गर्भवती को डिहाइड्रेशन का ज्यादा खतरा

गरमी में गर्भवती की स्थिति उस समय और गंभीर हो जाती है, जब उन्हें सांस लेने में कठिनाई, कमजोरी, पसीना न आना, अत्यधिक तनाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़े. गरमी में यदि गर्भवती के शरीर का तापमान 102 डिग्री से अधिक बढ़ जाये, तो मुख्य रूप से दो खतरे होते हैं- पहला बच्चे के […]

By Prabhat Khabar Print Desk | June 17, 2014 11:49 AM

गरमी में गर्भवती की स्थिति उस समय और गंभीर हो जाती है, जब उन्हें सांस लेने में कठिनाई, कमजोरी, पसीना न आना, अत्यधिक तनाव जैसी समस्याओं का सामना करना पड़े. गरमी में यदि गर्भवती के शरीर का तापमान 102 डिग्री से अधिक बढ़ जाये, तो मुख्य रूप से दो खतरे होते हैं- पहला बच्चे के दिमागी ट्यूब में दोष आ सकता है और दूसरा गर्भपात का खतरा कई गुना बढ़ जाता है.

जानलेवा हो सकता है यह

शरीर को लिक्विड की जितनी जरूरत है, उससे कम मिल पाने की स्थिति डिहाइड्रेशन है. दरअसल, हम जितना तरल पदार्थ लेते हैं, उससे ज्यादा शरीर से पसीने, मूत्र और मल के माध्यम से निकल जाता है. शरीर में पानी की कमी से शारीरिक क्रियाओं पर असर पड़ता है और तबीयत बिगड़ने लगती है, जो जानलेवा भी हो सकता है.

बॉडी को दें पूरा आराम

रोजाना महिलाओं को करीब 2.5 लीटर और पुरुषों को 3 लीटर पानी पीना चाहिए. डिहाइड्रेशन हो जाने पर अपना काम बंद करके बॉडी को पूरा आराम दें. डायरेक्ट सनलाइट में न जाएं और ठंडी जगह पर रेस्ट करें. तेज धूप और बढ़ती गरमी से स्वास्थ्य बिगड़ सकता है. शरीर में पानी की कमी हो सकती है. इससे किडनी का फंक्शन खराब हो सकता है.

कैफीन के सेवन से बचें

गर्भवती महिलाएं शरीर का तापमान नियंत्रित रखने के लिए ज्यादा-से-ज्यादा तरल पदार्थ का सेवन करें. इस दौरान कैफीन (चाय-कॉफी) के सेवन से बचें, क्योंकि इससे डिहाइड्रेशन का खतरा बढ़ जाता है. शांत और निश्चिंत रहना चाहिए. इससे शरीर का तापमान नियंत्रित रखने में मदद मिलेगी. हाथ, पैर, हथेली, तलवे आदि में सूजन आने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें. यह गर्भावस्था में हाइ बीपी से भी हो सकता है. थोड़ी-थोड़ी मात्र में भोजन करें. गरमी में सूती कपड़े शरीर को ठंडा रखने में मदद करते हैं.

प्रस्तुति : विनीता झा, दिल्ली

लक्षणों पर दें ध्यान

डिहाइड्रेशन होने पर मुंह के अंदर सूखापन महसूस होना, त्वचा मुरझाना, अक्सर थकावट महसूस होना, पेशाब कम होना, सिरदर्द होना, चक्कर आना और होंठों का फटना. गर्भावस्था में पानी की कमी से शरीर में अमीनोटिक की कमी हो जाती है, जिससे समय से पहले प्रसव पीड़ा, अधिक थकान और मिचली आदि समस्याएं पैदा होती हैं.

पानी की कमी है कारण

डिहाइड्रेशन होने के कई कारण हो सकते हैं, जैसे-त्नतेज बुखार होना या अधिक व्यायाम से उल्टी होना त्नडायरिया या इन्फेक्शन के कारण अधिक पेशाब होना त्नडाइबिटीज में डिहाइड्रेशन की आशंका अधिक होती है त्न पानी और भोजन का सही मात्र में न मिलना त्नत्वचा संक्रमण, जिसमें पानी का क्षरण होता है.

डॉ तृप्ति शरण

सीनियर कंसल्टेंट ओबेसिटी एंड गाइनेकोलॉजी, बीएलके सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, दिल्ली

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