शांति का नोबेल: बोलीं नादिया मुराद- बेहोश होने तक आईएसआईएस के आतंकी करते थे रेप

ओस्लो: आतंकवादियों के चंगुल से किसी तरह जान बचा कर भागने वाली यजीदी महिला नादिया मुराद को डेनिस मुकवेगे के साथ 2018 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए संयुक्त रूप से चुना गया है. साल 2014 में इराक में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के पैर पसारते ही खुशहाली की जिंदगी जी रही नादिया (25) का […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 6, 2018 7:53 AM

ओस्लो: आतंकवादियों के चंगुल से किसी तरह जान बचा कर भागने वाली यजीदी महिला नादिया मुराद को डेनिस मुकवेगे के साथ 2018 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए संयुक्त रूप से चुना गया है. साल 2014 में इराक में आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट के पैर पसारते ही खुशहाली की जिंदगी जी रही नादिया (25) का खराब वक्त शुरू हो गया था. एक दिन काले झंडे के साथ जिहादी गांव में घुस आये. आतंकवादियों ने पुरुषों की हत्या कर दी, बच्चों को लड़ाई सिखाने के लिए और हजारों महिलाओं को यौन दासी बनाने के लिए अपने साथ ले गये.

आईएस लड़ाके हमारा सम्मान छीनना चाहते थे और मैंने अपना सम्मान खो दिया. हजारों महिलाओं को यौन दासी बना दिया गया. हमसे बलपूर्वक काम लिया जाता था.

नादिया मुराद, नोबेल शांति पुरस्कार विजेता

दरिंदगी की हदें पार कर देते हैं आतंकी
पकड़ने के बाद आतंकवादी मुराद को मोसुल ले गये. दरिंदगी की हदें पार करते हुए आतंकवादियों ने उनसे लगातार सामूहिक दुष्कर्म किया, यातानाएं दी और मारपीट की. बेहोश होने तक आतंकी लगातार रेप करते थे. वह बताती हैं कि जिहादी महिलाओं और बच्चियों को बेचने के लिए दास बाजार लगते हैं.

चुस्त कपड़े न पहनने पर मारा-पीटा गया

यजीदी महिलाओं को धर्म बदल कर इस्लाम धर्म अपनाने का भी दबाव बनाते हैं. मुराद ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में आपबीती सुनायी. हजारों यजीदी महिलाओं की तरह मुराद का एक जिहादी के साथ जबरदस्ती निकाह कराया गया. उन्हें मेकअप करने और चुस्त कपड़े पहनने के लिए मारा-पीटा भी गया.

चंगुल से भागने में नादिया रही सफल

अपने ऊपर हुए अत्याचारों से परेशान मुराद लगातार भागने की फिराक में रहती थीं और अंतत: मोसूल के एक मुसलमान परिवार की सहायता से वह भागने में कामयाब रहीं. गलत पहचान पत्रों के जरिये वह इराकी कुर्दिस्तान पहुंची और शिविरों में यजीदियों के साथ रहने लगीं. वहां उन्हें अपने छह भाइयों और मां के कत्ल की खबर मिली.

अब जर्मनी में रहती हैं नादिया
कुर्दिस्तान से निकलकर नादिया यजीदियों के लिए काम करने वाले एक संगठन की मदद से अपनी बहन के पास जर्मनी चलीं गयीं. आज भी वह वहां रह रही हैं. नादिया ने अपना जीवन ‘अवर पीपुल्स फाइट’ को समर्पित कर दिया है. मुराद और उनकी मित्र लामिया हाजी बशर लापता यजीदियों के लिए संघर्ष कर रहीं हैं. नादिया अब मानव तस्करी के पीड़ितों के लिए यूएन की गुडविल एंबेसडर हैं.

मुकवेगे : कांगो की महिलाओं के जख्मों को भरने वाला साहसी चिकित्सक
किन्शासा: कांगो गणराज्य में यौन शोषण व दुष्कर्म की शिकार महिलाओं के जख्मों को ठीक करने और उन्हें मानसिक आघात से बाहर निकालने के सतत प्रयासों के लिए उन्हें ‘डॉक्टर मिरैकल’ के नाम से पुकारा जाता है. वह दो दशक से महिलाओं को शारीरिक और मानसिक परेशानियों से निकालने के काम में लगे हुए हैं. वह युद्ध के दौरान महिलाओं के शोषण के मुखर विरोधी हैं. उनका मानना है कि हम रासायनिकि, जैविक और परमाणु हथियारों के खिलाफ लक्ष्मण रेखा खींच पाये हैं, आज हमें दुष्कर्म को युद्ध के हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने पर भी रोक लगानी चाहिए.

पहली बार 1999 में किसी बलात्कार पीड़िता को देखा. पागलों ने गुप्तांग में बंदूक डाल कर गोली चला दी थी.
डेनिस मुकवेगे, नोबेल विजेता

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