Health Tips : जाड़ा ही नहीं, हर मौसम में कफ व पित जनित रोगों में बहुत ही उपयोगी है ”कचनार”

नीलम कुमारी टेक्निकल ऑफिसर झाम्कोफेड कचनार संपूर्ण भारत वर्ष में पाया जानेवाला बहुत ही उपयोगी पौधा है़. इसकी पत्तियों व पुष्प कलिकाओं का प्रयोग सब्जी के रूम में किया जाता है़. सब्जी के साथ-साथ यह औषधीय दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है. इसके पुष्प तीन प्रकार के होते हैं, सफेद, पीला और लाल. सफेद व […]

By Prabhat Khabar Print Desk | November 18, 2017 10:33 AM

नीलम कुमारी

टेक्निकल ऑफिसर झाम्कोफेड

कचनार संपूर्ण भारत वर्ष में पाया जानेवाला बहुत ही उपयोगी पौधा है़. इसकी पत्तियों व पुष्प कलिकाओं का प्रयोग सब्जी के रूम में किया जाता है़. सब्जी के साथ-साथ यह औषधीय दृष्टिकोण से भी काफी महत्वपूर्ण है. इसके पुष्प तीन प्रकार के होते हैं, सफेद, पीला और लाल. सफेद व लाल प्राय: सभी जगह पर पाया जाता है, लेकिन पीला फूल वाला वृक्ष पर्वतीय प्रदेश में ही ज्यादा मिलता है. संस्कृत में इसे कचनार, गंडारी और हिंदी में कचनार कहा जाता है. इसका वानस्पतिक नाम बॉहिनिया वैरीगेबटा है. यह लेग्यूमिनोसी परिवार का पौधा है.

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स्वरूप व पहचान

इसका पौधा मध्यम ऊंचाई का होता है. तना भूरा रंग का होता है. पत्ते आगे की ओर कटे हुए होते हैं. फूल सफेद, लाल या पीला रंग का होता है. बसंत ऋतु में यह लगता है. फल एक इंच लंबा, कड़ा, चपटा होता है. एक फल के अंदर 10-15 बीज होते है. फल वर्षा ऋतु में लगता है. इसका उपयोगी भाग पत्ता, फूल, छाल व जड़ होते हैं.

औषधीय उपयोग

यह कफ व पित जनित रोगों में उपयोगी है. यह शरीर में उत्पन्न गांठ को गलाता है. इसका फूल थायराॅइड में उपयोगी है. यह लीवर को मजबूत करता है. इसके छाल के काढ़ा से कुल्ला करने से गला साफ होता है. आवाज मधुर होता है. इसके काढ़ा से त्वचा व घाव को साफ करने से घाव जल्दी ठीक हाेता है. यह कफ, दमा, खांसी, गैस, अपच, दस्त, भूख न लगना, खून साफ करने, दर्द व सूजन, त्वचा रोग जैसे कुष्ठ, दाद, खुजली, कृमि, वात रोग, जोड़ों का दर्द आदि में उपयोगी है. वहीं, इसके छाल का काढ़ा दूध के साथ प्रयोग करने से रक्त विकार दूर होता है. खूब साफ होता है.

कहां कैसे होता है उपायोग

खून का बहना : दांत या शरीर के किसी भी हिस्से से खून निकल रहा है, तो इसका काढ़ा पीना चाहिए.

दर्द व सूजन : इसके जड़ को पानी में पीस कर इसको गर्म कर दर्द और सूजन वाले स्थान पर लेप करने से आराम मिलता है.

भूख न लगना: इसकी कली का साग प्रतिदिन खाने से भूख अच्छी तरह से लगती है

मुख रोग : इसके छाल, बबुल के फल व अनार के फूल का काढ़ा बना कर इस्तेमाल करना चाहिए.

स्मरण शक्ति : कचनार की जड़ व कमल के पत्ते काे पीस कर उसका रस प्रयोग करने से दिमाग तेज होता है़ स्मरण शक्ति बढ़ती है.

दस्त: इसके छाल का काढ़ा दिन में दो बार पीना चाहिए.

खांसी व दमा: इसके छाल का काढ़ा बना कर उसमें शहद मिला कर प्रयोग करने से खांसी व दमा में आराम मिलता है.

गैस व अपच: इसकी जड़ का काढ़ा बना कर प्रयोग करने से गैस व अपच से आराम मिलता है.

नोट: चिकित्सीय परामर्श के बाद ही उपयोग करें.

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