लोकसभा चुनाव : प बंगाल के जादवपुर में जंग ग्लैमर और अनुभव के बीच

जादवपुर से रीता तिवारीकोलकाता की जिस प्रतिष्ठित जादवपुर सीट पर तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर बांग्ला फिल्मों की अभिनेत्री मिमी चक्रवर्ती मैदान में हैं, वहां लगभग 35 साल पहले ममता बनर्जी ने अपने पहले लोकसभा चुनाव में माकपा के दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी को धूल चटा दी थी. हालांकि यह भी सच है कि 1984 […]

By Prabhat Khabar Print Desk | May 19, 2019 7:38 AM

जादवपुर से रीता तिवारी
कोलकाता की जिस प्रतिष्ठित जादवपुर सीट पर तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर बांग्ला फिल्मों की अभिनेत्री मिमी चक्रवर्ती मैदान में हैं, वहां लगभग 35 साल पहले ममता बनर्जी ने अपने पहले लोकसभा चुनाव में माकपा के दिग्गज नेता सोमनाथ चटर्जी को धूल चटा दी थी. हालांकि यह भी सच है कि 1984 में इंदिरा गांधी की हत्या की वजह से कांग्रेस के प्रति देश में जबरदस्त लहर थी और ममता छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय थीं.

दूसरी ओर, मिमी बांग्ला फिल्मों में अभिनय करती रही हैं और राजनीति का ककहरा तक नहीं जानतीं. वर्ष 2014 में तृणमूल कांग्रेस के डॉ. सुगत बोस ने माकपा के सुजन चक्रवर्ती को हरा कर यह सीट जीती थी. इस बार हार्वर्ड विश्वविद्यालय से उन्हें अनुमति नहीं मिलने की वजह से ममता ने मिमी को उतार कर राजनीतिक पंडितों को भी हैरत में डाल दिया. यहां मिमी का मुकाबला माकपा के वरिष्ठ नेता विकास रंजन भट्टाचार्य व भाजपा के डॉ. अनुपम हाजरा से है. हाजरा पिछली बार बीरभूम से तृणमूल के टिकट पर जीते थे.

पार्टी-विरोधी गतिविधयों के आरोप में तृणमूल से निकाले जाने के बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया है. राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि इस सीट पर पहली बार फिल्मी सितारे को जमीन पर उतारकर ममता ने चुनावी लड़ाई में ग्लैमर का तड़का लगा दिया है. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि यहां ग्लैमर जीतता है या अनुभव उस पर भारी पड़ता है.

मिमी चक्रवर्ती, टीएमसी
मीमी मानती हैं कि राजनीति में उनका अनुभव शून्य है और इस सीट पर उनका मुकाबला दिग्गज राजनेताओं से है. लेकिन उन्हें उम्मीद है कि लोग दीदी के नाम पर वोट देंगे. अपनी तमाम रैलियों में वे कहती भी हैं कि आप मुझे नहीं, बल्कि ममता बनर्जी के नाम पर वोट दें. ममता बनर्जी मिमी के समर्थन में कई रैलियां कर चुकी हैं. उन रैलियों में खासकर मिमी को देखने और उनके साथ सेल्फी खिंचाने के शौकीनों की भारी भीड़ तो जुटती है. सवाल भी उठ रहे हैं कि क्या यह भीड़ वोटों में बदल सकेगी?

अनुपम हाजरा, भाजपा
भाजपा भी इस सीट पर जीत के दावे कर रही है. पार्टी के उम्मीदवार अनुपम हाजरा दावा करते हैं कि लोग माकपा से पहले ही आजिज आ चुके हैं और तृणमूल कांग्रेस उम्मीदवार को राजनीति की एबीसीडी भी नहीं आती. ऐसे में भाजपा ही उनके लिए एकमात्र विकल्प है. वर्ष 2009 में इस सीट पर भाजपा को महज 1.90 फीसदी वोट मिले थे, जो वर्ष 2014 में बढ़ कर 12.22 फीसद तक पहुंच गये.

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