Lok Sabha Election: चुनावी बुखार चढ़ने के साथ ही गिरता जा रहा है नेताओं की भाषा का स्तर

नयी दिल्ली : देश में चुनावी बुखार चढ़ने के साथ ही नेताओं की भाषा का स्तर दिन-ब-दिन गिरता प्रतीत हो रहा है और उनकी जुबान फिसलने का सिलसिला जारी है. जहां एक ओर पहले भी कई बार विवादित बयान दे चुके सपा नेता आजम खान ने अपनी प्रतिद्वंद्वी के ‘‘अंडरवियर” के रंग पर कथित टिप्पणी […]

By Prabhat Khabar Print Desk | April 16, 2019 12:30 PM

नयी दिल्ली : देश में चुनावी बुखार चढ़ने के साथ ही नेताओं की भाषा का स्तर दिन-ब-दिन गिरता प्रतीत हो रहा है और उनकी जुबान फिसलने का सिलसिला जारी है. जहां एक ओर पहले भी कई बार विवादित बयान दे चुके सपा नेता आजम खान ने अपनी प्रतिद्वंद्वी के ‘‘अंडरवियर” के रंग पर कथित टिप्पणी की तो वहीं कांग्रेस के कमलनाथ ने कथित रूप से बयान दिया कि जब नरेंद्र मोदी ने ‘‘पैंट और पायजामा पहनना भी नहीं सीखा था”, तब पूर्व प्रधानमंत्रियों जवाहर लाल नेहरू और इंदिरा गांधी ने देश की फौज, नौसेना और वायुसेना बनाई थी.

आजम खान के विवादित बयान के बाद निर्वाचन आयोग (ईसी) ने कुछ समय के लिए उनके चुनाव प्रचार करने पर रोक लगा दी, उत्तर प्रदेश पुलिस ने उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की और राष्ट्रीय महिला आयोग ने उन्हें नोटिस दे दिया, लेकिन खान को अपने बयान पर कोई खेद नहीं है. उनका कहना है कि उन्होंने अपने बयान में किसी का नाम नहीं लिया. विभिन्न राजनीतिक दलों के साथ काम कर रहे प्रचार मुहिम प्रबंधकों का कहना है कि इस प्रकार के विवादित बयान अक्सर एक रणनीति के तहत दिए जाते हैं ताकि मतदाताओं का ध्रुवीकरण किया जा सके और सोशल मीडिया प्रचार तंत्र के तहत इसे प्रसारित किया जाता है.

खान के अलावा ईसी ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, केंद्रीय मंत्री मेनका गांधी और बसपा सुप्रीमो मायावती के विवादित बयानों को लेकर कुछ समय के लिए उनके चुनाव प्रचार करने पर सोमवार को प्रतिबंध की घोषणा की लेकिन इनमें से किसी ने भी माफी नहीं मांगी. भाजपा नेता पीएस श्रीधरन पिल्लई एक रैली में कथित रूप से यह बयान देने को लेकर अन्य दलों के निशाने पर आ गए कि मुस्लिमों की पहचान ‘‘उनके कपड़े खोलने” से हो जाएगी. उन्होंने स्पष्ट तौर पर खतना के संबंध में यह बातें कही.

सोशल मीडिया पर यह वीडियो मौजूद होने के बावजूद पिल्लई ने इस प्रकार की टिप्पणी से इनकार किया है. केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को ‘‘घूंघट” में रहने की कथित सलाह दी.

एक अन्य भाजपा नेता विनय कटियार ने संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी से कथित रूप से पूछा कि क्या वह राहुल गांधी को इस बात का सबूत दे पाएंगी कि पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी उनके पिता हैं। इससे पहले उन्होंने प्रियंका गांधी पर भी कथित आपत्तिजनक टिप्पणी की थी. राहुल गांधी पर भी कई बार निजी हमले हुए हैं, तो दूसरी ओर कुछ कांग्रेस नेताओं ने प्रधानमंत्री मोदी पर भी व्यक्तिगत हमले किये हैं.

उर्मिला मातोंडकर के राजनीति में प्रवेश के बाद से उन्हें निशाना बनाकर लैंगिक हमले किये गये हैं. विभिन्न चुनावों में दो विभिन्न राजनीतिक दलों के लिए काम करने वाले एक ‘‘चुनाव रणनीतिकार” ने कहा, ‘‘नफरत भरे भाषण सभी बड़े राजनीतिक दलों की सोशल मीडिया मुहिमों का मुख्य हिस्सा बन गये हैं. कुछ रणनीतियां विशेष नेताओं के लिए बनाई जाती हैं और कुछ पार्टी स्तर पर बनायी जाती हैं.” हालांकि अधिकतर चुनाव प्रबंधकों ने अपनी पहचान उजागर करने से इनकार कर दिया लेकिन एक राजनीतिक संचार सलाहकार अनूप शर्मा ने कहा कि राजनीतिक दलों को यह समझने की आवश्यकता है कि आज मतदाताओं, विशेषकर युवाओं को अच्छी जानकारी है और वे रोजगार एवं विकास जैसे असल मुद्दों की अधिक परवाह करते हैं.

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