आगरा के सांसद रामशंकर कठेरिया की नहीं जाएगी लोकसभा की सदस्यता, जिला जज की कोर्ट ने सजा पर लगायी रोक
जिला जज ने सोमवार को सुनवाई करते हुए प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया की सजा पर रोक लगा दी. एमपी एमएलए कोर्ट ने टोरंट ऑफिस में हुई तोड़फोड़ के मामले में सांसद को दोसाल की सजा सुनाई थी.
आगरा. पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद सांसद प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया की अब लोकसभा की सदस्यता नहीं जाएगी. एक मामले में आगरा की एमपी एमएलए कोर्ट द्वारा सुनाई गई दो साल की सजा पर जिला जज की कोर्ट ने स्टे जारी कर दिया है. प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया ने एमपी एमएलए कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए जिला जज कोर्ट में अपील दायर की थी. जिला जज ने सोमवार को सुनवाई करते हुए प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया की सजा पर रोक लगा दी. एमपी एमएलए कोर्ट ने टोरंट ऑफिस में हुई तोड़फोड़ के मामले में सांसद को दोसाल की सजा सुनाई थी.आगरा से दो बार के सांसद रहे प्रोफेसर रामशंकर कठेरिया एससी एसटी आयोग के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. वर्तमान में वह इटावा के सांसद हैं. एमपी एमएलए कोर्ट ने 2011 के बलवा और तोड़फोड़ के मामले में 5 अगस्त को उन्हें 2 साल की सजा सुनाई थी. और उनके ऊपर ₹50000 का जुर्माना लगाया था.
कोर्ट से बाहर निकलकर मीडिया से बात की
सोमवार को प्रो रामशंकर कठेरिया ने जिला अदालत में एमपी एमएलए कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने के लिए अपील दायर की. सांसद कोर्ट के बाहर निकले तो उन्होंने मीडिया से बात करते हुए कहा कि टोरंट के बिल से परेशान एक महिला सुसाइड करने जा रही थी. उसकी परिस्थिति को देखते हुए मैंने उसकी मदद की. टोरंट ने बिल ठीक कर दिया था. उस समय भाजपा विरोधी सरकार थी और राजनीतिक साजिश के तहत उनके खिलाफ केस दर्ज कराया गया था. अपना पक्ष रखते हुए उन्होंने जिला कोर्ट में अपील दायर की थी.
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16 नवंबर 2011 की घटना को लेकर दर्ज हुआ था मामला
आपको बता दें जिस घटना में कठेरिया को सजा सुनाई गई है वह 16 नवंबर 2011 की है. करीब 12:10 पर टोरेंट पावर लिमिटेड आगरा के साकेत मॉल स्थित ऑफिस में मैनेजर भावेश रसिक लाल शाह बिजली चोरी से जुड़े मामलों की सुनवाई कर रहे थे. तभी स्थानीय सांसद रामशंकर कठेरिया 10-15 समर्थकों के साथ आए और भावेश रसिकलाल शाह के साथ मारपीट शुरू कर दी. टोरेंट पावर के सुरक्षा निरीक्षक समय दी लाल ने हरी पर्वत थाने में केस दर्ज कराया था और पुलिस के प्रो कठेरिया के खिलाफ कोर्ट में चार्ज शीट दाखिल की थी. गवाही और बहस की प्रक्रिया पूरी होने के बाद फैसला सुनाया गया था.