चीन कैसे बचा लेता है मसूद अजहर को, जानें क्या है वीटो पावर

पुलवामा हमले की जिम्मेदारी लेने वाले संगठन जैश – ए – मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को एक बार फिर चीन ने बचा लिया. सुरक्षा परिषद के चार स्थायी सदस्यों ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी करार देने पर सहमति जतायी जबकि चीन ने वीटो लगाकर एक बार फिर विरोध दर्ज कर दिया. यह पहली […]

By Prabhat Khabar Print Desk | March 14, 2019 12:05 PM

पुलवामा हमले की जिम्मेदारी लेने वाले संगठन जैश – ए – मोहम्मद के मुखिया मसूद अजहर को एक बार फिर चीन ने बचा लिया. सुरक्षा परिषद के चार स्थायी सदस्यों ने मसूद अजहर को अंतरराष्ट्रीय आतंकी करार देने पर सहमति जतायी जबकि चीन ने वीटो लगाकर एक बार फिर विरोध दर्ज कर दिया. यह पहली बार नहीं है जब चीन ने भारत के खिलाफ इस तरह वीटो पावर का इस्तेमाल किया है. इससे पहले की आप इस पर प्रतिक्रिया दें आइये समझते हैं वीटो पावर क्या है ?

वीटो क्या है
वीटो ( VETO) अगर इसके शाब्दिक अर्थ पर चर्चा करें तो हम पायेंगे कि यह लैनिट भाषा का शब्द है जिसका अर्थ है अनुमति नहीं देना. भारत यूएन में स्थायी सदस्यता के लिए प्रयास करता रहा है लेकिन इस रास्ते में भी चीन अड़ंगा डाले खड़ा है. आप सभी जानते हैं कि इस वक्त यूएन सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्य हैं जिनमें चीन, फ्रांस,रूस, यूके और अमेरिका के पास वीटो पावर है. इस पावर का मतलब यह है कि स्थायी सदस्यों के फैसले से अगर कोई देश असहमत है तो वीटो लगाकर उस फैसले को रोक सकता है. चीन हर बार मसूद के मामले में यही करता है. सुरक्षा परिषद के चार स्थायी सदस्य उसे ग्लोबल आतंकी घोषित करने के समर्थन में थे लेकिन चीन उसके विरोध में आ गया और पूरा प्रस्ताव निरस्त हो गया.
वीटो ( VETO ) का इतिहास क्या है
वीटो पावर के इस्तेमाल का पहली बार जिक्र आता है 16 फरवरी, 1946 को सोवियत समाजवादी गणराज्य संघ (यूएसएसआर) ने इसका पहली बार इस्तेमाल किया था. लेबनान और सीरिया से विदेशी सैनिकों की वापसी के प्रस्ताव पर यूएसएसआर ने वीटो लगा दिया था. युक्रेन के शहर क्रीमिया में साल 1945 में एक सम्मेलन हुआ था . इस सम्मेलन को याल्टा या क्रीमिया सम्मेलन के नाम से भी जाना जाता है. यहां सोवियत संघ के तत्कालीन प्रधानमंत्री जोसफ स्टालिन ने वीटो पावर का प्रस्ताव रखा था. अगर वीटो पावर के इतिहास पर गौर करें तो हम पायेंगे कि साल 1920 में लीग ऑफ नेशंस की स्थापना के बाद ही वीटो पावर वुजूद में आ गया था. उस समय से अब तक वीटो का 291 बार इस्तेमाल हो चुका है. इस साल ही वीटो पावर का दो बार इस्तेमाल किया गया. 13 मार्च, 2019: मसूद अजहर को वैश्विक आतंकी घोषित करने के प्रस्ताव पर चीन ने वीटो का इस्तेमाल किया. 28 फरवरी, 2019: वेनेजुएला के राष्ट्रपति संकट के एक प्रस्ताव पर चीन और रूस ने वीटो किया

10 साल में चौथी बार चीन ने की चालबाजी

  • 2009 : मुंबई हमले के बाद पहली बार मसूद अजहर पर प्रतिबंध का प्रस्ताव संयुक्त राष्ट्र में पेश किया गया.
  • 2016 : भारत ने सुरक्षा परिषद की प्रतिबंध समिति के समक्ष प्रस्ताव रखा, जिसे चीन ने रोक दिया.
  • 2017 : अमेरिका ने ब्रिटेन और फ्रांस के समर्थन से प्रस्ताव पारित किया, इस पर चीन ने वीटो कर दिया.
  • 2018 : फ्रांस के प्रस्ताव का ब्रिटेन व अमेरिका ने समर्थन किया, लेकिन बीजिंग ने फिर डाला अड़ंगा.

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