वाशिंगटन डीसी में पाक पीएम इमरान खान और आर्मी चीफ के खिलाफ प्रदर्शन, जानिए बलूचों की नाराजगी का कारण

नयी दिल्ली: अमेरिका के वाशिंगटन डीसी शहर में बलोच, सिंधी, पश्तून और हिन्दू समुदाय सहित पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा और प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां ले रखी थी जिसमें कार्टून बने थे और स्लोगन लिखा हुआ था. इन […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 23, 2019 12:33 PM

नयी दिल्ली: अमेरिका के वाशिंगटन डीसी शहर में बलोच, सिंधी, पश्तून और हिन्दू समुदाय सहित पाकिस्तान के अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों ने पाकिस्तान के आर्मी चीफ जनरल कमर बाजवा और प्रधानमंत्री इमरान खान के खिलाफ प्रदर्शन किया. प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां ले रखी थी जिसमें कार्टून बने थे और स्लोगन लिखा हुआ था. इन कार्टूनों के जरिये पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर हो रहे अत्याचार पर तंज कसा गया था.

पोस्टर में इंग्लिश में लिखा था कि अमेरिका आप हमें पैसा और हथियार देते रहिये और हम आपको हिंसा और आंतक लौटाते रहेंगे. इसके अलावा अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को संबोधित करते हुये कहा गया कि इससे पहले की देर हो जाये मिस्टर प्रेसिडेंट आप इनके इरादों से चौकन्ने हो जाइये. इसके अलावा पाक प्रतिनिधिमंडल के विरोध में और भी कई बातें इन पोस्टरों में लिखी थी.

इमरान खान का संबोधन के दौरान हुआ था विरोध

बता दें कि इससे पहले सोमवार को वाशिंगटन में पाकिस्तानी मूल के लोगों को संबोधित करने के दौरान भी इमरान खान को बलोच लोगों के विरोध का सामना करना पड़ा था. संबोधन के दौरान तीन-चार की संख्या में बलोच समुदाय के लोगों ने नारेबाजी की और उपद्रव किया. सवाल ये है कि आखिर क्यों पाकिस्तानी प्रतिनिधिमंडल का अमेरिका में इतना विरोध किया जा रहा है.

बलूचिस्तान की आजादी के लिए बने संगठन

दरअसल, बलूचिस्तान-गिलगित पाक अधिकृत कश्मीर के अंतर्गत आता है और इसको लेकर हमेशा विवाद की स्थिति बनी रहती है. पाकिस्तान पर इन इलाकों में जबरन कब्जे का आरोप है जो उसने 1948 के संघर्ष के दौरान किया था. ये इलाके हमेशा आजादी या फिर कम से कम आंतरिक स्वायत्ता की मांग करते रहे हैं.

आजादी के संघर्ष के लिए बलूचिस्तान के लोगों ने कई संगठनों का गठन भी किया. इनमें से एक संगठन का नाम बलूच लिब्रेशन आर्मी है जिसका उद्देश्य सशस्त्र संघर्ष के जरिये बलूचिस्तान की आजादी हासिल करनी है. हाल ही में खबर आयी थी कि पाकिस्तान गिलगित-बलूचिस्तान को अपने पांचवे प्रांत के तौर पर शामिल करना चाहता है क्योंकि अभी तक इन प्रांतों को अपना प्रतिनिधि पाकिस्तान की संसद में भेजने का अधिकार नहीं है. इधर भारत भी नहीं चाहता कि पाकिस्तान उन्हें अपने प्रांत का दर्जा दे क्योंकि इससे सीपैक की योजना और भी ज्यादा मजबूत हो जायेगी क्योंकि चाइना पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर इसी इलाके से होकर गुजरता है, जिसका भारत हमेशा विरोध करता आया है.

पाक पर लगता रहा है मानवाधिकार उल्लंघन का आरोप

गौरतलब है कि पाकिस्तान पर सालों से गिलगित और बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघनन का आरोप लगता रहा है. बलूचों का मानना है कि सामुदायिक, भौगोलिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से गिलगित-बलूचिस्तान का इलाका पाकिस्तान से सर्वथा अलग है, बावजूद इसके पाकिस्तान ने जबरन उसे अपने अधिकारक्षेत्र के अंतर्गत लिया हुआ है. पाकिस्तान पर आरोप है कि वो बलूचिस्तान में प्राकृतिक संसाधनों का दोहन करता है. वहां युवाओं को पाकिस्तान की किसी भी सेवा में कोई मौका नहीं दिया जाता. पाक आर्मी पर भी वहां युवकों और महिलाओं पर ज्यादतियां करने का आरोप लगता रहा है.

हाल ही में बलूचिस्तान से संबधित विभिन्न संगठनों ने जेनेवा स्थित अंतर्राष्ट्रीय मानवाधिकार संगठन के सामने गिलगित और बलूचिस्तान में मानवाधिकारों के उल्लंघन, पाक आर्मी की ज्यादती, संवैधानिक अधिकारों सहित अन्य मुद्दों को लेकर प्रदर्शन किया था. अब अमेरिका में विरोध प्रदर्शन के जरिये बलोच दुनिया का ध्यान इस मुद्दे की ओर आकृष्ट करना चाहते हैं क्योंकि इमरान खान के इस दौरे पर पूरे विश्व की नजर है.

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