चेन्नई: जल संकट से निपटने का रास्ता दिखाता ‘रेन मैन’

<figure> <img alt="डॉक्टर शेखर राघवन" src="https://c.files.bbci.co.uk/8410/production/_107480833_screenshot2019-06-20at23.01.43.png" height="549" width="976" /> <footer>Imran Qureshi/BBC</footer> </figure><p>गुरुवार की दोपहर जब आसमान में अचानक काले बादल छाए और बारिश होने लगी, तो चेन्नई के रेन मैन नन्हे बच्चे की तरह चहक उठे. </p><p>अपनी बालकनी में खड़े हो कर उन्होंने अपनी अंजुरी में बारिश का पानी इकट्ठा किया और फिर उसे पी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 21, 2019 10:58 PM

<figure> <img alt="डॉक्टर शेखर राघवन" src="https://c.files.bbci.co.uk/8410/production/_107480833_screenshot2019-06-20at23.01.43.png" height="549" width="976" /> <footer>Imran Qureshi/BBC</footer> </figure><p>गुरुवार की दोपहर जब आसमान में अचानक काले बादल छाए और बारिश होने लगी, तो चेन्नई के रेन मैन नन्हे बच्चे की तरह चहक उठे. </p><p>अपनी बालकनी में खड़े हो कर उन्होंने अपनी अंजुरी में बारिश का पानी इकट्ठा किया और फिर उसे पी लिया.</p><p>डॉक्टर शेखर राघवन कहते हैं, &quot;ज़ाहिर है, बारिश देख कर मैं खुश हूं. मैं 200 दिनों के बाद फिर से बारिश देख रहा हूं. बीते साल दिसंबर की पांच तारीख को ऐसी ही झमाझम बारिश हुई थी. वैसे तो दिसंबर महीने के आख़िरी दिन तक बारिश होती है लेकिन उत्तर पूर्वी मॉनसून फेल हो गई थी और दिसंबर पांच के बाद से ही बारिश बंद हो गई थी. बारिश अद्भुत है.&quot;</p><p>बारिश देख कर खुश होने वाले डॉक्टर शेखर राघवन को चेन्नई का रेन मैन कहा जाता है. वो चेन्नई स्थित द रेन सेंटर के संस्थापक हैं औऱ बारिश को लेकर अपने आंकलन में भी स्पष्ट रहे हैं.</p><p>डॉक्टर राघवन कहते हैं, &quot;थोड़ी-सी बूंदा-बांदी से कोई मदद नहीं होगी. ये उन्हीं के लिए मददग़ार होगी जो पानी जमा कर सकते हैं. बारिश न होने के कारण एक तरह की सूखे की स्थिति है और इससे भू-जल स्तर को फिर से रिचार्ज करने में कोई मदद नहीं मिलने वाली है.&quot;</p><p>डॉक्टर राघवन दक्षिण भारत के इस शहर की पानी की समस्या से निपटने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग यानी बारिश के पानी का संग्रहण करने की वकालत की थी. इसी कारण उन्हें रेन मैन कहा जाने लगा.</p><figure> <img alt="डॉक्टर शेखर राघवन" src="https://c.files.bbci.co.uk/D230/production/_107480835_screenshot2019-06-20at23.03.25.png" height="750" width="976" /> <footer>Imran Qureshi/BBC</footer> </figure><p>अन्य शहरों के उलट, चेन्नई दक्षिण पश्चिम मानसून के छाया क्षेत्र में आता है. यह पूरी तरह से उत्तर पूर्वी मानसून से होने वाली बारिश पर निर्भर है जो अक्टूबर से दिसंबर तक रहता है.</p><p>लेकिन पिछले साल उत्तर पूर्वी मानसून विफल रहा था. साथ ही शहर के आसपास फैले चार बड़े जलाशय रेड हिल्स, शोलावरम, पुंडी और चेम्बाराबक्कम के रखरखाव की कमी के कारण पानी का संकट पैदा हो गया.</p><p>भूजल स्तर इस कदर कम हो गया है शहर में रहने वाले लोग पानी के टैंकरों से पानी खरीदने के लिए मजबूर हैं और इसके लिए चार गुना अधिक पैसे देने के लिए तैयार हैं. पानी की कमी के कारण स्कूलों में काम के घंटे कम कर दिए गए हैं. यहां तक ​​कि कंपनियां अपने कर्मचारियों से कह रही हैं कि वो घर से काम करें.</p><p>डॉक्टर राघवन कहते हैं, &quot;विडंबना यह है कि भू-जल स्तर में कमी के कारण बोरवेलों में भी अब पानी नहीं है. लेकिन बोरवेल के मुक़ाबले खुले कुंओं में पानी उतना कम नहीं हुआ है. असल में सूखे की इस स्थिति में भी, खुले कुओं में 10 फीट तक पानी अभी भी है. और इनमें 18 से 20 फीट पर पानी है.&quot;</p><figure> <img alt="डॉक्टर शेखर राघवन" src="https://c.files.bbci.co.uk/12050/production/_107480837_screenshot2019-06-20at23.02.41.png" height="549" width="976" /> <footer>Imran Qureshi/BBC</footer> </figure><p>बीबीसी के साथ डॉक्टर राघवन का साक्षात्कार इस मोड़ पर पहुंचा था जब एक युवा गृहिणी, सौम्या अर्जुन उनसे बात करने पहुंचीं. सौम्या का कहना था कि वो जल्द से जल्द डॉक्टर राघवन से बात करना चाहती हैं.</p><p>डॉक्टर राघवन से सौम्या कहती हैं कि वो 69 घरों वाले एक परिसर में रहती हैं. वो कहती हैं, &quot;69 घरों में से 40 परिवार उनके साथ हैं और वो परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना चाहते हैं.