हाफिज सईद की पार्टी को पाकिस्तान चुनाव आयोग ने नहीं दी मान्यता, चुनाव लड़ने पर लगी रोक

इस्लामाबाद: आतंकी हाफिज सईद की पार्टी ‘मिल्ली मुस्लिम लीग’ को पाकिस्तान के चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिली. चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिलने से उसकी पार्टी चुनाव नहीं लड़ सकतीहै. चुनाव आयोग ने चुनावी पोस्टरों में हाफिज सईद की तस्वीर के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी है. मालूमहो, आंतकवादी हाफिज सईद से राजनीति […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 8, 2017 5:41 PM

इस्लामाबाद: आतंकी हाफिज सईद की पार्टी ‘मिल्ली मुस्लिम लीग’ को पाकिस्तान के चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिली. चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिलने से उसकी पार्टी चुनाव नहीं लड़ सकतीहै. चुनाव आयोग ने चुनावी पोस्टरों में हाफिज सईद की तस्वीर के इस्तेमाल पर भी रोक लगा दी है. मालूमहो, आंतकवादी हाफिज सईद से राजनीति में अपने पांव जमाने के लिए पिछले महीनेही नयी पार्टी का गठन किया था. यह आतंकी पिछले छह महीने से पाकिस्तान में नजरबंद है. उसके संगठन जमात-उद-दावा की ओर से पाकिस्तान चुनाव आयोग में ‘मिल्ली मुस्लिम लीग’ के नाम से राजनीतिक पार्टी को मान्यता देने के लिए अर्जी दी गयी थी. जिसे पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने मान्यता देने से इंकार कर दिया है.
पाकिस्तान के चुनाव आयोग ने न सिर्फ हाफिज सईद की पार्टी को मंजूरी देने से इनकार कर दिया, बल्कि उसके चुनाव लड़ने पर भी रोक लगा दी है. सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान चुनाव आयोग की यह कार्रवाई अमेरिका की उस चेतावनी के बाद की गयी है जिसमें अमेरिका ने फटकार लगाते हुए कहा था कि अगर जमात-उद-दावा के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गयी तो वह पाकिस्‍तान पर प्रतिबंध लगा देगा.

चुनाव आयोग ने कहा, ‘बल्‍ब के प्रतीक के साथ निर्दलीय उम्‍मीदवार शेख मोहम्‍मद याकूब उपचुनाव लड़ रहे हैं. उम्‍मीदवार जिस पार्टी के नाम का उपयोग कर रहे हैं वह रजिस्‍टर्ड नहीं है.’ ऐसे उम्‍मीदवार को नोटिस जारी करने का निर्देश रिटर्निंग आफिसर को दिया गया है, नहीं तो उम्‍मीदवार के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जायेगी.

गौरतलब है कि मुंबई के 26/11 आतंकवादी हमले का हाफिज सईद मास्टरमाइंड है और भारत इसके खिलाफ लगातार कार्रवाई की मांग कर रहा है, लेकिन पाकिस्तान की ओर से उसके खिलाफ अभी तक कोई कोई कार्रवाई नहीं की गयी है. वर्तमान समय में पाकिस्तान में राजनीतिक उथल-पुथल जारी है. पनामा केस में नवाज शरीफ को प्रधनमंत्री की की कुर्सी गंवानी पड़ी है. ऐसे में हाफिज सईद जानता है कि राजनीति में कदम रखने का उसके लिए यह सबसे बेहतर मौका. पाकिस्तान में सेना और आइएसआइ का काफी दबदबा है और हाफिज सईद की दोनों से अच्छी पैठ है.

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