डोकलाम में चीन के रार के बीच अमेरिका-जापान भारत से अपने रक्षा संबंधों को और मजबूत करेंगे

वाशिंगटन : एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती हठधर्मिता के बीच अमेरिका और जापान भारत, दक्षिण कोरिया और आॅस्ट्रेलिया के साथ बहुपक्षीय सुरक्षा और रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए सहमत हो गये हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के साथ संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम क्षेत्र […]

By Prabhat Khabar Print Desk | August 18, 2017 11:45 AM

वाशिंगटन : एशिया प्रशांत क्षेत्र में चीन की बढ़ती हठधर्मिता के बीच अमेरिका और जापान भारत, दक्षिण कोरिया और आॅस्ट्रेलिया के साथ बहुपक्षीय सुरक्षा और रक्षा सहयोग बढ़ाने के लिए सहमत हो गये हैं. अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन ने अमेरिकी रक्षा मंत्री जेम्स मैटिस के साथ संवाददाताओं को संबोधित करते हुए कहा, ‘हम क्षेत्र के अपने अन्य सहयोगियों खासतौर पर कोरिया गणतंत्र, ऑस्ट्रेलिया, भारत तथा अन्य दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के साथ त्रिपक्षीय और बहुपक्षीय सुरक्षा तथा रक्षा सहयोग बढ़ाने में सहयोग करेंगे.

संवाददाता सम्मेलन को जापानी विदेश मंत्री तारो कोनो और जापानी रक्षा मंत्री इत्सुनोरी ओनोदेरा ने भी संयुक्त रूप से संबोधित किया. कोनो ने जापानी भाषा में कहा, ‘आरओके (दक्षिण कोरिया), ऑस्ट्रेलिया, भारत और दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ हम सुरक्षा और रक्षा के क्षेत्र में पहले से ज्यादा सहयोग बढ़ायेंगे.’ कोनो के संबोधन का अंग्रेजी में अनुवाद किया गया. हाल ही में लांच अमेरिका जापान टू प्लस टू डायलॉग के तहत चार वरिष्ठ अधिकारी संवाददाताओं से बातचीत कर रहे थे.

विदेश मंत्रालय के मुख्यालय में गुरुवार को आयोजित बैठक के दौरान चारों नेताओं ने अन्य मुद्दों के साथ क्षेत्र में चीन की ओर से पेश की जा रही चुनौतियों और भारत सहित अन्य देशों के साथ बहुपक्षीय सहयोग बढाने की जरुरत पर चर्चा की. बैठक के बाद जारी संयुक्त बयान में कहा गया, ‘मंत्रियों ने क्षेत्र में अन्य सहयोगी देशों खास तौर पर कोरिया गणतंत्र, ऑस्ट्रेलिया, भारत दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के साथ त्रिपक्षीय और बहुपक्षीय सुरक्षा तथा तथा रक्षा सहयोग को आगे बढ़ाने के चल रहे प्रयासों को रेखांकित किया.’ ‘बयान में कहा गया, ‘मंत्रियों ने नियम आधारित आंतरराष्ट्रीय व्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए सहयोग के महत्व पर जोर दिया. साथ ही अमेरिका के क्षेत्र में प्रमुख उपस्थिति बनाये रखने की प्रतिबद्धता और जापान की पहल पर भी संज्ञान लिया गया जो उसने ‘स्वतंत्र तथा मुक्त भारत प्रशांत रणनीति’ में दिखायी थी.

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