ब्रिक्स घोषणापत्र के बाद पाक को आया होश, शर्मिंदगी से बचने के लिए आतंकी समूहों पर लगायेगा लगाम!

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी है कि अगर लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों पर लगाम नहीं लगायी गयी तो देश शर्मिंदगी का सामना करता रहेगा. आसिफ का बयान चीन समेत ब्रिक्स के पहली बार पाकिस्तान से संचालित हो रहे लश्कर-ए-तैयबा (एलइटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेइएम) जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधित संगठनों […]

By Prabhat Khabar Print Desk | September 6, 2017 9:48 PM

इस्लामाबाद : पाकिस्तान के विदेश मंत्री ख्वाजा आसिफ ने चेतावनी दी है कि अगर लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकवादी संगठनों पर लगाम नहीं लगायी गयी तो देश शर्मिंदगी का सामना करता रहेगा. आसिफ का बयान चीन समेत ब्रिक्स के पहली बार पाकिस्तान से संचालित हो रहे लश्कर-ए-तैयबा (एलइटी) और जैश-ए-मोहम्मद (जेइएम) जैसे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधित संगठनों का नाम लिये जाने के दो दिन बाद आया है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकवादी समूहों के लि, ‘पनाह’ होने के लि, पाकिस्तान की आलोचना की थी. आसिफ ने पाकिस्तान से संचालित लश्कर-ए-तैयबा और जेइएम समेत अन्य प्रतिबंधित अंतरराष्ट्रीय आतंकवादी संगठनों के अस्तित्व को स्वीकार किया.

आसिफ ने मंगलवारको जियो न्यूज से बातचीत में कहा, ‘हमें अपने मित्रों से कहने की आवश्यकता है कि हमने अपना बर्ताव सुधार लिया है. हमें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर शर्मिंदगी का सामना करने से बचने के लिए अपने तौर-तरीके में सुधार करना है.’ आसिफ का बयान चीनी नेतृत्व से मिलने के लिए अपनी बीजिंग यात्रा से कुछ दिन पहले आया है.

आसिफ के अनुसार ब्रिक्स घोषणापत्र को चीन का आधिकारिक रुख नहीं समझा जाना चाहिए क्योंकि रूस, भारत, ब्राजील और दक्षिण अफ्रीका भी समूह का हिस्सा हैं. श्यामन में ब्रिक्स घोषणा पत्र में लश्कर-ए-तैयबा और जेइएम को शामिल किया जाना पाकिस्तान के लिए झटका माना जा रहा है क्योंकि चीन ने पिछले साल गोवा में ब्रिक्स की बैठक में परिणामी दस्तावेज में पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठनों का नाम लिये जाने के प्रयासों को अवरुद्ध किया था. हालांकि, आसिफ ने कहा, ‘मित्रों की हमेशा परीक्षा नहीं ली जानी चाहिए, खासतौर पर बदले हुए परिदृश्य में. इसकी बजाय हमें लश्कर और जैश जैसे तत्वों की गतिविधियों पर कुछ पाबंदी लगानी चाहिए ताकि हम विश्व समुदाय को दिखा सकें कि हमने अपने बर्ताव में सुधार किया है.’

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