आरटीआई बिल के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन क्यों?

<figure> <img alt="आरटीआई क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/0F4D/production/_107971930_96f573c9-f364-4dfb-a578-76c4e24e625a.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>मोदी सरकार ने शुक्रवार को लोक सभा में सूचना अधिकार संशोधन बिल पेश किया है जिसमें मुख्या सूचना आयुक्तों और सूचना आयुक्तों के कार्यकाल से लेकर उनके वेतन और सेवा शर्तें निर्धारित करने का फ़ैसला केंद्र सरकार ने अपने हाथ में रखने का प्रस्ताव रखा […]

By Prabhat Khabar Print Desk | July 22, 2019 10:59 PM

<figure> <img alt="आरटीआई क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/0F4D/production/_107971930_96f573c9-f364-4dfb-a578-76c4e24e625a.jpg" height="351" width="624" /> <footer>Getty Images</footer> </figure><p>मोदी सरकार ने शुक्रवार को लोक सभा में सूचना अधिकार संशोधन बिल पेश किया है जिसमें मुख्या सूचना आयुक्तों और सूचना आयुक्तों के कार्यकाल से लेकर उनके वेतन और सेवा शर्तें निर्धारित करने का फ़ैसला केंद्र सरकार ने अपने हाथ में रखने का प्रस्ताव रखा है </p><p>आज से लगभग 14 साल पहले यानी 12 अक्तूबर 2005 को देश में &quot;सूचना का अधिकार&quot; यानी आरटीआई क़ानून लागू हुआ. इसके अंतर्गत किसी भी नागरिक को सरकार के किसी भी काम या फ़ैसले की सूचना प्राप्त करने का अधिकार हासिल है. सामाजिक कार्यकर्ताओं के मुताबिक़ इस क़ानून को आज़ाद भारत में अब तक के सब से कामयाब क़ानूनों में से एक माना जाता है. एक अंदाज़े के मुताबिक़ इस क़ानून के तहत नागरिक हर साल 60 लाख से अधिक आवेदन देते हैं </p><p>इसका संसद और इसके बाहर विपक्ष ने कड़ा विरोध किया है. सामाजिक कार्यकर्ता, सोमवार को सिविल सोसाइटी और मानव अधिकार संस्थाओं ने दिल्ली में कड़ा विरोध प्रदर्शन किया. </p><h3>अधिनियम का विरोध क्यों? </h3><p>कांग्रेस पार्टी के नेता शशि थरूर ने लोक सभा में कहा कि ये एक &quot;आरटीआई उन्मूलन विधेयक है.&quot; प्रस्तावित आरटीआई संशोधन विधेयक का विरोध करने वालों के अनुसार मोदी सरकार आरटीआई को कमज़ोर कर रही है. </p><p>सोमवार को विरोध प्रदर्शन की एक आयोजक और आरटीआई कार्यकर्ता अंजलि भारद्वाज ने बीबीसी से कहा, &quot;सरकार की मंशा साफ़ नज़र आ रही है. सरकार नहीं चाहती कि वो लोगों के प्रति जवाबदेह हो. सरकार लोगों को सूचना नहीं देना चाह रही है और इसलिए इस क़ानून को कमज़ोर करने के लिए सरकार इसमें बदलाव करना चाहती है.&quot; </p><figure> <img alt="आरटीआई क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/847D/production/_107971933_eee074e9-e9fe-4e49-ba97-b3605965d6b9.jpg" height="351" width="624" /> <footer>EPA</footer> </figure><p>मानवाधिकार मामलों की वकील शिखा छिब्बर कहती हैं, &quot;ये एक आम नागरिक के लिए अपने अधिकार को इस्तेमाल करके सरकार से जानकारी हासिल करने का एक आख़िरी माध्यम बचा था. इसका संशोधन हुआ तो ये भी माध्यम ख़त्म हो जाएगा.&quot; </p><h3>प्रस्तावित बिल मौजूदा क़ानून को कैसे बदलता है</h3><p>प्रस्तावित बिल आरटीआई क़ानून, 2005 की धारा 13 और 16 में संशोधन करता है जिसके तहत केंद्रीय मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों का कार्यकाल पाँच वर्ष (या 65 वर्ष की आयु तक, जो भी पहले हो) के लिए निर्धारित किया जाता है. </p><p>मोदी सरकार का प्रस्ताव है कि अब कार्यकाल का फ़ैसला केंद्र सरकार करेगी. धारा 13 में कहा गया है कि मुख्य सूचना आयुक्त के वेतन, भत्ते और सेवा की अन्य शर्तें मुख्य चुनाव आयुक्त के समान ही होंगे और सूचना आयुक्त के भी