नाइजीरिया के तिजानी मुहम्मद बने संयुक्त राष्ट्र महासभा के अध्यक्ष

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र में नाइजीरिया के दूत तिजानी मुहम्मद बंदे महासभा के अगले अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने कहा है कि वह सुरक्षा परिषद की लंबित सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाकर यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि संयुक्त राष्ट्र की यह शक्तिशाली संस्था ज्यादा लोकतांत्रिक और प्रभावी बने. एक दशक पहले अंतर सरकार वार्ता […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 5, 2019 4:15 PM

संयुक्त राष्ट्र : संयुक्त राष्ट्र में नाइजीरिया के दूत तिजानी मुहम्मद बंदे महासभा के अगले अध्यक्ष निर्वाचित हुए हैं. उन्होंने कहा है कि वह सुरक्षा परिषद की लंबित सुधार प्रक्रिया को आगे बढ़ाकर यह सुनिश्चित करना चाहेंगे कि संयुक्त राष्ट्र की यह शक्तिशाली संस्था ज्यादा लोकतांत्रिक और प्रभावी बने.

एक दशक पहले अंतर सरकार वार्ता (आईजीएन) के बाद 15 राष्ट्रों वाले संयुक्त राष्ट्र की संस्था के लंबित सुधार में मामूली प्रगति हुई है. महासभा के सितंबर से शुरू हो रहे अगले सत्र में यूएनएससी में सुधार के लिए वार्ता प्रक्रिया शुरू होने वाली है. सुरक्षा परिषद में 15 सदस्य हैं. इसमें पांच स्थायी और दस अल्पकालिक सदस्य हैं. भारत के साथ ब्राजील, जर्मनी और जापान लंबे समय से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में सुधार का आह्वान कर रहे हैं. इन देशों का कहना है कि स्थायी सदस्य के तौर पर संयुक्त राष्ट्र की इस महत्वपूर्ण संस्था में आने के वे हकदार हैं.। मुहम्मद बंदे, मारिया फर्नांडा एसपिनोसा की जगह लेंगे. सितंबर से शुरू हो रही महासभा के 74 वें सत्र के अध्यक्ष के तौर पर मुहम्मद बंदे का चुनाव हुआ है.

इससे पहले, अपने चुनाव के बाद 193 सदस्यीय महासभा को संबोधित करते हुए मुहम्मद बंदे ने कहा कि उनके कार्यकाल में शांति और सुरक्षा, गरीबी उन्मूलन, भुखमरी खत्म करने, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, पर्यावरण आदि पर फोकस रहेगा. मुहम्मद बंदे को बधाई देते हुए संयुक्त राष्ट्र में भारत के दूत सैयद अकबरुद्दीन ने ट्वीट किया, भारत के मित्र संयुक्त राष्ट्र महासभा के अगले अध्यक्ष निर्वाचित हुए. नाइजीरिया के प्रोफेसर तिजानी मुहम्मद बंदे को संयुक्त राष्ट्र में भारत के पूरे दल की ओर से बधाई. चुने जाने के बाद मुहम्मद ने कहा कि सुरक्षा परिषद की सुधार प्रक्रिया में प्रगति नहीं होने का समर्थन नहीं किया जा सकता और इसे ज्यादा लोकतांत्रिक तथा प्रभावी बनाये जाने की जरूरत है. भारत ने मुहम्मद बंदे की उम्मीदवारी का समर्थन करते हुए उन्हें अपना विशिष्ट मित्र बताया था.

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