से सेना बढ़ा रही है.
ट्रंप ने ट्वीट किया कि हमारी इंटेलिजेंस ने हमें बताया है कि चीन की सरकार हांगकांग की सीमा की ओर सेना बढ़ा रही है. सभी लोग शांत और सुरक्षित रहें. इससे पहले ट्रंप ने एक और ट्वीट कर यह सवाल किया था कि इलाके में उठे हालात के लिए उन्हें जिम्मेदार क्यों ठहराया जा रहा है. ट्रंप ने ट्वीट किया कि हांगकांग में जारी परेशानियों के लिए कई लोग मुझे और अमेरिका को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. मैं सोच नहीं सकता हूं (ऐसा) क्यों?.
इधर,, प्रदर्शनकारियों के धरने की वजह से दुनिया के सबसे बड़े एयरपोर्ट में शामिल हांगकांग हवाईअड्डे पर दूसरे दिन भी अफरातफरी रही और मंगलवार को सैकड़ों उड़ानें या तो रद्द कर दी गईं, या निलंबित कर दी गईं. इस बीच, पुलिस ने मंगलवार रात शहर के हवाईअड्डे के बाहर प्रदर्शनकारियों पर ‘मिर्च स्प्रे’ का इस्तेमाल किया. हांगकांग के नेतृत्व ने शहर में ऐसी स्थिति बनी रहने पर भयावह परिणाम होने के प्रति आगाह किया है.
यह नये तरह का प्रदर्शन ऐसे समय हुआ है, जब चीन ने प्रदर्शनकारियों का गुस्सा भड़काने वाला संकेत देते हुए कहा कि काफी समय से जारी अशांति का हर हाल में खात्मा होना चाहिए.
प्रदर्शनकारियों के उग्र होते प्रदर्शन को देखते हुए चीन की सरकार ने हांगकांग प्रशासन से इस मामले में सख्त कार्रवाई करने को कहा है. इसी के साथ चीन ने कई शहरों के बॉर्डर पर बख्तरबंद गाड़ियां तैनात कर दी हैं. हांगकांग की बिगड़ती स्थिति को देखते हुए भारत और अमेरिका जैसे देशों ने अपने देश के लोगों के लिए एडवाइजरी जारी कर दी है.
क्यों हो रहा है प्रदर्शन
पिछले 10 हफ्तों से हांगकांग में जो प्रदर्शन चल रहा है, उसके पीछे चीनी सरकार का एक कानून है. जिसने एक बार फिर हांगकांग में रह रहे लोकतंत्र समर्थक लोगों को चीन के खिलाफ आवाज़ उठाने का मौका दिया. दरअसल, यहां का प्रशासन एक कानून लेकर आया है जिसके अंतर्गत अगर कोई व्यक्ति चीन में कोई अपराध करता है तो उसे जांच के लिए प्रत्यर्पित किया जा सकेगा.
इससे पहले इस बिल में ये प्रावधान नहीं था, पहले ऐसा था कि अगर कोई अपराध करता है तो उसे किसी अन्य देश में प्रत्यर्पित करने की संधि नहीं थी. लेकिन बिल में संशोधन किया गया और कई देशों के साथ संधि की गई. जिनमें चीन, ताइवान, मकाऊ जैसे स्थान शामिल हैं. इस बिल को हांगकांग की संसद से आसानी से पास करा लिया गया, क्योंकि वहां चीन समर्थक कई लोग मौजूद हैं.
हांगकांग की प्रमुख नेता कैरी लैम की गिनती भी चीन के समर्थकों में होती है, उन्होंने खुद इस कानून का समर्थन किया है. कैरी लैम का मानना है कि समय के साथ कानून में बदलाव होने चाहिए और अपराधी किसी भी कीमत में छूटना नहीं चाहिए. उन्होंने प्रदर्शनकारियों से मांग भी की है कि एक बार विचार कर इस कानून का समर्थन करना चाहिए.
पुराना है विरोध का इतिहास
करीब 150 साल तक ब्रिटिश उपनिवेश रहा हांगकांग 1997 में चीन का ‘विशेष प्रशासनिक क्षेत्र’ बन गया था. उस वक्त वैश्विक आर्थिक केंद्र बन चुके हांगकांग के लोगों को डर था कि बीजिंग में कम्युनिस्ट पार्टी के संरक्षण में उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो सकता है.
पिछले कुछ सालों में कई मुद्दों को लेकर हांगकांग के लोग चीन की कम्युनिस्ट पार्टी के खिलाफ प्रदर्शन करते रहे हैं, जिनमें राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (2003), अंब्रेला आंदोलन (2014), किताब विक्रेताओं पर निशाना (2015) शामिल रहे हैं. अब एक बार फिर प्रत्यर्पण बिल की वजह से ये गुस्सा फूट पड़ा.

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