चुनाव आयुक्त के समान ही होंगे. </p><p>धारा 16 राज्य स्तरीय मुख्य सूचना आयुक्तों और सूचना आयुक्तों से संबंधित है. ये इनके लिए पांच साल (या 65 वर्ष की आयु, जो भी पहले हो) का कार्यकाल निर्धारित करती है. संशोधन का प्रस्ताव है कि ये नियुक्तियां और कार्यकाल का फ़ैसला अब केंद्र सरकार करे. </p><p>कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन के राज मंत्री जितेंद्र सिंह कहते हैं कि मोदी सरकार आरटीआई क़ानून को अधिक बल देना चाहती है. शुक्रवार को संसद में बिल पेश करते हुए उन्होंने कहा कि पहले पांच साल के लिए मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों की नियुक्ति होती थी. अब उनका कार्यकाल कितना लंबा होगा इसका फैसला केंद्र करेगा. केंद्र राज्यों के लिए भी यह तय करेगा. </p><p>उनके अनुसार पहले मुख्य सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्त की सेवा की शर्तें चुनाव आयुक्तों के समान होती थीं. अब शर्तें बदली जाएंगी. जितेन्द्र सिंह के अनुसार चुनाव आयोग एक संवैधानिक संस्था है जबकि सूचना आयोग एक क़ानूनी संस्था है. दोनों में अंतर होता है.</p><p>लेकिन लोकसभा में कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि विधेयक केंद्रीय सूचना आयुक्त की &quot;स्वतंत्रता के लिए ख़तरा&quot; है. तृणमूल कांग्रेस, डीएमके और एआईएमआईएम के सदस्यों ने भी विरोध किया। </p><p>सामाजिक कार्यकर्ता शिखा छिब्बर कहती हैं कि वो सरकार के तर्क से संतुष्ट नहीं हैं. &quot;इंफॉर्मेशन कमिश्नर इतने सालों से स्वतंत्रता के साथ काम कर रहे हैं. उनका कार्यकाल पांच साल के लिए होता है इसमें कोई समस्या नहीं थी. अगर सरकार सत्ता में दोबारा आने के दो महीने बाद ही ये प्रस्ताव लाती है तो ऐसा लगता है कि वो सब कुछ कंट्रोल करना चाहती है ताकि सूचना आयोग आज़ादी के साथ काम नहीं कर सके.&quot;</p><h3>आम नागरिक को इससे क्या फ़र्क़ पड़ेगा?</h3><p>अंजली भारद्वाज कहती हैं कि ये लोकतंत्र के लिए घातक साबित हो सकता है. वो कहती हैं, &quot;अगर ये बिल पारित हो जाता है तो सूचना आयोग बहुत कमज़ोर हो जाएगा. अभी अगर आम आदमी सरकार से भ्रष्टाचार या मानव अधिकार के हनन के बारे में सूचना मांगता है तो वो सूचना आयोग जाता है लेकिन अगर आयोग में जो आयुक्त बैठे हैं वो कमज़ोर हो जाते हैं तो लोगों की सूचना लेने की प्रक्रिया कमज़ोर हो जायेगी और वो ऐसी सूचना नहीं ले सकेंगे जिससे वो सरकार को जवाबदेह बना सकें.&quot;</p><figure> <img alt="आरटीआई क़ानून" src="https://c.files.bbci.co.uk/084F/production/_107972120_fe881644-1649-4764-8dd0-5522560d9342.jpg" height="351" width="624" /> <footer>BBC</footer> </figure><p>केंद्र सरकार ने पिछले साल भी संशोधन पेश करने की कोशिश की थी लेकिन विपक्ष के विरोध के कारण विधेयक को वापस लेना पड़ा.</p><p>आरटीआई कार्यकर्ताओं के ख़िलाफ़ हिंसा की वारदातें भी हुई हैं और भारतीय मीडिया के अनुसार अब तक 50 से अधिक कार्यकर्ताओं ने अपनी जाएं गंवाईं हैं. </p><p>वैसे आरटीआई जनता में काफ़ी लोकप्रिय है. पत्रकार भी इसका लाभ ले रहे हैं. इसे स्वतंत्र भारत के सबसे कामयाब क़ानूनों में से एक माना जाता है. इसने आम नागरिकों को सरकारी अधिकारियों के प्रश्न पूछने का अधिकार और विश्वास दिया है. </p><p>सामाजिक कार्यकर्ता कहते हैं कि अगर सरकार ने इस बिल को वापस नहीं लिया तो वो इसे अदालत में चुनौती देंगे </p><p><strong>(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">यहां क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/bbchindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

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