डोकलाम पर भारत से तनातनी के बीच चीन ने किया युद्धाभ्यास

बीजिंग : डोकलाम पर भारत के साथ जारी तनातनी के बीच चीन ने युद्धाभ्यास किया.इसयुद्धभ्यास का मकसद रात के समय जमीन पर कैसेयुद्ध लड़ा जायेगा इसकाअभ्यास करना था. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पश्चिमी चीन में युद्धाभ्यास किया जिसमें भारी मात्रा में जंगी हथियारों का इस्तेमाल किया गया. इसमें स्पेशल फोर्स, आर्मी एविएशन और […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 21, 2017 11:25 AM

बीजिंग : डोकलाम पर भारत के साथ जारी तनातनी के बीच चीन ने युद्धाभ्यास किया.इसयुद्धभ्यास का मकसद रात के समय जमीन पर कैसेयुद्ध लड़ा जायेगा इसकाअभ्यास करना था. चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी ने पश्चिमी चीन में युद्धाभ्यास किया जिसमें भारी मात्रा में जंगी हथियारों का इस्तेमाल किया गया. इसमें स्पेशल फोर्स, आर्मी एविएशन और सशस्त्र सैनिकों ने भाग लिया. इस युद्धाभ्यास में टैंक, हेलीकॉप्टर और लड़ाकू विमानों और मिसाइलों का इस्तेमाल किया गया. अभ्यास में टैंकों ने टारगेट को हिट करने तथा आसमान में उड़ते जंगी जहाजों से बम बरसाये गये.

पीपुल्स लिबरेशन आर्मी चीन की सेना की सबसे बड़ी कमांड मानी जाती है. बड़ी बात यह है कि भारतीय सीमा से सटे इलाकों में सुरक्षा की जिम्मेदारी चीन की सेना के इसी कमांड के पास होती है. वहीं, भारतीय सेना भी सीमा पर टी-90 टैंक में तीसरी पीढ़ी की मिसाइल प्रणाली लगाने की तैयारी में है. मौजूदा समय में टी-90 टैंक लेजर गाइडेड आइएनवीएआर मिसाइल प्रणाली से लैस हैं और सेना ने उसके स्थान पर तीसरी पीढ़ी की मिसाइलों को लगाने का निर्णय लिया है. रूस में बने टी-90 टैंक भारतीय सेना का मुख्य हथियार है. तीसरी पीढ़ी की मिसाइल लगाने के बाद सेना को 800-850 एमएम की डीओपी हासिल होगी और दिन के साथ-साथ रात में भीआठ किलोमीटर की दूरी तक के लक्ष्य को निशाना बनाने में सक्षम होगी. एक ओर भारत अपनी टैंक को अपग्रेड कर रहा है, तो चीन के टैंक की हालत खस्ता है. मेड इन चाइना टैंक टी-96 वही टैंक है जिसके दम पर वह सुपरपावर होने का दम भरता है.

मालूमहो, डोकलाम विवाद पर चीन बार-बार भारत को युद्ध की धमकी दे रहा है. हाल ही में चीन ने कहा था, अगर भारत ने डोकलाम से अपनी सेना नहीं हटायी, तो वह गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे. चीन ने कहा, हमारे हथियार और सेना भारत के मुकाबले काफी बेहतर हैं. भले ही भारत ने पिछले दिनों यूएस और रूस से कई तरह के हथियार खरीदे हों, लेकिन चीन के हथियारों के तुलना में वे काफी हल्के हैं.

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