जानिए, कौन हैं नादिया मुराद जिन्हें मिला है नोबेल शांति पुरस्कार

मलाला युसुफ़ज़ई के बाद नादिया मुराद दूसरी महिला हैं, जिन्हें सबसे कम उम्र में शांति का नोबेल पुरस्कार मिला है. मलाला ने अपनी जान पर खेलकर शिक्षा के लिए काम किया था, उन्हें 2014 में मात्र 17 वर्ष की उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार मिला था. वहीं आईएस की बर्बरता की शिकार हुई नादिया ने […]

By Prabhat Khabar Print Desk | October 5, 2018 4:37 PM

मलाला युसुफ़ज़ई के बाद नादिया मुराद दूसरी महिला हैं, जिन्हें सबसे कम उम्र में शांति का नोबेल पुरस्कार मिला है. मलाला ने अपनी जान पर खेलकर शिक्षा के लिए काम किया था, उन्हें 2014 में मात्र 17 वर्ष की उम्र में नोबेल शांति पुरस्कार मिला था. वहीं आईएस की बर्बरता की शिकार हुई नादिया ने नरसंहार, अत्याचार और ह्यूमन ट्रैफिकिंग से जूझ रही महिलाओं और बच्चों को अपना जीवन समर्पित कर दिया है. इससे पहले 25 साल की उम्र में विलियम लॉरेंस ब्राग को भौतिकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था.

नादिया इस तरह के लोगों के जीवन और समाज में उनके लिए नये सिरे से जगह बनाने में मदद करती हैं. इस साल का नोबेल शांति पुरस्कार कांगो के महिला रोग विशेषज्ञ डेनिस मुकवेगे और यज़ीदी महिला अधिकार कार्यकर्ता नादिया मुराद को मिला है. नादिया की चर्चा जोरों पर इसलिए भी है क्योंकि दर्द और तकलीफ का एक पूरा इतिहास उनके जीवन के साथ जुड़ा है.

नादिया मुराद किसी तरह IS के कब्जे से भागने में सफल रहीं थी. वहां से निकलकर वह जर्मनी पहुंची थी. यहां उन्होंने अपने अनुभवों पर एक किताब लिखी. किस तरह IS के कब्जे में रहने के दौरान उनकी जिंदगी नर्क बन गयी थी. इसके बाद से ही उन्होंने यौन हिंसा और बलात्कार जैसी घटनाओं से जुड़ी महिलाओं के लिए काम करना शुरू किया. नादिया को ये पुरस्कार बलात्कार के ख़िलाफ़ जागरुकता फैलाने के लिए दिया गया है. 25 वर्षीय नादिया मुराद को इस्लामिक स्टेट ने 2014 में अग़वा कर लिया था और तीन महीने तक बंधक बनाकर उनका बलात्कार किया था.
क्या हुआ था नादिया के साथ
नादिया ने अपनी किताब में अपनी पूरी कहानी लिखी है. इसके इतर भी कई कार्यक्रमों में उन्होंने अपने अनुभवों को साझा किया है. नादिया अपनी मां और भाई बहनों के साथ उत्तरी इराक़ के शिंजा के पास कोचू गांव में रहती थी. साल 2014 में सुन्नी कट्टरपंथी संगठन IS ने उन्हें बंधक बना लिया . IS के आतंकवादी मुराद से सेक्स स्लेव का काम लेते थे, मतलब IS के लड़ाके उनसे अपनी हवस की भूख शांत करते थे.
नादिया ने अपनी पुस्तक ‘द लास्ट गर्ल : माई स्टोरी ऑफ कैप्टिविटी एंड माई फाइट अगेंस्ट द इस्लामिक स्टेट’ में उन्होंने पूरी बात लिखी है. IS के चंगुल से भागने की कोशिश करने वाली लड़कियों के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया जाता था. उन्होंने अपने अनुभवों का जिक्र करते हुए लिखा, मैंने एक बार मैं मुस्लिम महिलाओं द्वारा पहनी जानी वाली पोशाक पहनकर भागने की कोशिश की, लेकिन एक गार्ड ने मुझे पकड़ लिया. उन सभी ने मेरे साथ तब तक बलात्कार किया, जबतक मैं होश नहीं खो बैठी. उस वक्त आपकी कोई मदद नहीं करता था.

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