&quot;</p><p>वो कहती हैं कि उन्हें यकीन है कि कुछ वक्त में बाकी के 29 परिवार भी उनके साथ होंगे.</p><figure> <img alt="चेन्नई में जल संकट" src="https://c.files.bbci.co.uk/17136/production/_107481549_screenshot2019-06-20at23.04.39.png" height="549" width="976" /> <footer>Imran Qureshi/BBC</footer> </figure><p>सौम्या कहती हैं कि उनके रेन सेन्टर में आने का कारण है कि उन्हें अपने परिसर के फैसिलिटी मैनेजर से पता चला है कि परिसर में रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाने का खर्चा करीब दो लाख रुपये होगा.</p><p>वो कहती हैं, &quot;इसका मतलब है कि 69 परिवारों के लिए खर्च मात्र 3000 रूपये प्रति परिवार होगा. हम फिलहाल पानी के टैंकर से एक दिन के 24,000 लीटर पानी खरीदने के लिए जितना पैसा खर्च कर रहे हैं, ये उसका मात्र एक तिहाई होगा.&quot;</p><p>वो कहती हैं कि प्रतिदिन वो जो 24,000 लीटर पानी खरीदते हैं वो आवश्यकता से काफी कम है क्योंकि परिसर में बसे परिवारों की एक दिन की ज़रूरत 35,000 लीटर पानी की है. </p><p>डॉक्टर राघवन कहते हैं, &quot;पानी की कमी ने अमीरों को ग़रीबों को समान स्तर पर लाकर रख दिया है. लोगों के पास पैसा तो है लेकिन पानी नहीं है.&quot;</p><figure> <img alt="चेन्नई में जल संकट" src="https://c.files.bbci.co.uk/3C9E/production/_107481551_screenshot2019-06-20at23.06.48.png" height="549" width="976" /> <footer>Imran Qureshi/BBC</footer> </figure><p>डॉक्टर राघवन, सौम्या से वादा करते हैं कि 10 दिन बाद वो उनके घर आएंगे.</p><p>किसी को आरंभिक सलाह देने के लिए रेन सेटंर किसी तरह का कोई शुल्क नहीं लेता. परिसर में रहने वाले लोग बारिश के पानी का संरक्षण करने यानी रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए खुद काम करने का फ़ैसला ले सकते हैं.</p><p>वो कहते हैं &quot;बीते पंद्रह दिनों से चेन्नई के विभिन्न इलाकों से उन्हें रोज़ाना करीब 10 लोग या तो मिलने आते हैं या फिर फ़ोन करते हैं. सभी रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम लगाना चाहते हैं.&quot; </p><figure> <img alt="जयललिता" src="https://c.files.bbci.co.uk/8ABE/production/_107481553_screenshot2019-06-20at23.04.05.png" height="549" width="976" /> <footer>Imran Qureshi/BBC</footer> </figure><p>आज की स्थिति करीब पच्चीस साल पहले की स्थिति से काफी अलग है. पहले भी डॉक्टर राघवन रेन वाटर हार्वेस्टिंग के बरे में प्रचार करते थे लेकिन उन्हें और उनकी बातों को नज़रअंदाज़ किया जाता था. </p><p>लेकिन बाद में एक मीडिया रिपोर्ट के बाद लोगों को ये समझने में मदद मिली कि बढ़ते तापमान के साथ अगर बारिश न हो तो पानी के संकट की स्थिति से कैसे निपटा जाए इसका रास्ता डॉक्टर राघवन बताते हैं.</p><p>उनके इस विचार को उस वक्त समर्थन मिला जब तत्कालीन मुख्यमंत्री जे जयललिता के नेतृत्व वाली सरकार ने घर बनाने वालों के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाना अनिवार्य कर दिया. लेकिन उनके बाद की सरकारों ने उनके फ़ैसले को गंभीरता से नहीं लिया और इसके कार्यान्वयन को प्रोत्साहित नहीं किया गया.</p><p>डॉक्टर राघवन मानते हैं कि चेन्नई में पानी की कमी हमेशा रहने के पीछे संकट से निपटने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं को लागू करने में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है.</p><p>वो कहते हैं, &quot;आज हम जिस स्थिति का सामना कर रहे हैं वो मानव निर्मित समस्या है. चेन्नई में पानी का संग्रहण करने के लिए पारंपरिक तौर पर कई जलाशय थे. लेकिन ये तालाब और झीलें अब कूड़े से पट गई हैं. सालों से तालाबों और जलाशयों का रखरखाव नहीं हुआ है. पानी के जमा होने के लिए कोई रास्ता ही नहीं बचा है.&quot; </p><p><strong> (बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए आप यहां </strong><a href="https://play.google.com/store/apps/details?id=uk.co.bbc.hindi">क्लिक</a><strong> कर सकते हैं. आप हमें </strong><a href="https://www.facebook.com/BBCnewsHindi">फ़ेसबुक</a><strong>, </strong><a href="https://twitter.com/BBCHindi">ट्विटर</a><strong>, </strong><a href="https://www.instagram.com/bbchindi/">इंस्टाग्राम</a><strong> और </strong><a href="https://www.youtube.com/bbchindi/">यूट्यूब</a><strong> पर फ़ॉलो भी कर सकते हैं.)</strong></p>

Next Article

Exit mobile version